भोपाल
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने कहा है कि अब मूल की ओर लौटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज और प्रकृति से जो लिया हैं उसे वापस लौटाने की जिम्मेदारी भी हमारी है। प्राकृतिक संसाधनों और मानव श्रम का आदर करना सीखना होगा। श्री पटेल आज यहां ट्रांसफार्मिग रूरल इंडिया – टीआरआई की पहल पर आयोजित समृद्ध ग्रामीण मध्यप्रदेश पर एक दिवसीय विचार संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
श्री पटेल ने कहा कि आजीविका के संसाधनों, प्राकृतिक संसाधनों पर जैविक दबाव बढ़ रहा है। उन्होने कहा कि जल के प्रति अत्यंत सचेत रहने का समय है। जल जीवनदायी तत्व है। जीवन बचाने के लिये इसे बचाना जरूरी है। इसे रिसायकल करने की प्रक्रिया से अलग हटते हुए पुन: उपयोग को बढ़ावा देना होगा।
श्री पटेल ने कहा कि स्वसहायता समूहों से जुड़ी मातृशक्ति मिलेट उत्पादन और मिलेट से बने खादय पदार्थो को बनाने से जुडी हैं। उन्होने कहा कि स्वसहायता समूहों की सामाजिक सुरक्षा पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि मिलेट को श्रीअन्न के रूप में बढ़ावा देकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया भर में इसकी मार्केटिंग कर दी है। यह स्वास्थ्य बढ़ाने, भुखमरी हटाने और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने वाली उपज साबित हुई है। श्री पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश में खादय प्रसंस्करण की बहुत संभावनाएं हैं। उन्होने कहा कि भारत देश में खान-पान के तौर तरीके हर पचास-सौ किलोमीटर पर बदल जाते हैं। इसलिये खादय प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की संभावनाएं है। श्री पटेल ने कहा कि दिन-प्रतिदिन आवश्यकताएं बढती जाती हैं और साथ ही संसाधनों पर भी दबाव बढ़ता जाता है।
इस अवसर पर मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल के संचालक श्री के.के. शुक्ला, टीआरआई की स्टेट लीड अलीवा दास और सीनियर समन्वयक श्री राजेश सिंह और वरिष्ठ परामर्शदाता टीआरआई श्री शहजाद खान उपस्थित थे।