यूनाइटेड किंगडम में भारतीय छात्रों से बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा : भारत को अपने प्रवासी भारतीयों पर गर्व है
नई दिल्ली, 08 मई। यूनाइटेड किंगडम में भारतीय छात्रों से बातचीत उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, यह यात्रा मेरे लिए हमेशा स्मरणीय रहेगी, मैं इसे संजो कर रखूंगा। माननीय सांसदों के साथ मेरा महत्वपूर्ण प्रबुद्ध वार्तालाप हुआ है। यह ऐसा अवसर नहीं है कि मैं एक लंबा भाषण दूँ, लेकिन मैं एक बात अवश्य कहना चाहूँगा कि भारत को अपने प्रवासी भारतीयों पर गर्व है। वे भारत के 24X7 एंबेसडर हैं। यहां पर 1.7 मिलियन और पूरी दुनिया में 32 मिलियन। मिसाल के तौर पर उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए और उनकी इस मिसाल को हर तिमाही में स्वीकार किया जाता है कि वे अपनी कर्मभूमि और जन्मभूमि के लिए भी पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और अपने अदभुद सामर्थ्य के साथ इस शानदार संतुलन को बनाए रखते हैं।
एक घटना याद करते हुए उन्होंने कहा ,जब प्रधानमंत्री जी ने मन की बात के 100 एपिसोड पूरे किए थे और मुझे उसका उद्घाटन करना था। मन की बात जनता के साथ एक नेता का दुनिया का सबसे प्रभावशाली संवाद है और यह पूरी तरह से अराजनैतिक है और स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और जीवन में अन्य अच्छी चीजों के संबंध में क्रांति लाने वाला सिद्ध हुआ है। यह छात्रों को तनाव से निपटने, भय मुक्त रहने और असफलता के डर से निपटने के तरीके बताता है। आमिर खान भी वहां मौजूद थे तो मैंने उन्हें बताया कि उन्होंने अपनी फिल्म 3 इडियट्स में कहा था, “मैं कमजोर छात्रों का हाथ नहीं छोड़ता”। मैं भी अच्छे निमंत्रण को छोड़ता नहीं हूं इसलिए उच्चायुक्त ने इशारा किया है कि वे सुनिश्चित करेंगे कि मैं यहां फिर से आऊं।
उपराष्ट्रपति ने कहा ,यदि हम वर्तमान स्थिति को वैश्विक दृष्टिकोण से देखें तो हमारा डीएनए इतना मजबूत है कि हमारी बौद्धिक क्षमता का कोई मुक़ाबला नहीं है। हम जहां भी जाते हैं शानदार प्रदर्शन करते हैं और यह केवल छात्र स्तर तक ही सीमित नहीं है बल्कि जब वे स्नातक होते हैं, तो उनका प्रभाव हर जगह महसूस किया जाता है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, एक चीज जिससे हमें अपने देश में निपटना पड़ा है वह थी व्यवस्था की कमी। कई देश जो विकसित देशों के रूप में जाने जाते हैं उनके बारे में मेरा अवलोकन आलोचनात्मक नहीं बल्कि विश्लेषणात्मक है, मेरा मानना है कि वे औसत दर्जे पर फलते-फूलते हैं, लेकिन वे आगे बढ़ते हैं क्योंकि वहां एक व्यवस्था है।
उन्होंने कहा ,पिछले आठ वर्षों से, सिस्टम में भी हम काफी प्रगति कर रहे हैं। इसलिए हमारा भारत इस समय बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है इतनी तेजी से पहले कभी नहीं बढ़ा था, और भारत का यह विकास अजेय है रुकने वाला नहीं है। भारत के उदय को अब विश्व स्तर पर मान्यता मिल रही है। सितंबर 2022 में, देश के मानव संसाधन की बदौलत भारत हमारे पूर्व औपनिवेशिक शासकों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया, इस दशक के अंत तक, सभी ओर से ऐसे संकेत मिल रहे हैं, हम तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था होंगे। विश्व की तनावपूर्ण स्थिति में भी, सभी मानकों पर, हम सबसे तेजी से बढ़ती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था हैं। महंगाई काबू में है। भारत आज अवसर और निवेश के लिए एक वैश्विक गंतव्य बन गया है। ऐसा तो कभी सपने में भी नहीं सोचा गया था कि ये दिन भी आएंगे। इसे कहते हैं अच्छे दिन आ गए और अब भारत में सब कुछ मुमकिन है।
