“भारत क्वांटम प्रौद्योगिकी में वैश्विक प्रगति की बराबरी करने के लिए तैयार है”: डॉ. जितेंद्र सिंह
भारत ने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर में हीमोफिलिया ए के लिए जीन थेरेपी का पहला मानव नैदानिक परीक्षण कर लिया है: डॉ. जितेंद्र सिंह
नई दिल्ली,29 फरवरी। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह बुधवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024” कार्यक्रम को संबोधित कर रहे हैं।
भारत ने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर में हीमोफिलिया ए (FVIII की कमी) के लिए जीन उपचार (थेरेपी) का पहला मानव नैदानिक परीक्षण कर लिया है।
यह खुलासा आज यहां केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान भवन में “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि यह कार्यक्रम जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी-डीबीटी) के इनस्टेम (आईएनएसटीईएम) बेंगलुरु की एक इकाई के सेंटर फॉर स्टेम सेल रिसर्च, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) , वेल्लोर में एमोरी यूनिवर्सिटी, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के सहयोग से समर्थित है। परीक्षणों में रोगी के स्वयं के हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल में FVIII ट्रांसजीन को व्यक्त करने के लिए एक लेंटिवायरल वेक्टर का उपयोग करने की एक नई तकनीक का उपयोग करना शामिल था जो फिर विशिष्ट विभेदित रक्त कोशिकाओं (स्पेसिफिक डिफ़रेंशिएटेड ब्लड सेल्स) से FVIII को व्यक्त करेगा।
मंत्री महोदय ने आशा व्यक्त की कि इस वेक्टर का विनिर्माण भारत में शीघ्र ही शुरू होगा और यह आगे के नैदानिक परीक्षणों के साथ प्रगति करेगा ।
यह कहते हुए कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस नोबेल पुरस्कार विजेता सर सीवी रमन द्वारा “रमन प्रभाव” की खोज के उल्लास का समारोह है, डॉ. जितेंद्र सिंह ने सी.वी. रमन के इन शब्दों को स्मरण किया कि भारत केवल विज्ञान, अधिक विज्ञान और आगे भी अधिक विज्ञान के माध्यम से प्रगति कर सकता है और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद, भारत वास्तव में “रमन प्रभाव” के अंतर्गत है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी जी विज्ञान को बहुत उच्च प्राथमिकता देते हैं और यही दोहराते रहते हैं विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनिवार्य है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की विशाल प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की जैव-अर्थव्यवस्था पिछले 10 वर्षों में 13 गुना बढ़कर 2014 में 10 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर से अधिक की हो गई है।
उन्होंने कहा कि “भारत को विश्व के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में स्थान दिया गया है, जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न और डीएसटी के तहत इनक्यूबेटर लगभग 1.5 लाख युवाओं को नौकरी के अवसर प्रदान कर रहे हैं। अरोमा मिशन और बैगनी क्रांति (पर्पल रिवोल्यूशन) विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि परिवर्तन के उदाहरण हैं, जिन्होंने कृषि-स्टार्टअप के लिए एक नया रास्ता भी दिया है।”
उन्नत प्रौद्योगिकियों में भारत के प्रयासों पर बोलते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “भारत क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीन लर्निंग में वैश्विक मानकों से मेल खाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हम न केवल एकमत हैं बल्कि कुछ अर्थों में दूसरों से आगे भी हैं। उन्होंने आगे बताया कि एआई की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए हम विभिन्न स्तरों पर ह्यूमन इंटरफेस का भी उपयोग कर रहे हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) में समान अवसर के कारण महिला वैज्ञानिकों की बढ़ती भूमिका पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री मोदी जी के अंतर्गत महिला वैज्ञानिक समुदाय सशक्त हुआ है क्योंकि अंतरिक्ष मिशन सहित कई वैज्ञानिक संस्थान और कार्यक्रम महिलाओं के नेतृत्व वाले हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन पर भी विश्वास व्यक्त किया कि यह अनुसंधान और विकास के लिए एक वरदान साबित होगा क्योंकि सरकार ने इसे न केवल वैज्ञानिकों और उद्योग बल्कि सामाजिक विज्ञान और मानविकी के शोधकर्ताओं का एक व्यापक मंच बनाने के प्रयास किए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाल की वैज्ञानिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में यह रेखांकित किया जा सकता है कि पिछले 10 वर्षों में भारत के बढ़ते प्रक्षेपवक्र (ट्रेजेक्ट्री) को विश्व स्तर पर देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि “हम वैज्ञानिक अनुसंधान प्रकाशनों में विश्व स्तर पर शीर्ष पांच देशों में से एक हैं और वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स -(जीआईआई) में 2015 में 81वें स्थान से उल्लेखनीय वृद्धि दिखाते हुए अब 40वें स्थान पर हैं और हमारी पेटेंट फाइलिंग 90,000 को पार कर गई है जो दो दशकों में सबसे अधिक है।”
“यह सब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- एआई), खगोल विज्ञान, सौर और पवन ऊर्जा, अर्धचालक (सेमीकंडक्टर्स), जलवायु अनुसंधान, अंतरिक्ष अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में प्रधानमंत्री मोदीजी के अंतर्गत देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ किए जाने के कारण है। भारतीय वैज्ञानिक सफलताएँ प्रयोगशाला से चंद्रमा तक पहुँच गई हैं; और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ भारत यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला पहला देश बन गया है ।”
इस अवसर पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईआईटी हैदराबाद, बिट्स (बीआईटीएस) पिलानी, आईसीटी मुंबई आदि के प्रमुखों को सम्मानित करते हुए साथी संकुल (साथी- एसएटीएचआई क्लस्टर) के एक संग्रह का अनावरण किया। उन्होंने ‘विकास: भारत ई-मोबिलिटी के लिए प्रौद्योगिकी आधारित पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करना’ विषय पर एक श्वेत पत्र भी जारी किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. सारस्वत ने बताया कि वर्तमान में 15 कंपनियां स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके हमारे सैनिकों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट का उत्पादन कर रही हैं क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा है कि बुलेट प्रूफ जैकेट की कमी के कारण किसी भी सैनिक को शहीद नहीं होना चाहिए।
अपने संबोधन में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. ए. के. सूद ने साझा किया कि ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्य समूह (रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप – आरयूटी) ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण भारत में अन्तर्निहित क्षमता को पहचानता है।
उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा कि “यह अच्छी तरह से स्पष्ट है कि हमारे वैज्ञानिक प्रयासों में न केवल हमारे देश के भविष्य को आकार देने की शक्ति है, बल्कि वैश्विक उन्नति में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान है”।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की महानिदेशक (डीजी-सीएसआईआर) डॉ. कलैसेल्वी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) की प्रमुख डॉ. रश्मि शर्मा ने भी समारोह को संबोधित किया।
‘रमन प्रभाव’ की खोज के उपलक्ष्य में हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) मनाया जाता है। भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में नामित किया। इस दिन सर सी.वी. रमन ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की घोषणा की थी जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पूरे देश में विषयवस्तु (थीम) आधारित विज्ञान संचार गतिविधियाँ की जाती हैं। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2024 का विषय ‘विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’ था।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने ठोस वैक्सीन विकास क्षमता में भारत की प्रगति जो कि कोविड महामारी के दौरान प्रमाणित भी हुई, को स्वीकारते हुए कहा कि भारत को अब निवारक स्वास्थ्य देखभाल में एक वैश्विक नेता के रूप में जाना जाता है।