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मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय मंत्री परशोत्तम रूपाला ने तटीय महाराष्ट्र के मछुआरों से सागर परिक्रमा यात्रा फेज V के दौरान की बातचीत

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नई दिल्ली, 19 मई।सागर परिक्रमा यात्रा भारत सरकार की एक पहल है जिसके, अंतर्गत मत्स्य उद्योग में लगे मछुआरों और अन्य हितधारकों की आर्थिक उन्नति के लिए उनकी समस्याओं को हल करना और भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न  मत्स्य योजनाओं और कार्यक्रमों  जैसे- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ उन तक पहुंचाना है।

मत्स्य विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत सरकार और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के साथ मत्स्य पालन विभाग, महाराष्ट्र सरकार, गोवा सरकार, भारतीय तटरक्षक  दल और मछुआरों के प्रतिनिधि सागर परिक्रमा चरण पांच का अवलोकन कर रहे हैं।  जिसकी शुरूआत गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई से 17 मई को हुई और यह करंजा (रायगढ़ जिला) मीर कारवाड़  (रत्नागिरी जिला) वास्को, मोरमुगांव, कैनाकोना (दक्षिणी गोवा) जैसे तटीय क्षेत्रों की ओर आगे बढ़ रहा है।

डॉ. अभिलक्ष लिखी आईएएस ओएसडी (मत्स्य पालन) डॉ. जुजावरापु बालाजी, संयुक्त-सचिव समुद्री मत्स्य पालन, डॉ. अतुल पटने आईएएस सचिव मत्स्य पालन, महाराष्ट्र सरकार, डॉ. एल एन मूर्ति राष्ट्रीय मत्स्य पालन विकास बोर्ड की उपस्थिति में केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री  परशोत्तम रूपाला ने इस समारोह की शोभा बढ़ाई और सागर परिक्रमा यात्रा के पांचवें चरण का शुभारंभ किया।

‘सागर परिक्रमा’ का पहला चरण गुजरात में 5 मार्च 2022 को मांडवी से शुरू हुआ और 6 मार्च 2022 को पोरबंदर में समाप्त हुआ। सागर परिक्रमा के द्वितीय चरण की शुरुआत 22 सितंबर 2022 को मांगरोल से वेरावल तक और 23 सितंबर को मूल-द्वारिका से मारवाड़ तक यह यात्रा थी और यह मूल-द्वारिका में समाप्त हुई। ‘सागर परिक्रमा’ के तीसरे चरण की शुरुआत 19 फरवरी 2023 को सूरत गुजरात से हुई और यह 21 फरवरी 2023 को सैशन-डॉक मुंबई में समाप्त हो गया। चौथे चरण के कार्यक्रम की शुरुआत 17 मार्च 2023 को गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह से शुरू होकर 19 मार्च 2023 को मैंगलोर में समाप्त हुआ।

दूसरे दिन के कार्यक्रम के शुरुआत में केंद्रीय मत्स्य-पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत मछुआरे महिला और पुरुषों द्वारा आई-ना-लाई नृत्य और  पुष्पगुच्छ  के साथ वेलदूर (रतनागिरी जिले) में किया गया। डॉ. अतुल पटने आईएएस सचिव मत्स्य पालन महाराष्ट्र सरकार ने अपने परिचयात्मक भाषण में सागर परिक्रमा के पांचवें चरण पर प्रकाश डालते हुए तटीय समुदायों और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में मछुआरों द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा मत्स्य उद्योग में शामिल लोगों की आजीविका और समुद्री संसाधनों के संतुलन को बनाए रखने के लिए स्थायी मछली पकड़ने के तरीकों और मछुआरों के  कल्याण को ध्यान में रखना आवश्यक है।

