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मध्य प्रदेश के जंगलों में गर्मी के मौसम के दौरान बाघों के बीच वर्चस्व की जंग और तेज हो जाती

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उमरिया

मध्य प्रदेश के जंगलों में गर्मी के मौसम के दौरान बाघों के बीच वर्चस्व की जंग और तेज हो जाती है। इस बार ऐसा न होने पाए, इसकी तैयारी में वन प्रबंधन जुटा हुआ है।

इसके लिए जंगलों में समर अलर्ट घोषित किया गया है और जंगल की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मौसम में परिवर्तन के साथ न सिर्फ जंगल के स्वरूप में परिवर्तन होने लगता है, बल्कि वन्य प्राणियों के विचरण में भी परिवर्तन दिखाई देने लगता है। यही कारण है कि उनकी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

पानी का संकट

यूं तो जंगलों में पानी के संकट को दूर करने के लिए अब सोलर पावर पंप का उपयोग किया जाने लगा है। प्रदेश के छह टाइगर रिजर्व में करीब साढ़े तीन सौ सोलर पावर पंप के माध्यम से वाटर होल भरे जाते हैं। जबकि प्राकृतिक जल स्रोतों को भी संरिक्षत किया जाता है।

इसके बाद भी पानी की कमी कहीं न कहीं गर्मी के दिनों में उत्पन्न हो जाती है और ज्यादा उम्र के बाघ पानी की तलाश में अपना क्षेत्र छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। इस दौरान उनका दूसरे बाघों से आमना-सामना हो जाता है।

जंगल की आग

महुआ का सीजन होने के कारण जंगल के बाहरी हिस्सों में गांवों के नजदीक अक्सर लोग आग लगा देते हैं। आग के कारण बफर जोन में सक्रिय बूढ़े और कमजोर बाघ उस स्थान को छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं। घने जंगल के अंदर पहुंचते ही फिर उनका सामना जवान और ताकतवर बाघों से होता है और इस तरह वर्चस्व की जंग शुरू हो जाती है।

बांधवगढ़ में जंग

बांधवगढ़ के खितौली रेंज में इन दिनों डी-वन बाघ सक्रिय हो गया है जो दूसरे बाघों को इस तरफ टिकने नहीं दे रहा है। छोटा भीम के घायल होने के बाद जब से उसे भोपाल के वन विहार शिफ्ट किया गया है, तबसे उसके संपूर्ण क्षेत्र में डी-वन का कब्जा हो चुका है।

डी-वन इन दिनों अपनी प्राइम ऐज में है। ऐसे में बाघ लगातार अपनी टेरिटरी बढ़ाता है। हाल ही में इसी बाघ ने बाघिन तारा के दो शावकों को मौत के घाट उतार दिया था। यहां का एक दूसरा बाघ पुजारी भी अब लगभग दस साल का हो चुका है। स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में वर्चस्व की जंग तेज हो सकती है।

रक्षा के लिए ये इंतजाम

    जंगलों में गश्त बढ़ाई गई और सुरक्षा श्रमिकों की संख्या भी।
    पानी की कमी नहीं होने पाए इसके इंतजाम पर रख रहे हैं नजर।
    जीरो फायर मिशन के तहत जंगल में आग नहीं लगे इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
    जिन क्षेत्रों में बाघों की आपसी दूरी सामान्य से कम है वहां हाथी दल के माध्यम से नजर रखी जा रही है।