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सदानंद कुमार ने रिकॉर्ड दौड़ से पहले अपनी क्षमताओं को निखारने का श्रेय भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के कोच को दिया

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सदानंद कुमार का झारखंड के हजारीबाग जिले के चंदोल बड़कागांव से मंगलवार को यहां ताऊ देवी लाल खेल परिसर में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पुरुषों की 100 मीटर स्पर्धा में दोबारा विजेता बनने तक का सफर दिलचस्प रहा है। उन्होंने 10.63 सेकंड के समय के साथ राष्ट्रीय जूनियर रिकॉर्ड को सर्वश्रेष्ठ बनाया।

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हजारीबाग से 25 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में जन्मे सदानंद कुमार पिछले दो वर्षों से कोलकाता में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण ले रहे हैं। सदानंद कुमार 5 अक्टूबर को 19 साल के हो जाएंगे और उन्होंने अपने पिता विजय रजवार को कभी नहीं देखा था, सदानंद के पिता उनके पैदा होने से पहले ही चल बसे थे।  लेकिन सदानंद ट्रैक पर अपनी सफलताओं से अपनी मां को गौरवान्वित करने के लिए आश्वस्त हैं।

सदानंद को एक स्कूल मीट में देखा गया था, जहां उन्होंने स्प्रिंट रेस जीती। एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक श्रीरंजन सिंह ने उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी ने उन्हें होटवार में एक अकादमी में शामिल होने के लिए चुना। इसके बाद 2016 में उन्होंने विशाखापत्तनम में राष्ट्रीय अंतर-जिला जूनियर एथलेटिक्स मीट में हजारीबाग जिले का प्रतिनिधित्व किया गया था।

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गुवाहाटी में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में जीत उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। उन्होंने हीट्स में 10.98 सेकेंड का समय लिया था और फाइनल में 10.95 सेकेंड का समय निकाल कर स्वर्ण पदक जीता था। इस सफलता ने भारतीय खेल प्राधिकरण के प्रतिभा स्काउट्स को कोलकाता में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) में शामिल होने के उद्देश्य से प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित किया।

मेरे करियर को आगे ले जाने के लिए कोलकाता में साई एनसीओई से बेहतर स्थान हो ही नहीं सकता था। मेरे पास वह सब कुछ है, जो एक एथलीट बिना किसी चिंता के अच्छी ट्रेनिंग के लिए चाह सकता है। हमारे पास एक अच्छा खेल विज्ञान भी है, ताकि रिकवरी सहित सही तरह के प्रशिक्षण को सक्षम बनाया जा सके, जिससे एथलीट हर बार तरोताजा महसूस कर ट्रैक पर वापस आ सकें।

मंगलवार को सदानंद कुमार हीट के बाद चिंतित थे, क्योंकि उन्होंने 10.90 सेकेंड का समय निकाला। उन्हें इस बात की फिक्र थी कि पिछले हफ्ते गुजरात के नडियाद में फेडरेशन कप अंडर-20 चैंपियनशिप की तरह यहां फाइनल में उनकी गति धीमी रह जाएगी। उन्होंने कहा, इस तथ्य को नजरअंदाज करना मुश्किल था कि मैंने हीट में 10.78 सेकेंड, सेमीफाइनल में 10.84 और नडियाद में फाइनल में 10.89 सेकेंड का समय लिया था। सदानंद कुमार ने कहा कि इसके अलावा वे यहां कुछ नए एथलीटों के बारे में अनिश्चित थे। यह साई कोच संजय घोष का प्रोत्साहन था जिसने उनकी नसों में जोश भर दिया। कोच ने उन्हें प्रशिक्षण में उनकी गति दोहराव की याद दिलाई, एक ध्यान सत्र के माध्यम से उनका मार्गदर्शन किया और उन्हें गुवाहाटी से अपनी जीत को आगे बढ़ाने के लिए फिर से दौड़ने को कहा। सदानंद ने कहा कि उस बातचीत ने मेरे आत्मविश्वास को आगे बढ़ाने में मदद की।

सदानंद ने बताया, मैंने महसूस किया कि प्रतिस्पर्धी दौड़ की तुलना में अभ्यास कठिन है। मैंने खुद से कहा, यह सोचकर दौड़ना है कि यह एक प्रशिक्षण दौड़ है, अब और दबाव महसूस नहीं करना है। उन्होंने कहा कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स 100 मीटर खिताब फिर से जीतने के लिए अपने पिछले व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से 0.15 सेकंड का समय कम करने से, अब उन्हें विश्वास है कि वह सही प्रशिक्षण से बेहतर हो सकते हैं।