Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्योतिर्लिंग महाकाल के शीश मिट्टी के कलशों से शीतल जलधारा प्रवाहित करने की शुरुआत

18
Tour And Travels

 उज्जैन
 ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से भगवान महाकाल के शीश मिट्टी के कलशों से शीतल जलधारा प्रवाहित करने की शुरुआत हो गई है। सुबह 6 बजे पुजारियों ने पवित्र नदियों का आवाह्न कर भगवान के शीश 11 मिट्टी के कलशों की गलंतिका बांधी।

प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर में भी भगवान मंगलनाथ को वैशाख की भीषण गर्मी में ठंडक प्रदान करने के लिए गलंतिका बांधने की शुरुआत हो गई है। पं.महेश पुजारी ने बताया महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक पूरे दो माह तेज गर्मी रहने की मान्यता है।

इन 60 दिनों में भगवान महाकाल को ठंडक प्रदान करने के लिए भगवान के शीश मिट्टी से बनी मटकियों से जलधारा प्रवाहित करने की परंपरा है। दो माह तक प्रतिदिन सुबह 6 से शाम 4 बजे तक गलंतिका बांधी जाती है। रविवार को इसकी शुरुआत हुई। पुजारियों ने गंगा, यमुना, कांवेरी, नर्मदा, शिप्रा आदि नदियों का आवाह्न कर उन्हीं के नाम से 11 कलश की गलंतिका बांधी।

पंचामृत पूजन के बाद बांधी गलंतिका

मंगल ग्रह की जन्म स्थली कहे जाने वाले प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर में रविवार को गलंतिका बांधी गईं। सुबह गादीपति महंत जितेंद्र भारती द्वारा भगवान का पंचामृत अभिषेक पूजन कर भात अर्पण किया गया। इसके बाद भगवान के शीश गलंतिका बांधी गई।

महंत भारती ने बताया भगवान मंगलनाथ अंगारकाय अर्थात अंगारे के समान कांति वाले देव हैं। इनकी प्रकृति उष्ण मानी जाती है। इसलिए जल, पंचामृत तथा भात अर्पण करने से वे प्रसन्न होते हैं। गर्मी में भगवान को शीतल सुगंधित द्रव्य, शीतल पुष्प आदि अर्पण करने का भी महत्व है।