Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

सरकार सैन्य विमानन में गुणवत्ता आश्वासन के लिए प्रतिबद्ध है: रक्षा सचिव

95
Tour And Travels

नई दिल्ली, 4जुलाई। रक्षा सचिव  गिरिधर अरामाने ने कहा कि सरकार सैन्य विमानन में गुणवत्ता आश्वासन (क्यूए) सुनिश्चित करने और रक्षा विनिर्माण उद्योग के स्वदेशीकरण से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के क्रम में उचित उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है। वे 3 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली में “स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सैन्य विमानन में क्यूए सुधार” विषय पर आयोजित कार्यशाला में मुख्य भाषण दे रहे थे। रक्षा सचिव; वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीएक्यूए), रक्षा मंत्रालय और सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) द्वारा आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि थे।

रक्षा सचिव ने आगे कहा कि देश प्रधानमंत्री के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से जुड़े विजन के अनुरूप प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक चुनौती है, लेकिन प्रणालियां स्थापित की जा रही हैं और इसे हासिल करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने निजी क्षेत्र से वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन अनुसंधान एवं परीक्षण में और अधिक निवेश करने का आग्रह किया।

विमानन क्षेत्र एक जटिल क्षेत्र है, जिसमें उन्नत प्रौद्योगिकी और सुरक्षा एवं मिशन की सफलता से संबंधित महत्वपूर्ण विचार शामिल होते हैं। इन जोखिमों को दूर करने के लिए, वैश्विक विमानन उद्योग राज्य या सरकारी एजेंसियों द्वारा शासित उड़ान योग्यता रूपरेखा के तहत काम करते हैं। भारत में, डीजीएक्यूए से युक्त तकनीकी उड़ान योग्यता प्राधिकरण (टीएए) गुणवत्ता आश्वासन के माध्यम से उड़ान योग्यता सुनिश्चित करता है। सैन्य उड़ान योग्यता और प्रमाणन केंद्र (सीईएमआईएलएसी) डिजाइनों की उड़ान योग्यता सुनिश्चित करता है तथा सभी भारतीय विमानन उद्योगों के लिए उड़ान योग्यता प्रमाणन और गुणवत्ता आश्वासन प्रदान करता है।

भारत सरकार के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में, डीजीएक्यूए भारतीय रक्षा आवश्यकताओं के लिए संभावित आपूर्तिकर्ता बनने और राष्ट्रीय रक्षा तैयारियों में योगदान देने के लिए विभिन्न पहल कर रहा है, ताकि अधिकतम संख्या में विमानन उत्पाद निर्माताओं को शामिल किया जा सके।

कार्यशाला का प्राथमिक उद्देश्य डीजीएक्यूए द्वारा वित्तीय सहायता व मार्गदर्शन पहलों को रेखांकित करना है, जो भारतीय निर्माताओं को रक्षा विमानन विनिर्माण व्यवसाय में प्रवेश करने की सुविधा प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त, कार्यशाला का उद्देश्य स्वदेशी विनिर्माण की क्षमता को बढ़ाने के लिए समर्थन और सहायता से संबंधित किसी भी अन्य आवश्यकता की पहचान करना है। कार्यशाला में रक्षा मंत्रालय, भारतीय वायु सेना, सेना विमानन, नौसेना विमानन, भारतीय तटरक्षक, डीआरडीओ लैब्स, सीईएमआईएलएसी के वरिष्ठ अधिकारियों तथा भारतीय विमानन उद्योग के अग्रणी व्यक्तियों ने भाग लिया।