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मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में (सीओपीडी) जागरूकता की क्रांतिकारी पहल-महेन्द्र सिंह मरपच्ची

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"विश्व सीओपीडी दिवश पर विशेष लेख"

मनेन्द्रगढ़/एमसीबी

विश्व सीओपीडी दिवस की शुरुआत 2002 में ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज (GOLD) द्वारा की गई थी। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके रोकथाम, प्रबंधन तथा इलाज को बढ़ावा देना है। यह दिवस हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को मनाया जाता है, और इसका उद्देश्य सरकारों, स्वास्थ्य संगठनों और आम जनता के बीच संवाद स्थापित करना है, ताकि इस बीमारी से होने वाली मृत्यु और पीड़ा को कम किया जा सके। इस दिन विशेष रूप से श्वसन स्वास्थ्य और वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो सीओपीडी के मुख्य कारण हैं।

छत्तीसगढ़ में सीओपीडी के खिलाफ समग्र प्रयास
छत्तीसगढ़, जो अपनी प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, अब स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी एक नई पहचान बना रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। छत्तीसगढ़ में सीओपीडी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है, जो मुख्य रूप से वायु प्रदूषण, तंबाकू सेवन और परंपरागत चूल्हों के धुएं से उत्पन्न होती है। खासकर राज्य के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। एमसीबी जिला जो कोयला खनन और औद्योगिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है, प्रदूषण और सांस संबंधी बीमारियों का केंद्र बन चुका है। इन समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार ने एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है।

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। यहां सीओपीडी और अन्य श्वसन संबंधित रोगों के इलाज के लिए आधुनिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसके साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल हेल्थ वैन चलाई जा रही हैं, जो प्राथमिक चिकित्सा और स्क्रीनिंग सेवाएं उपलब्ध कराती हैं। राज्य सरकार ने कोयला खनन और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की अग्रणी भूमिका
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार किए हैं। उनके प्रयासों से राज्य के दूरदराज क्षेत्रों में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं। उन्होंने विशेष रूप से सीओपीडी और सांस संबंधी बीमारियों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसके परिणामस्वरूप जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती, अस्पतालों में उपकरणों का उन्नयन और चिकित्सा कर्मियों का प्रशिक्षण सुनिश्चित किया गया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का क्रांतिकारी नेतृत्व
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देते हुए छत्तीसगढ़ के विकास में स्वास्थ्य को केंद्रीय भूमिका दी है। उनके नेतृत्व में आयुष्मान भारत योजना का सफल क्रियान्वयन हुआ, जिससे लाखों परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिला। इसके अलावा राज्य सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए पर्यावरण-अनुकूल नीतियों को लागू किया और एलपीजी कनेक्शन वितरण के जरिए ग्रामीण महिलाओं और बच्चों को प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य खतरों से बचाया है।

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव देखा है। विशेष रूप से मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में सीओपीडी की रोकथाम और स्वास्थ्यकर आदतों को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयास न केवल राज्य के लिए, बल्कि देशभर के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं।