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ISRO Chief S Somnath का अलर्ट Apophis उल्कापिंड तबाह करने आ रहा है पृथ्वी

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नई दिल्ली

धरती के ऊपर एक बड़े एस्टेरॉयड की टक्कर का खतरा मंडरा रहा है. इसे लेकर दुनिया के सभी बड़े देश अभी से तैयारी कर रहे हैं. यहां तक भी भारत भी तैयारी में जुट गया है. ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने भी इस एस्टेरॉयड को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. उन्होंने इसे बेहद खतरनाक बताया है.

डॉ. सोमनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर एक बड़ा एस्टेरॉयड धरती से टकराता है तो इंसानियत खत्म हो जाएगी. इसरो इस समय लगातार इस एस्टेरॉयड पर नजर रख रहा है. उसे ट्रैक कर रहा है. इसकी ट्रैकिंग के लिए नेटवर्क फॉर स्पेस ऑबजेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (NETRA) प्रोजेक्ट चल रहा है. इस खतरनाक एस्टेरॉयड का नाम है एपोफिस (Apophis).

एपोफिस तीन फुटबॉल स्टेडियम, आईएनएस विक्रमादित्य, मोटेरा वाले दुनिया के सबसे नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम के बराबर है. इसकी खोज साल 2004 में की गई थी. वैज्ञानिकों को आशंका है कि यह धरती से टकरा सकता है, हालांकि टकराने की संभावना बेहद कम है लेकिन साइंटिस्ट टक्कर से मना नहीं कर रहे हैं.  

पांच साल बाद धरती के बेहद नजदीक आ जाएगा

एस्टेरॉयड एपोफिस 1230 फीट चौड़ा है. यह करीब साढ़े तीन फुटबॉल मैदान के आकार के बराबर है. धरती से इसकी टक्कर साल 2068 में धरती से टकरा सकता है. लेकिन उससे पहले यह दो बार धरती के पास से निकलेगा. एक तो अभी से पांच साल बाद 13 अप्रैल 2029 में.  तब ये धरती से मात्र 32 हजार किलोमीटर दूर से निकलेगा. इससे ज्यादा दूर तो भारत के जियोस्टेशनरी सैटेलाइट तैनात हैं. दूसरी बार साल 2036 में.

इसरो का अंदाजा है कि 300 मीटर बड़ा एस्टेरॉयड अगर धरती से टकराता है तो वह पूरे एशिया को खत्म कर सकता है. एस्टेरॉयड की टक्कर वाली जगह से चारों तरफ करीब 20 किलोमीटर के दायरे में सामूहिक संहार हो जाएगा. यानी किसी भी तरह के जीव-जंतुओं की कोई आबादी नहीं बचेगी. सब कुछ खत्म हो जाएगा.

क्षुद्रग्रहों एक बार धरती से टकराए थे और डायनासोर विलुप्त हो गए थे। 7500 साल बाद एक बार फिर ऐसा ही एक एस्ट्रॉयड अपोफिस 99942 धरती से टकराने को तैयार है। वह 18300 मील की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है और 13 अप्रैल 2029 को धरती से टकराकर तबाही मचा सकता है। इसलिए इसे ‘तबाही का देवता’ कहा जा रहा है। इस एस्ट्रॉयड को लेकर कई सालों से भविष्यवाणियां की जा रही हैं। बीच में वैज्ञानिकों ने इसके धरती से टकराने की भविष्यवाणी का खंडन किया था, लेकिन एक नई रिसर्च ने उनकी टेंशन बढ़ा दी है, क्योंकि यह एस्ट्रॉयड धरती की ओर आ रहा है।

19 जून 2004 को मिला था एस्ट्रॉयड अपोफिस

कनाडा के खगोलशास्त्री पॉल विएगर्ट ने एक रिसर्च की है, जिसमें खुलासा हुआ कि अंतरिक्ष की दुनिया में हालात ऐसे बन रहे हैं कि यह एस्ट्रॉयड धरती से निश्चित ही टकराएगा और तबाही का कारण बनेगा। यह एस्ट्रॉयड करीब 1200 फीट चौड़ा (335 मीटर) है। 13 अप्रैल 2029 को यह एस्ट्रॉयड धरती से सिर्फ 38012 किलोमीटर (23619 मील) दूर होगा। इसलिए यह चंद्रमा के सबसे नजदीक होगा और 29.98 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से उसका चक्कर लगाएगा। इस एस्ट्रॉयड को 19 जून 2004 को तलाशा गया था। मार्च 2021 में नासा ने इसके धरती से टकराने की संभावनाओं का खंडन किया था। नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) के वैज्ञानिक डेविड फरनोचिया ने ब्लॉग पोस्ट में भी इसका जिक्र किया है।

टकराव को आंखों से देख सकेंगे लोग-वैज्ञानिक

द प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, हर 7500 साल में एक एस्ट्रॉयड धरती के करीब आता है। अभी ‘तबाही का देवता’ अंतरिक्ष में घूम रहा है। अगर इसने अपनी दिशा बदल ली तो यह निश्चति ही धरती से टकराएगा। इस टकराव को लोग अपनी आंखों से देख सकेंगे। यह धरती के पूर्वी गोलार्ध में दिखाई देगा और इसे देखने के लिए किसी दूरबीन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। हालांकि जब इसे तलाशा गया था, तब इसे ऑप्टिकल दूरबीनों और रडार की जरूरत पड़ी थी, क्योंकि तब यह सूर्य की परिक्रमा कर रहा था। बता दें कि अपोफिस नाम मिस्त्र की पौराणिक कथाओं में बुराई और अराजकता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल राक्षर्स सर्प के नाम पर रखा गया है।

कैसे घूम गया धरती की तरफ?

आइए जानते हैं कि सुरक्षित कक्षा में घूमते हुए इस एस्टेरॉयड ने अचानक धरती की ओर अपना रुख कैसे कर लिया? जब अंतरिक्ष में घूमने वाला कोई पत्थर सूरज की गर्मी से अपने रास्ते में थोड़ा बदलाव करता है तो उसे यार्कोवस्की प्रभाव कहते हैं. इस प्रभाव के तहत एस्टेरॉयड की दिशा और गति बदल जाती है. यह तेजी अंतरिक्ष में उस एस्टेरॉयड की तरफ आने वाली वस्तुओं के लिए खतरनाक होती है.

क्या पक्का टक्कर होगा या नहीं?

इसरो, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक एस्टेरॉयड एपोफिस के रास्ते, गति और इससे होने वाले नुकसान का आकलन कर रहे हैं. वैज्ञानिकों ने कहा कि धरती से इसके टकराने का चांस 1.50 लाख में एक बार ही है. लेकिन इसकी सही जानकारी 2029 के फ्लाइबाय के बाद होगी. क्योंकि तब ज्यादा बेहतर गणना हो सकेगी. जब वह धरती से मात्र 32 हजार किलोमीटर की दूरी से निकलेगा.