आयुष मंत्रालय के तहत लेह स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोवा-रिगपा सिक्किम के नामग्याल इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी (एनआईटी) के सहयोग से 20 और 21 मई को पूर्वोत्तर राज्यों के सोवा-रिगपा चिकित्सकों के लिए सोवा-रिगपा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
कार्यशाला का औपचारिक उद्घाटन मनन केन्द्र, गंगटोक में 21 मई 2022 को मुख्य अतिथि सिक्किम के राज्यपाल श्री गंगा प्रसाद, विशिष्ट अतिथि और सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग और केन्द्रीय आयुष और बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल आयुष और महिला और बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ मुंजापारा महेंद्रभाई कालूभाई और सिक्किम सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री एम. के. शर्मा की गरिमामय उपस्थिति में किया जाएगा।
यह पहली बार है कि गंगटोक में ऐसा आयोजन हो रहा है जहां केन्द्रीय मंत्री और आयुष राज्य मंत्री आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं जो न केवल पूर्वोत्तर राज्यों में चिकित्सा की सोवा-रिगपा पद्धति के संरक्षण और प्रचार की प्रक्रिया में मदद करेगा बल्कि विभिन्न संस्थानों के विद्वानों, चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और छात्रों को इस महान चिकित्सा प्रणाली की विरासत को मानकीकरण के लिए आगे बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। इस कार्यशाला में पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ पूरे भारत के पारंपरिक सोवा-रिगपा चिकित्सक भाग लेंगे।
सोवा-रिगपा, चिकित्सा प्रणाली 2500 से अधिक वर्षों के इतिहास के साथ दुनिया की सबसे पुरानी जीवित और अच्छी तरह से प्रमाणित चिकित्सा परंपराओं में से एक है। इसे आमची के लोकप्रिय नाम से भी जाना जाता है और लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और दार्जिलिंग में काफी प्रचलित है।