उन्होंने आगे कहा, अपनी बात के समर्थन में मैं आपको कुछ आंकड़े देता हूं। दिसंबर 2022 में जो आंकड़े आए उन्होंने संकेत दिया कि भारत में किया गया डिजिटल लेनदेन अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में किए गए कुल लेन देन से चार गुना अधिक है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, एक समय था जब पासपोर्ट, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना, बिल भरना या सरकारी सहायता प्राप्त करना कठिन काम था, रेल टिकट लेने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगानी पड़ती थीं। अब क्या हो गया? कोई लंबी कतारें नहीं हैं, वास्तव में कोई कतारें ही नहीं हैं। तकनीकी क्रांति ने हमारे समाज को कल्पना से परे बदल दिया है। यह मुख्य रूप से युवाओं के कारण संभव हुआ है। हमारे युवा कौशल को इतनी तेजी से अपनाते हैं जैसे बत्तख पानी को अपनाती है। अब आप किसी भी गांव में जाइए, सब आसानभी गया उपाय, कोई आपको पासपोर्ट बनवाने के लिए गाइड करेगा और वहां से अपना सिस्टम ऑपरेट करेगा, कोई आपका टिकट बुक करेगा, कोई आपका ड्राइविंग लाइसेंस दिलाएगा। बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया गया है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, जब हम स्टार्टअप्स और यूनिकॉर्न्स की बात करते हैं, तो हमसे दुनिया ईर्ष्या करती है। यह हमारे युवा लड़के और लड़कियों द्वारा संभव किया गया है, और जब हम इन उपलब्धियों पर जाते हैं, तो लड़कियों का पल्ला भारी है, उनकी उपलब्धियां ज्यादा हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा ,आधार कार्ड को ही ले लो, 99.9% भारतीय इससे जुड़े हुए हैं। यह आधार कार्ड नि:शुल्क है। यदि आप अन्य देशों की व्यवस्थाओं को देखें तो आपको ऐसा कहीं नहीं मिलेगा और यह 100% राज्य के स्वामित्व में है। एक नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा है कि बड़े लोकतंत्रों में यह दुनिया का सबसे प्रभावशाली कार्यक्रम है।
उपराष्ट्रपति ने कहा ,अब वे कौन सी बड़ी उपलब्धियां हैं जो हमें एक अलग रास्ते पर लाए हैं? मैं उन्हें आपके साथ साझा करूंगा। मुझे यकीन है कि आप सोचेंगे और मेरे साथ सहमत होंगे। इस समय भारत के पास एक उत्कृष्ट कप्तान है, हमारे प्रधान मंत्री, जिन्होंने केवल आठ वर्षों में इसे तीसरी दुनिया के एक देश से वैश्विक महाशक्ति में बदल दिया है। लगातार, वह समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बना रहे हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर में हमारी भारतमाला और सागरमाला, ये बहुत बड़े शब्द हैं, लेकिन वे आज जमीनी हकीकत हैं। रेल, सड़क और तकनीकी कनेक्टिविटी में जिस तरह का विकास हुआ है, वह अभूतपूर्व है। सभी नीतियां जन केन्द्रित हैं, जो आम आदमी के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं, यही एक मात्र मंत्र और मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा ,आज हम सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं, किस आधार पर? हमारे लोग कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि युवा मस्तिष्क सकारात्मक रूप से कार्य करें और कोई भी बाधा न आए। 34 वर्षों के बाद देश में एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है और इसमें सभी हितधारकों की राय ली गई है और यह शिक्षा अब डिग्री उन्मुख नहीं है बल्कि कौशल उन्मुख है। पहली बार, हमारी शिक्षा नीति युवा मस्तिष्क को बिना किसी बाधा के पूरी तरह से विकसित होने का अवसर प्रदान कर रही है।
उन्होंने आगे कहा, हमें दशकों पीछे थे क्योंकि सरकार नहीं थी और व्यवस्थागत कठिनाइयाँ थीं, लेकिन अब पारदर्शिता और जवाबदेही नए मंत्र हैं। हमारे सत्ता के गलियारों को सत्ता के दलालों से पूरी तरह से सेनेटाइज कर दिया गया है। अब कोई संपर्क एजेंट नहीं हैं, व्यवस्था को नियंत्रित करने वाला यह शक्तिशाली उद्योग अब लुप्त हो गया है। वो कहते हैं ना सिर से सींग गायब हो गएI