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परशोत्तम रूपाला, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने बेलदूर (जिला रत्नागिरी) में मौजूद लाभार्थियों, मछली-पालकों और मछुआरों के साथ बातचीत की। यहाँ मौजूद विभिन्न लाभार्थी थे- बिट्ठल भालेकर, पीएम चौगले, मकबूल हुसैन जंभरकर। बिट्ठल भालेकर और अन्य लाभार्थियों ने अपने जमीनी अनुभव साझा करते हुए मछुआरों की स्थानीय समस्याओं के बारे में भी बात की। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला इस बात से बहुत प्रसन्न थे कि बातचीत के इस सत्र से  मछुआरों, मछली-पालकों को अपने जमीनी हकीकत और अनुभवों को साझा करने के  साथ ही मत्स्य-पालन से जुड़ी उनकी समस्याओं जैसे मत्स्य-पालन से संबंधित नियमों और विनियमनों के मानकीकरण से जुड़े मुद्दों को अभिव्यक्त करने का मौका मिला। इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से मछली पालकों ने मछली पालन के अपने तरीके और आय का मूल्यांकन किया।  उन्होंने जानकारी  देते हुए बताया कि मत्स्य क्षेत्र के विकास में सुधार के लिए कई मुद्दों पर काम किया जाएगा और मत्स्य पालकों, मछुआरों और लाभार्थियों को प्रधानमंत्री मतस्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाए) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से मत्स्य पालन के मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री मत्स्य पालन, पशुपालन डेयरी मंत्रालय परशोत्तम रूपाला ने मनोरी गांव के ग्रामीणों की सराहना की और उन्हें मत्स्य पालन के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए ₹54,00,000 का चेक दिया। मछुआरों ने आगे आकर मछली पालन के स्थायी तौर तरीकों और मछुआरों की आजीविका के लिए केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला को अपना आवेदन भी दिया।

केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्री  परशोत्तम रूपाला ने मीर कारवाड़ (जिला रतनागिरी) की अपनी यात्रा आगे जारी रखी जहाँ, उनका स्वागत मछुआरों, मत्स्य-पालकों और महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों द्वारा पुष्पहार और पुष्प-गुच्छों से किया गया। उन्होंने मीरकारवाड़  और मिरिया गांव का दौरा भी किया जहाँ वे मत्स्य पालकों, मछुआरों से मिलकर उनके क्षेत्र की चुनौतियों और अवसरों के बारे में जानकारी ली। साथ ही उनकी मदद के लिए की गई सरकार की पहल की जानकारी भी उन्हें दी। करीब 8000 मछुआरों, मत्स्य पालकों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम को में भाग लिया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य व्यक्तियों और लाभार्थियों यानी मछुआरों, मछली पालकों और अन्य हितधारकों की उपस्थिति में स्वातंत्रय वीर सावरकर नाट्यगृह मारुति मंदिर जिला रत्नागिरि में शुरू हुआ। कार्यक्रम में निम्नलिखित गणमान्य व्यक्तियों ने भागीदारी की परशोत्तम रूपाला केंद्रीय मंत्री पशुपालन और डेयरी, 2. उदय सामन्त उद्योग मंत्री महाराष्ट्र सरकार, 3. डॉ. अभिलाष लिखी ओएसडी मत्स्य पालन भारत सरकार, 4. एन तिवारी ओएसडी जीओआई, 5. डॉ. अतुल पटने आईएएस सचिव मत्स्य पालन महाराष्ट्र सरकार, 6. डॉ. जे बालाजी आईएएस संयुक्त सचिव समुद्री मत्स्य पालन, 7.रामसिंह, 8.एल एन मूर्ति राष्ट्रीय मत्स्य पालन विकास बोर्ड, 9. डॉक्टर संजय पांडे डिप्टी कमिश्नर 10.पंकज कुमार एम् डी एमएफडी सी 11. डॉक्टर नियति जोशी डायरेक्टर ऑफ फिशरीज जीआईओ 12. देवेन्द्र सिंह रतना गिरी कलेक्टर 13.  धनंजय कुलकर्णी पुलिस अधीक्षक रत्नागिरि, 14. भक्ति पे जे मछली उद्योग विकास अधिकारी 15.  महेश देवरे ज्वाइंट कमिश्नर मरीन 16. युवराज चौगले जॉइंट कमिश्नर ब्रैकिश वाटर 17. अमर पटेल असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ फिशरी सांगली 18. अभय देशपांडे क्षेत्रीय उप कमिश्नर पुणे 19 ,एन वी भादू लें असिस्टेंट कमिश्नर फिशरी 20. मछली पालन विभाग के सभी वरीष्ठ अधिकारी भारत सरकार 21. भारतीय तटरक्षक दल के सभी वरिष्ठ अधिकारी, फिशरी सर्वे ऑफ इंडिया, महाराष्ट्र मैरिटाइम बोर्ड और मछुआरों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. अतुल पटने आईएएस सचिव मत्स्य पालन महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक स्वागत भाषण दिया गया जिसमे कार्यक्रम में शामिल होने वाले अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया गया।पुरुषोत्तम रूपाला केंद्रीय मत्स्य पालन और पशुपालन डेयरी मंत्री ने निम्नलिखित मछुआरों i. अमजद बोरकर ii। इमरान मुकादम iii. महेश नाटेकर iv.  विजय खेडेकर v. तनय शिवलकर vi. योगिनी भाटकर  के साथ उनकी जरूरतों और समस्याओं को समझने के लिए बातचीत की ताकि, मछुआरों और मछली किसानों को बेहतर संचार और जागरूकता के साथ सहयोग किया जा सके।  जिसका मछुआरों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है  और स्थाई मत्स्य प्रबंधन में  भी उनका योगदान होता है।

