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एनआईसीएसआई ने ई-शासन में अनुसंधान एवं विकास प्रबंधन और परामर्श के लिये दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के साथ समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये

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इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी के अधीन राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के तहत भारत सरकार के उद्यम राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र सेवा आईएनसी (एनआईसीएसआई) तथा दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (डीएसएम), दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीटीयू) ने इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना मंत्रालय के अवर सचिव और एनआईसीएसआई के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार, एनआईसीएसआई के प्रबंध निदेशक श्री प्रशांत कुमार मित्तल, डीएसएम डीटीयू की विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह और डीएसएम डीटीयू के प्रो. पीके सूरी की उपस्थिति में 24 मई, 2022 को एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। ई-शासन में अनुसंधान एवं विकास तथा परामर्श के लिये यह समझौता किया गया है, ताकि दोनों संस्थान अपने संसाधनों/क्षमताओं को एक-साथ मिलकर उपयोग कर सकें।

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कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी, एनआईसीएसआई और डीएसम डीटीयू के आला अधिकारियों सहित मंत्रालय के निदेशक तथा वीओ एनआईसीएसआई श्री शोभेन्द्र बहादुर, वरिष्ठ महाप्रबंधक और विभागाध्यक्ष सीईडीए एनआईसीएसआई श्रीमती अंजली धींगड़ा, डीजीएम एनआईसीएसआई श्री आशुतोष पी. मौर्य, सीएस एनआईसीएसआई श्री सनी जैन, डीएसएम के प्रो. पीके सूरी, डीएसम के प्रो. राजन यादव और डीएसएम के सहायक प्रोफेसर श्री यशदीप सिंह भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर मंत्रालय के अवर सचिव और अध्यक्ष एनआईसीएसआई डॉ. राजेन्द्र कुमार ने डिजिटल परिवर्तन के लिये प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बारे में मंत्रालय की परिकल्पना की चर्चा की, जिससे लोगों को फायदा होगा और संसाधनों (श्रमशक्ति, ज्ञान, अवसंरचना, आदि) का कारगर इस्तेमाल संभव होगा। इसके मद्देनजर दक्षता बढ़ाने के लिये सामूहिक प्रयास किये जायेंगे। मंत्रालय प्रौद्योगिकी के भरपूर उपयोग के लिये अन्य मंत्रालयों के साथ काम कर रहा है, ताकि कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में उनकी समझ का विस्तार हो। इसके लिये अकादमीशियनों के ज्ञान का उपयोग करके टीम प्रयास के साथ समस्याओं का समाधान किया जायेगा। यह समझौता मंत्रालय और डीटीयू के लिये सहायक होगा, जिसके तहत वे एक इको-सिस्टम खड़ा करने के लिये आने वाले दिनों में प्रौद्योगिकी तथा छात्रों को संलग्न करेंगे। इसके तहत आईटी, कृत्रिम बौद्धिकता, ब्लॉकचेन, जैसे तमाम नये क्षेत्रों को परिपक्वता की स्थिति तक पहुंचाया जायेगा। प्रबंधन के क्षेत्र में डीएसएम की विशेषज्ञता से व्यापार रणनीतियां और योजना तैयार करने में भी एनआईसीएसआई को मदद मिलेगी।

एनआईसीएसआई के महानिदेशक श्री प्रशांत कुमार मित्तल ने एनआईसीएसआई और डीएसएम डीटीयू के बीच होने वाले समझौते की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह सहयोग दोनों संस्थानों के लिये पारस्परिक रूप से लाभप्रद है। डीएसएम डीटीयू के छात्रों को मौका मिलेगा कि वे उदीयमान प्रौद्योगिकियों की पड़ताल कर सकें और सरकारी संगठनों/विभागों के साथ बेहतर समझ विकसित करने में सफल हो सकें। इसके लिये उन्हें आईसीटी प्रबंधन और ई-शासन के क्षेत्र में सहज रूप से अनुभव मिलेगा। इसकी वजह से सरकार को प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग के जरिये अपनी आंतरिक प्रणाली को मजबूत करने में सहायता मिलेगी।

डीएसएम डीटीयू के प्रो. पीके सूरी ने आईसीटी और ई-शासन में अपने संस्थान की विशेषज्ञता सम्बंधी कार्य-प्रणाली तथा गतिविधियों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे यह समझौता दोनों संस्थानों के लिये लंबे दौर में फायदेमंद होगा। डीएसएम विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह ने एनआईसीएसआई और डीएसएम के लिये इस सहयोगी विचार के प्रति रुचि प्रकट की। इसके तहत अनुसंधान, डेटा विश्लेषण, ई-शासन प्रक्रियाओं तथा सम्मेलनों/कार्यशालों के आयोजन में छात्रों को संलग्न किया जायेगा।