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मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1.5 रुपये प्रति लीटर सेस लिया जा रहा

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भोपाल

 महंगाई के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमत को भी जिम्मेदार बताया जाता है। देश में मध्य प्रदेश पेट्रोल-डीजल पर सर्वाधिक टैक्स वसूलने वाला पांचवां राज्य है। यहां पेट्रोल-डीजल पर टैक्स के ऊपर भी टैक्स लग रहा है। पेट्रोल पर 29 प्रतिशत वैट (वेल्यू एडेड टैक्स), 2.5 रुपये प्रति लीटर के साथ एक प्रतिशत सेस लिया जा रहा है।

इसी तरह डीजल पर 19 प्रतिशत वैट, 1.5 रुपये प्रति लीटर वैट के साथ एक प्रतिशत सेस लिया जा रहा है। इसे घटाने के लिए कांग्रेस महंगाई का हवाला देकर सरकार पर दबाव भी बनाती है लेकिन सरकार इसके पक्ष में नहीं हैं। दरअसल, राज्य की आय का बड़ा स्रोत पेट्रोल-डीजल से होने वाली राजस्व प्राप्ति है।
जीएसटी के बाद बिक्री कर का नंबर

मध्य प्रदेश की सभी करों से स्वयं की आय वित्त वर्ष 2024-25 में एक लाख दो हजार करोड़ रुपये से आसपास अनुमानित है। इसमें जीएसटी, बिक्री कर, प्रवेश कर और विलासिता कर का योगदान सर्वाधिक 61,026 करोड़ रुपये है। जीएसटी के बाद बिक्री कर का नंबर आता है।

इसमें पेट्रोल-डीजल पर लगाया जाना वाला वैट महत्वपूर्ण है। इससे लगभग 20 हजार करोड़ रुपये सरकार को मिलते हैं। एक प्रकार से देखा जाए तो सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना पर वर्षभर में व्यय होने वाली राशि की पूर्ति इस एक अकेले माध्यम से हो जाती है।
आम आदमी पर पड़ता है सीधा असर

यही कारण है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम होने और लोकसभा चुनाव के पहले केंद्र सरकार द्वारा दो रुपये प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल के दाम करने के बावजूद वैट कम करने की इच्छाशक्ति नहीं दिखा पाई। जबकि, इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है। महंगाई बढ़ती है और घर का बजट गड़बड़ा जाता है। गृहिणियों की भी अपेक्षा है कि बजट में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला टैक्स कम किया जाए।
छत्तीसगढ़ की तरह दी जा सकती है राहत

सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार भी छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार की तरह पेट्रोलियम पदार्थ की कीमत पर कुछ राहत दे सकती है। बजट में छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रति लीटर एक रुपये कम की घोषणा की है। मध्य प्रदेश में पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर जो अतिरिक्त वैट लिया जा रहा है, उसकी राशि में कटौती संभव है।

दरअसल, सरकार खनिज सहित अन्य क्षेत्रों में आय बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रही है। पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स कुछ कम करके उसकी पूर्ति दूसरे माध्यम से आय बढ़ाकर की जा सकती है। हालांकि, सरकार का मानना है कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास स्वयं की आय बढ़ाने के रास्ते बहुत सीमित हो गए हैं। जबकि, खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है।
किसी प्रदेश में कितना वैट

मध्य प्रदेश देश का पांचवां ऐसा राज्य है, जहां पेट्रोल और डीजल पर अधिक टैक्स लिया जाता है। तेलंगाना में पेट्रोल पर 35.20 और डीजल पर 27 प्रतिशत वैट लग रहा है। जबकि, आंध्र प्रदेश में पेट्रोल पर 31 प्रतिशत वैट, चार रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त वैट और एक रुपये प्रति लीटर सड़क विकास उपकर वसूला जाता है।

डीजल पर 22.25 प्रतिशत वैट, चार रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त वैट और एक रुपये प्रति लीटर सड़क विकास उपकर लिया जा रहा है। केरल में पेट्रोल पर 30.08 प्रतिशत बिक्री कर, एक रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त कर, एक प्रतिशत उपकर और दो रुपये सामाजिक सुरक्षा उपकर लगता है। कर्नाटक में पेट्रोल पर 29.84 और डीजल पर 18.44 प्रतिशत टैक्स लगता है।
पड़ोसी राज्य यूपी में पेट्रोल-डीजल सस्ता

इसके बाद अधिक टैक्स वसूलने वाले राज्य में मध्य प्रदेश का नंबर आता है। स्थिति यह है कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में पेट्रोल-डीजल सस्ता है। आसपास रहने वाले न केवल पडोसी राज्य के पेट्रोल पंपों से पेट्रोल-डीजल भरवाते हैं बल्कि लंबी दूरी के वाहन भी लाभ होने के कारण उत्तर प्रदेश को ही प्राथमिकता देते हैं।
सरकारी ऋण योजनाओं में दी जा सकती है स्टांपव एग्रीमेंट शुल्क में छूट

सूत्रों का कहना है कि उद्यमिता और स्वरोजगार बढ़ाने के लिए सरकार बजट में केंद्र व प्रदेश सरकार की ऋण योजनाओं में 10 लाख रुपये तक के कर्ज पर स्टांप एग्रीमेंट शुल्क में छूट दे सकती है। अभी संपत्ति को बंधक बनाने पर 0.25 प्रतिशत शुल्क ऋण लेने वाले को देना होता है।

इस तरह कुल चार प्रकार के शुल्क ऋण लेने वाले पर लगते हैं। सभी को मिला लें तो यह एक प्रतिशत के लगभग होता है। 10 लाख रुपये के ऋण पर लगभग 10 हजार रुपये शुल्क लग जाता है। इसमें छूट दी जाती है तो इसकी बचत होगी।