उन्होंने केसीसी के प्रचार पर विमर्श किया और उत्साह पूर्वक जोड़ा कि महाराष्ट्र के तटीय जिलों में शिविर आयोजित कर मछुआरों और मछली किसानों को केसीसी पंजीकरण और इसके लाभों के बारे में जागरूक किया गया है। इसके अलावा उन्होंने मछुआरों, मतस्य पालकों और अन्य हितधारकों को किसान क्रेडिट कार्ड और क्यूआर कोड आधार कार्ड, ई श्रम कार्ड से सम्मानित किया। इन लाभार्थियों की सूची निम्नलिखित है  पीएमएसवाई के तहत (ऋतुजा सावंत,  पूनम शेट्टी,  नसरीन भाटकर) ii.  केसीसी कार्ड के तहत ( रमेश सहदेव पाटिल,  मंसूर हतोडकर,  समीना वजूद बेबाजी iii. क्यूआर कोड, आधार कार्ड के तहत ( गजानन हेडवाकर, विलास खवाडकर तेजस शिवलकर,  इमरान मुकादम,  सुहेल ए खदिर नखवा,  जमील आदिल वाडकर।)

सागर परिक्रमा मछुआरों से जुड़े तटीय इलाकों की समस्याओं को समझने और मत्स्य पालकों के साथ सीधे संवाद करने के लिए तथा दूर तक पहुँच बनाने की सरकारी रणनीति को दर्शाने वाला कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के चरण 1,2,3 और 4 ने मछुआरों के लिए विकास की रणनीति में बड़े पैमाने पर बदलाव लाए हैं।  सागर परिक्रमा कार्यक्रम का मछुआरों और मछली पालकों ने खुले दिल से स्वागत किया और वे इसे अपने विकास के साधन के रूप में देख रहे हैं इसलिए जलवायु परिवर्तन और सतत विकास सहित  मछुआरों की आजीविका और समग्र विकास पर इस सागर परिक्रमा का प्रभाव दूरगामी होगा।

अगले चरण में भी यह कार्यक्रम ऐसे ही जारी रहेगा जहाँ परशोत्तम रूपाला केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्री अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ वॉस्को, मोरमुगावं, कनकोना (दक्षिणी गोवा) के तटीय क्षेत्र में अन्य स्थानों का दौरा करेंगे।