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, मैंने व्यक्तिगत रूप से कुछ ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है। कल्पना कीजिए कि 2 लाख 25 हजार करोड़ रुपये सीधे गांव के किसानो के बैंक खाते में बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप या बिचौलिए के जा रहे हैं, वह भी साल में तीन बार । यह बिना किसी लीकेज के होता है, ऐसा सिस्टम है की एक पैसा भी इधर उधर नहीं जाता है। यह आसान नहीं था, लेकिन 300 मिलियन बैंक खातों के साथ एक दूरदर्शी कदम के रूप में शुरू किया गया था। लोगों ने सवाल किया, ”बैंक खाता खोलने से क्या होगा?” लेकिन जब हमने कोविड की बड़ी चुनौती का सामना किया और हम अपने मानव संसाधन, अपने किसानों और अपनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाना चाहते थे, तो बैंक खातों में सीधे हस्तांतरण सहायक, गेम चेंजर, भारत के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
उन्होंने आगे कहा, आपको भारतीय होने का मतलब पता होगा, लगता है कि दुनिया हमें समझ गई है। भारत वैश्विक मामलों में अपनी मर्जी से, अपने कल्याण के लिए और विश्व शांति के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट रखता है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, भारत अब एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है लेकिन हमारे सामने बड़ी चुनौती है। जब भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहा होगा तो हममें से कुछ लोग यहां नहीं होंगे, लेकिन आप सभी होंगे और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे होंगे जो यह सुनिश्चित करेंगे कि कुछ सौ साल पहले दुनिया में भारत का जो स्थान था, भारत शिखर पर था तब तक उस स्थान को प्राप्त कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा,इस कमरे के लोग सिर्फ युवा लड़के और लड़कियां नहीं हैं, आप 2047 के सैनिक और योद्धा हैं और मुझे कहना होगा कि हमें अपने छात्रों पर गर्व है। वे हर मानक पर प्रतिभाशाली हैं और वे समाज के सभी वर्गों से आते हैं। उन्होंने बड़ी कठिनाइयों का सामना किया है और इससे आने वाले समय में देश की रीढ़ की हड्डी को मजबूत होने में मदद मिलेगी। मैं शिक्षा के क्षेत्र से ही हूं और इसलिए आपको बता सकता हूं कि शिक्षा समाज का उत्थान करने, असमानताओं को कम करने और देश को वह सब कुछ देने के लिए सबसे प्रभावी परिवर्तन तंत्र है जिसका देश हकदार है। समय कम है लेकिन मन की बात तो करूंगा ही, आखिर मन की बात ना करना ठीक नहीं है और मन की बात बोलते कहूंगा
उन्होंने कहा, हम ऐसा सिस्टम नहीं चाहते जिसमें आलोचना का स्थान न हो। हमें चीजों को साबित करना होगा क्योंकि कुछ भी छुपा नहीं है। भारत में अब ऐसी संस्कृति आ गई है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। हर कोई कानून के प्रति जवाबदेह है। जो लोग कानून से ऊपर होने का दावा करते थे , वे भी कानून के दायरे में हैं। अक्सर उद्धृत किया जाता है कि “तुम कितने भी बड़े हो लेकिन कानून हमेशा आपसे ऊपर है”, अब यह एक जमीनी हकीकत है।
उन्होंने कहा, भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस है। कोई कुछ भी कहे, कुछ लोग विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन भ्रष्टाचार समाज के विकास को खा जाता है। हम कभी भी भ्रष्टाचार के प्रति सहिष्णु नहीं हो सकते हैं और अब यही नया मानदंड है। ऐसे में मैं आपसे तीन सवाल करता हूं। क्या आप दुनिया में किसी ऐसे लोकतंत्र का नाम बता सकते हैं, जो भारत जितना ही जीवंत, क्रियाशील और कार्यात्मक हो?
