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मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 5 साल से अधिक समय से जेल में बंद रेप आरोपी को जमानत दे दी। उसके खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत मामला दर्ज है। अदालत ने पाया कि 14 साल की लड़की को अपने कार्यों के बारे में पूरी जानकारी थी। वह अपनी मर्जी से 4 दिनों तक आरोपी के साथ रही। जस्टिस मिलिंद जाधव ने अपने फैसले में कहा, 'इस बात में कोई संदेह नहीं है कि POCSO एक्ट के दायरे में अभियोक्ता नाबालिग है। हालांकि, इस मामले के तथ्य बताते हैं कि उसे अपने कार्यों के बारे में पूरी जानकारी और क्षमता थी। इसके बाद ही वह स्वेच्छा से आरोपी के साथ चार दिनों तक रही।'
यह केस साल 2019 में मुंबई के डीएन नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था। लड़की के पिता ने उसी साल नवंबर में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। कुछ दिनों बाद उसे जुहू चौपाटी के पास आरोपी और उसके दोस्तों के साथ पाया गया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में आरोपी उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। उस समय उसकी उम्र 19 साल थी और वह अनाथ था। उसने कहा कि घटना से करीब 2 साल पहले से वह लड़की का दोस्त था। गिरफ्तारी के बाद उसकी ओर से कई बार जमानत के लिए आवेदन दिया गया, लेकिन निचली अदालतों ने लड़की की उम्र का हवाला देते हुए खारिज कर दिया।
'आरोपी के साथ सहमति से रहा संबंध'
एचसी की बेंच ने सुनवाई के दौरान पुलिस रिपोर्ट और लड़की के बयानों पर गौर किया। इस दौरान कुछ विसंगतियां पाई गईं। इसे लेकर कोर्ट ने कहा, 'लड़की ने कहा था कि वह आरोपी के साथ सहमति से संबंध में थी। गवाहों के बयान से भी पता चला कि लड़की के पिता को उनके रिश्ते के बारे में जानकारी थी।' अदालत में अभियोजन पक्ष का तर्क रहा कि लड़की नाबालिग थी, इसलिए उसकी सहमति कानूनी रूप से प्रासंगिक नहीं होगी। इस पर बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि आरोपी का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। वह पहले ही 5 साल से अधिक जेल में बिता चुका है। ऐसे में उसे जमानत दी जा सकती है।