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आतिशी ने ईडी के दावे को बताया झूठ और बीजेपी पर केजरीवाल की सेहत खराब करने की कोशिश का लगाया आरोप

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नई दिल्ली,20अप्रैल। दिल्ली की मत्री आतिशी ने प्रवर्तन निदेशालय के इस दावे की झूठ बताया कि केजरीवाल अपने बल्ड शुगर के स्तर को बढ़ाने के लिए मीठा भोजन कर रहे थे। आतिशी ने कहा कि केजरीवाल चाय में स्वीटनर परिछिटोल ले रहे है. ओ उनके डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया गया है। आतिशी ने कहा कि आप क्या खाना खाते हैं और कौन-सा व्यायाम करते है, यह सब मधुमेह के रोगी के लिए आवश्यक है। यही वजह है कि कोर्ट ने उन्हें घर का बना खाना खाने की इजाजत दे दी है। लेकिन बीजेपी अपनी सहयोगी संस्था ईडी की मदद से अरविंद केजरीवाल की सेहत खराब करने की कोशिश कर रही है।

आतिशी ने आरोप लगाया कि जेल में अरविंद केजरीवाल की हत्या की साजिश की जा रही है। आतिशी की उपरोक्त प्रतिक्रिया तब आई जब वीडियो कान्फ्रेंसिंग से चिकित्सक से सलाह लेने की अनुमति देने की मांग संबंधी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अर्जी का ईडी ने विरोध किया। राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा के समक्ष ईडी ने तर्क दिया कि केजरीवाल जमानत के लिए आधार बनाना चाहते हैं और इसीलिए उनके आहार चार्ट में मिठाई और आम शामिल है। ईडी के अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने कहा कि केजरीवाल हाई ब्लड शुगर का दावा करते हैं, लेकिन वह जेल के अंदर मिठाई, आम खाने के साथ चीनी वाली चाय पी रहे हैं। ईडी ने यह तर्क तब दिए जब, अर्जी पर सुनवाई शुरू होने पर केजरीवाल की तरफ से पेश अधिवक्ता विवेक जैन ने अदालत को बताया कि बेहतर आवेदन दायर करने के लिए यह आवेदन वापस लिया जा रहा है। ईडी के अधिवक्ता ने आवेदन में शुगर के ज्यादा बढ़ने के बिंदु पर चिंता व्यक्त करते कहा कि हमने जेल अधिकारियों को लिखा और उनसे पूछा है कि एक अप्रैल के अदालत के आदेश के तहत दी गई घर का खाना खाने की अनुमति के तहत क्या केजरीवाल आहार और दवाएं ले रहे हैं। इसमें पता चला कि मधुमेह की बीमारी का दावा करने वाले केजरीवाल आम, मिठाई और चीनी वाली चाय पी रहे हैं। निश्चित तौर पर केजरीवाल ऐसा जमानत का आधार तैयार करने के लिए कर रहे हैं। जैन ने कहा कि आवेदन वापस लिया जा रहा है और ईडी द्वारा यह बयान सिर्फ मीडिया के लिए दिया जा रहा है। कोर्ट ने आवेदन का निपटारा करते हुए तिहाड़ जेल अधिकारियों से केजरीवाल के आहार सहित मेडिकल रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। केजरीवाल ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि उनके ब्लड प्रेशर के स्तर में उतार-चढ़ाव ही रहा है और इसलिए वह अपने नियमित चिकित्सक से परामर्श करना चाहते हैं।

उपरोक्त आरोप से पहले दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया था कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी उनकी सरकार को गिराने के लिए एक राजनैतिक साजिश है। हमें विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि आने वाले दिनों में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा। लेकिन दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाना गैरकानूनी और जनादेश के खिलाफ होगा। आतिशी ने दावा किया था कि पिछले कुछ महीनों में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जो इस आशंका की ओर इशारा करती है। मंत्री अनुसार पिछले कुछ महीनों से किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को दिल्ली में तैनात नहीं किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभागों में पद खाली पड़े हैं लेकिन कोई तैनाती नहीं हुई है। नौकरशाहों ने आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए मंत्रियों द्वारा बुलाई जाने वाली बैठकों में आना बंद कर दिया है। उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर गृह मंत्रालय को पत्र लिख रहे हैं। दिल्ली प्रदेश की सरकार और केंद्र की सरकार के बीच जो राजनीतिक लड़ाई पिछले कुछ वर्षों से चल रही है उसका स्तर कहां पहुंच गया है, यह उपरोक्त तथ्यों से भली भांति समझा जा सकता है।

मूल रूप से मुद्दा यह है कि क्या जेल के भीतर से सरकार चलाई जा सकती है। संविधान इस मुद्दे पर चुप है, जिसका अर्थ यही है कि जेल के अंदर से सरकार बलाई जा सकती है। लेकिन जेल के नियम और नैतिकता के आधार पर यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि जेल के भीतर से सरकार चलाना संभव नहीं है, क्योंकि एक नहीं अनेक संवैधानिक कठिनाइयां है।

दिल्ली में राष्ट्रपति शासन तो तभी लगेगा जब केंद्र सरकार केजरीवाल सरकार को भंग करे। ‘आप’ की दिल्ली विधानसभा में विधायकों की संख्या को देखते हुए ऐसा कदम उठाना सरकार के लिए वर्तमान में तो मुश्किल है, लेकिन 4 जून को जब लोकसभा चुनावों में भाजपा को विजय प्राप्त होती है और मोदी सरकार पुनः सत्ता में आती है जिसकी पूरी संभावना है, तब केजरीवाल सरकार को भंग करना आसान हो जाएगा।

उपरोक्त स्थिति पैदा होने से पहले ही आम आदमी पार्टी को उत्पन्न हुई राजनीतिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अरविंद केजरीवाल के विकल्प के रूप में उनकी धर्मपत्नी या किसी अन्य वरिष्ठ नेता को केंद्र में रखते हुए अपनी तैयारी तो करनी ही चाहिए। मात्र आरोप लगाने से तो बात नहीं बनने वाली। राजनीति की राहें टेढ़ी और पथरीली भी होती है, इस बात का एहसास तो आतिशी सहित ‘आप’ के वरिष्ठ नेताओं को अब तक हो ही गया होगा।