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बिहार-पटना में छठ पर्व पर अस्ताचलगामी सूर्य को सीएम नीतीश समेत लाखों श्रद्धालुओं ने दिया अर्घ्य

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पटना.

लोक आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरे पटना समेत पूरे बिहार में लाखों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया। सीएम नीतीश कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय सभी मंत्री और राजनीतिक दल के नेताओं ने भी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। सीएम नीतीश कुमार ने एक अणे मार्ग पर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।

दोपहर तीन बजे से ही पटना समेत पूरे बिहार के छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों की ओर से पटना की सड़कों को धो दिया गया था। हर गली-सड़कों पर बिहार कोकिला स्व. शारदा सिन्हा के छठ गीत बज रहे हैं। इधर, पटना समेत पूरे बिहार में छठ घाट पर श्रद्धालुओं का तांता लग गया। छठी मैय्या के जयकारे से छठ घाट गूंजते रहे। छठ घाट पर जिला प्रशासन की ओर से सारी तैयारी पहले ही पूरी कर ली गई है।  गुरुवार को पटना में सूर्यास्त का समय सायं 05:04 बजे होगा। छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है। आज डूबते सूर्य को सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं।  छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन नहाय खाय से होती है। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और उगते सूर्य सप्तमी को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होता है। इस चार दिवसीय त्योहार में सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करना बहुत कठिन माना जाता है क्योंकि इस व्रत को कठोर नियमों के अनुसार 36 घंटे तक रखा जाता है।

जानिए, भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का फल
सूर्य की पूजा मुख्य रूप से तीन समय विशेष लाभकारी होती है – प्रातः , मध्यान्ह और सायंकाल। प्रातःकाल सूर्य की आराधना स्वास्थ्य को बेहतर करती है। मध्यान्ह की आराधना नाम-यश देती है। सायंकाल की आराधना सम्पन्नता प्रदान करती है। अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है। जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए।

छठ का इतना महत्व क्यों है?
ज्योतिष-कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित अरुण कुमार मिश्रा के अनुसार, यह लोक आस्था का महापर्व है। मतलब, यह बिहार और पूर्वांचल के लोगों की आस्था का प्रतीक है। आस्था पर न तो सवाल किया जा सकता है और न ही इसका कोई जवाब हो सकता है। जहां तक महत्व का सवाल है तो यह प्रकृति को चलाने वाले सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। यह देवी कात्यायनी से आशीर्वाद मांगने का पर्व है। छठ दिखाता है कि जिसका अंत है, उसका उदय भी होगा।

100 से अधिक घाट पटना में तैयार
छठ घाट पर जिला प्रशासन की ओर से सारी तैयारी पहले ही पूरी कर ली गई है। पटना में भी छठ के लिए 100 से अधिक घाट तैयार किए गए हैं। राजधानी के 102 गंगा घाटों, 63 तालाबों और 45 पार्कों में महापर्व हो रहा है। इनमें मुख्य रूप से कलेक्ट्रेट घाट, महेंद्रु घाट, दीघा घाट, जेपी सेतु घाट, दीघा पाटलिपुल घाट, मीनार घाट और गाय घाट पर काफी भीड़ उमड़ने वाली है। पटना में दानापुर से दीदारगंज तक 30 किमी हिस्से में गंगा घाटों पर 25 लाख से अधिक श्रद्धालु भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य देंगे। इसकी तैयारी जिला प्रशासन ने पूरी कर ली है। घाटों पर महिला व्रतियों के लिए चेंजिंग रूम, सुरक्षा को लेकर वाच टावर, शौचालय, पीने के पानी, मेडिकल कैंप, भीड़ नियंत्रण के लिए जगह-जगह माइक, नियंत्रण कक्ष की व्यवस्था की गई है। पार्किंग से गंगा घाटों की दूरी 200 से 500 मीटर है। डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने छठ को लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। सभी छठ घाटों में प्रशासन के अधिकारी, पुलिस टीम और एनडीआरएफ की टीम तैनात की गई है। सभी से अपील है कि हर हाल में प्रशासन के दिशा-निर्देश का पालन करें। संदिग्ध वस्तु दिखने पर तत्काल प्रशासन को सूचना दें। किसी भी हालत में नौका विहार नहीं करें। बैरिकेडिंग को पार नहीं करें। किसी तरह की समस्या होने पर पुलिस-प्रशासन को सूचना दें। राजधानी के 102 गंगा घाटों, 63 तालाबों और 45 पार्कों में महापर्व हो रहा है।