राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भारतीय ज्ञान प्रणाली के साथ वैश्विक नागरिक बनने हेतु आवश्यक शिक्षा के आविष्कार के रूप में समझें : प्रो एम.एम. गोयल
लखनऊ,02मार्च। “राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को भारतीय ज्ञान प्रणाली के साथ वैश्विक नागरिक बनने हेतु आवश्यक शिक्षा के आविष्कार के रूप में समझें ” ये शब्द पूर्व कुलपति एवं नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक तथा कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोयल ने कहे । वह आज सरला द्विवदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अकबरपुर (कानपुर देहात) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में प्रतिभागियों को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उनका विषय “विकसित भारत हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति: अवसर और चुनौतियाँ ” था । कॉलेज के निदेशक प्रो. विवेक द्विवेदी ने स्वागत भाषण दिया। सेमिनार के संयोजक डॉ. काशी नरेश सिंह ने प्रो एम.एम. गोयल की उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. प्रभा गुप्ता एचओडी अर्थशास्त्र विभाग, अकबरपुर डिग्री कॉलेज अकबरपुर, कानपुर देहात ने प्रवर्तक नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के सम्मान में एक कविता पढ़ी। प्राचार्य डॉ. प्रभाकांत मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में सूत्रधार की भूमिका डॉ.शारदा पांडे ने निभाई।
प्रो. गोयल ने समझाया एनईपी को नवाचार (आविष्कार का अनुप्रयोग) बनाने हेतु शैक्षणिक नेतृत्व तथा शिक्षकों की बिरादरी को स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) अकादमिक नेता बनने के लिए साहसी, साहसी और उत्साही होना चाहिए।
प्रो. गोयल का मानना है कि संस्थागत प्रबंधन में नीडो-गवर्नेंस के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के अलावा शैक्षणिक नेतृत्व में आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता (एसआई) की भी आवश्यकता होती है।
नीडोनोमिस्ट गोयल ने समझाया कि शिक्षकों की प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाने हेतु हमें गीता-आधारित नीडोनोमिक्स को एक सामान्य ज्ञान दृष्टिकोण के रूप में समझना और अपनाना चाहिए, जो समग्र शिक्षा के लिए आवश्यक और पर्याप्त शर्त है ।
प्रो. गोयल का मानना है कि अति-जनसंख्या के साथ लापरवाह को सावधान और बेकार को उपयोगी युवाओं में बदलना नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में सबसे बड़ी चुनौती है ।
प्रो. गोयल का मानना है कि चिंतनशील बनने हेतु आमने-सामने शिक्षण की आवश्यकता है, और ऑनलाइन शिक्षा बस रुचि पैदा कर सकती है और क्लास रूम का विकल्प नहीं बन सकती ।
प्रो. गोयल ने कहा, हमें एनईपी को लागू करने के लिए ई-शिक्षण और ई-लर्निंग की सीमाओं पर काबू पाने के लिए रणनीतियों पर काम करना होगा।
प्रो. गोयल का मानना है कि एनईपी को समग्र शिक्षा के लिए पर्याप्त बनाने हेतु हमें इसके कार्यान्वयन में चुनौतियों को कम करने के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मॉडल को अपनाना चाहिए।
प्रो. गोयल ने कहा कि समग्र शिक्षा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को पर्याप्त बनाने हेतु हमें इसके कार्यान्वयन में चुनौतियों को कम करनI होगा।
मुख्य वक्ता प्रो. गोयल ने समझाया कि समग्र शिक्षा का उद्देश्य शैक्षणिक उपलब्धि से आगे बढ़ना और व्यक्तित्व के सभी आयामों का पोषण करना, सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक और नैतिक आयामों सहित एक सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना है जो व्यक्तियों को नीडो-समाधान हेतु तैयार करता हैI