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मध्यप्रदेश में अब सलाखों के पीछे भी बनेंगे ‘नशा मुक्ति केंद्र’, कैदी होंगे नशे से मुक्त

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भोपाल
बंदियों को नशे की कैद से छुटकारा दिलाने के लिए प्रदेश की जेलों में नशा मुक्ति केंद्र बनाए जाएंगे। इस सिलसिले में भारत सरकार ने प्रत्येक केंद्र के लिए 20 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं। जेल मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि पहले केंद्रीय जेलों में यह व्यवस्था प्रारंभ की जाएगी। बाद में जिला जेलों में भी नशा मुक्ति केंद्र शुरू करने के प्रयास किए जाएंगे। जेल अधिकारियों के मुताबिक अपराधों की बड़ी वजह नशा होता है, इसलिए कैदियों को नशे से दूर करने की कोशिश की जा रही है, जिससे वह जेल से बाहर आने पर फिर नशे की गिरफ्त में न आने पाएं। इन नशा मुक्ति केंद्रों में मुख्य रूप से काउंसलिंग के माध्यम से बंदियों को समझाकर नशे से छुटकारा दिलाया जाएगा। सामाजिक न्याय विभाग जेलों में यह केंद्र बनाएगा।

मनोचिकित्सक रहेंगे तैनात
इन केंद्रों में सबसे मुख्य मनोचिकित्सकों की उपस्थित रहेगी।
दरअसल, नशे की लत वाले बंदियों को जेल आने के बाद नशे की चीजें नहीं मिलतीं।
नशा छूटने की वजह से उन्हें कई मनोवैज्ञानिक समस्याएं होने लगती हैं।
इन्हें 'विड्राल सिम्पटम्स' कहा जाता है। इसमें अनिद्रा, चिंता, भूख नहीं लगना और सिरदर्द जैसी समस्याएं होती हैं।
मनोचिकित्सक ऐसे बंदियों को उपचार देंगे।

इतना होगा स्टाफ
हर एक केंद्र में एक परियोजना समन्वयक, एक मनोचिकित्सक या क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, काउंसलर और अकाउंटेंट के पद होंगे। इसका प्रस्ताव लगभग एक वर्ष से शासन के पास लंबित था, पर एक जनवरी 2025 से सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम लागू होने के बाद यह केंद्र भी जल्दी प्रारंभ करने की तैयारी है। केंद्र के लिए मानव संसाधन की भर्ती सामाजिक न्याय विभाग कर रहा है।

प्रदेश में कहां-कहां केंद्रीय जेल
मप्र में फिलहाल 11 केंद्रीय कारागार हैं। ये कारागार भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सतना, सागर, नरसिंहपुर, बड़वानी और नर्मदापुरम जिलों में स्थित हैं।