Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की खुदरा महंगाई 4% रहने की आश : मॉर्गन स्टेनली

15
Tour And Travels

नई दिल्ली

अमेरिकी निवेश बैंक एवं फाइनेंशियल सर्विस कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की खुदरा महंगाई औसतन चार प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है. कंपनी ने मंगलवार, 18 मार्च को जारी रिपोर्ट में कहा है कि कन्ज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित मुद्रास्फीति की दर चार प्रतिशत पर रहने का मतलब है कि आने वाले महीनों में आरबीआई द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है, जबकि पहले 0.50 प्रतिशत की कटौती का अनुमान जारी किया गया था.

नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की एक और कटौती संभव

मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण मुद्रास्फीति में नरमी से अतिरिक्त कटौती की गुंजाइश बनती है. रिपोर्ट में कहा गया है, "लगातार दो महीने (जनवरी और फरवरी में) ओवरऑल मुद्रास्फीति की दर अनुमानों से कम रही है. इसे देखते हुए हम अपने मौद्रिक नीति परिदृश्य को अपडेट करते हैं, और (नीतिगत दरों में) 0.25 प्रतिशत की एक और कटौती को जोड़ते हैं."

वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा महंगाई औसतन 4 प्रतिशत रहेगी: रिपोर्ट

इसमें उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा महंगाई औसतन चार प्रतिशत रहेगी, जबकि इसके पहले 4.3 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था. अमेरिका कंपनी ने कहा, "इस प्रकार, हम 0.50 प्रतिशत के अपने पिछले अनुमान से 0.75 प्रतिशत की संचयी दर कटौती की ओर अग्रसर हैं."

जनवरी और फरवरी के खुदरा महंगाई के आंकड़ों में अपेक्षा से तेज गिरावट देखी गई, जो खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के कारण संभव हुई. वहीं, कोर मुद्रास्फीति निचले स्तर पर सीमित दायरे में बनी रही.

मॉर्गन स्टेनली ने कहा, "31 मार्च को समाप्त होने वाली तिमाही के लिए अब हम हमारे पूर्व अनुमान 4.3 प्रतिशत की तुलना में खुदरा महंगाई के औसतन चार प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाते हैं. आरबीआई का ओवरऑल मुद्रास्फीति का एक लक्ष्य (2-6 प्रतिशत) है, इसलिए हमारा मानना ​​है कि इससे अतिरिक्त नरमी की गुंजाइश बनती है."

फरवरी में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 3.61 प्रतिशत रही. छह महीने में पहली बार यह आरबीआई के चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आई है.खाद्य मुद्रास्फीति पिछले 12 महीने में ओवरऑल मुद्रास्फीति से ज्यादा रही है. इसमें मौसम संबंधी व्यवधानों का भी योगदान रहा है.

रबी और खरीफ फसल उत्पादन में सालाना वृद्धि का अनुमान

रिपोर्ट में कहा गया है, "हालांकि, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खाद्य मुद्रास्फीति के परिदृश्य में सुधार हुआ है क्योंकि रबी और खरीफ फसल उत्पादन में सालाना आधार पर वृद्धि का अनुमान है, जो अस्थिरता को कम करने में भी मदद करेगा."

भले ही विकास में तेजी आ रही है, लेकिन ऋण वृद्धि की प्रवृत्ति अब भी 11 प्रतिशत पर नरम है, जो वित्तीय स्थिरता की चिंताओं को दूर रखता है और विनियमन तथा तरलता के मोर्चे पर और अधिक कटौती की संभावना को दर्शाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोर मुद्रास्फीति में गिरावट आश्चर्यजनक रही है, जो कोर वस्तुओं और सेवाओं की मुद्रास्फीति के निचले स्तर से प्रेरित है.वास्तव में, भले ही बेस इफेक्ट सामान्य होने पर कोर मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, लेकिन कमोडिटी की कीमतों में सीमा-बद्ध प्रवृत्ति से प्रेरित होकर इसके चार प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है.
खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति में कमी का असर

रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति में कमी का असर ओवरऑल सीपीआई में गिरावट की प्रवृत्ति की निरंतरता पर दिखने की संभावना है, जिस पर आरबीआई का फोकस होता है.इस संदर्भ में, ओवरऑल मुद्रास्फीति में नरमी आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में और अधिक कटौती के लिए अधिक गुंजाइश पैदा करती है.