भारतीय इस्पात उद्योग ने आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाओं में उपलब्ध सर्वोत्तम प्रौद्योगिकियों को अपनाने के साथ अपनी ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम किया है
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय इस्पात उद्योग ने आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाओं में उपलब्ध सर्वोत्तम प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाने के साथ अपनी ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम कर दिया है। भारतीय इस्पात उद्योग की औसत कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन 2005 में लगभग 3.1 टन/टन कच्चे स्टील (टी/टीसीएस) से घटकर 2020 तक लगभग 2.6 टी/टीसीएस हो गई है।
जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने और अनुकूल बनाने के लिए भारत ने जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) की छत्रछाया में विभिन्न उपायों की शुरुआत की है। उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमईईई) एनएपीसीसी के अंतर्गत आठ मिशनों में से एक है।
प्रदर्शन उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) एनएमईईई के अंतर्गत एक प्रमुख योजना है। यह ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए बाजार आधारित तंत्र है, जिसके अंतर्गत ऊर्जा बचत के विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं। निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने वालों को एनर्जी सेविंग सर्टिफिकेट (ईएससीईआरटीएस) से सम्मानित किया जाता है और प्रत्येक 1 मीट्रिक टन तेल समकक्ष के बराबर होता है। जो अपने निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं, उन्हें एक केंद्रीकृत ऑनलाइन व्यापार तंत्र के माध्यम से अतिप्राप्तकर्ताओं से ईएससीर्ट्स खरीदने की आवश्यकता है। पीएटी योजना के अंतर्गत भारतीय इस्पात उद्योग एक महत्वपूर्ण हितधारक है। इस्पात क्षेत्र 2012-20 की अवधि के लिए 5.5 एमटीओई (मिलियन टन तेल समतुल्य) और 20 मिलियन टन संबंधित कार्बन डाइ ऑक्साइड की कमी के लिए पीएटी -I, पीएटी-II और पीएटी-III से कुल लक्षित ऊर्जा बचत हासिल करने में सक्षम रहा है।
इस्पात क्षेत्र ने आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाओं में विश्व स्तर पर उपलब्ध सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीकों को अपनाया है।
इसके अलावा, लौह और इस्पात बनाने की प्रक्रिया में हरित हाइड्रोजन की सुविधा के लिए इस्पात क्षेत्र को राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन में एक महत्वपूर्ण हितधारक बनाया गया है। इस पहल के तहत डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन (डीआरआई) उत्पादन में ग्रीन एच-2 के उपयोग की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए सार्वजनिक और निजी भागीदारी के तहत दो पायलट प्लांट स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है।
यह जानकारी केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।