उपराष्ट्रपति ने कहा, हमारे संविधान ने गांव स्तर, नगरपालिका स्तर, राज्य स्तर, केंद्रीय स्तर, और सहकारिता स्तर पर लोकतंत्र की व्यवस्था की है, किसी भी देश के पास यह तंत्र नहीं है। फिर भी कुछ लोग कहते हैं कि लोकतांत्रिक मूल्यों से समझौता किया जा रहा है। नहीं! आलोचनात्मक विश्लेषण के बाद ही निर्णय लें, लेकिन अगर आपको लगता है कि आलोचना के लिए कोई कहानी बनाई गई है, तो आपको इसके बारे में सोचने और फिर निर्णय लेने की जरूरत है क्योंकि अगर आप इसे स्वीकार नहीं करते हैं, तो आपको इसका प्रतिकार करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, मैं देश का उपराष्ट्रपति होने के कारण राज्यसभा का सभापति भी हूं। मुझे पता है कि हमारे पास अभिव्यक्ति की किस तरह की आजादी है। दुनिया के किसी भी हिस्से में हमारे देश से ज्यादा अभिव्यक्ति की आजादी नहीं हो सकती। फिर भी कुछ लोग कहते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है, ये मेरी समझ के बाहर है। हमारे देश में किसी भी लोकतांत्रिक मूल्य प्रणाली में कोई कमी नहीं है। यह खिल रहा है। यह अभूतपूर्व रूप से खूब फल-फूल रहा है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, 220 करोड़ टीकाकरण की खुराक डिजिटल रूप से दर्ज हैं। दुनिया के किसी भी देश में ऐसी व्यवस्था नहीं है। दुनिया का कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता है कि उसके सभी नागरिकों को उसके टीकाकरण के प्रमाणपत्र डिजिटल रूप से मिल गए हैं। हमने न केवल महामारी का सफलतापूर्वक सामना किया बल्कि हमने ऐसी स्थिति में सौ से अधिक देशों की मदद भी की। टीका मैत्री कार्यक्रम द्वारा कुछ टीके निःशुल्क भी उपलब्ध कराये गये।
उपराष्ट्रपति ने कहा, स्ट्रेस मत रखिए, कक्षा में मैं हमेशा फर्स्ट आता था. मुझे डर लगता था अगर मैं सेकंड आ गया तो क्या होगा. इस डर को मैंने जिया है, बहुत बाद में पता चला कि सेकंड आता तो कोई तूफान नहीं आता. कुछ दोस्तों से बात कर लेता, कुछ एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज कर लेता. तो यह जो कंपटीशन का भाव है ना इससे बाहर निकलें।
उपराष्ट्रपति ने कहा, दिमाग़ में खोने का डर न पालें है; डर प्रतिभा का बहुत बड़ा शत्रु है। डर से कभी मत डरो। आने वाला समय हमेशा बेहतर अवसर लेकर आता है। इस दुनिया को उन लोगों ने ही बदला है जो कई बार असफल हुए और फिर अपनी अमिट छाप छोड़ी।