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दिल्ली सरकार ने EV पॉलिसी 2.0 के प्रमुख बिंदुओं की घोषणा की, पेट्रोल-डीजल गाड़ियां होंगी बंद?

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नई दिल्ली
दिल्ली सरकार ने EV पॉलिसी 2.0 (Delhi EV policy 2.0) के प्रमुख बिंदुओं की घोषणा कर दी है। इस नई पॉलिसी के तहत 2027 तक दिल्ली में 95% न्यू व्हीकल रजिस्ट्रेशन इलेक्ट्रिक वाहनों के रूप में करने का लक्ष्य रखा गया है। दिल्ली में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को तेजी से अपनाने और देश में EV लीडरशिप को मजबूत करने के लिए यह नीति तैयार की गई है। दिल्ली EV पॉलिसी पहली बार 2020 में पेश की गई थी, जो 2024 में समाप्त हो गई थी। इसे कई बार बढ़ाया गया, लेकिन अब यह नई पॉलिसी पुराने ढांचे की जगह लेगी। आइए जरा विस्तार से इसकी डिटेल्स जानते हैं।

CNG से इलेक्ट्रिक में बदलाव
सभी CNG ऑटो-रिक्शा, टैक्सी और लाइट कॉमर्शियल व्हीकल (LCV) को चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक में बदला जाएगा। सभी बसें भी पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होंगी।

खरीदारी पर विशेष प्रोत्साहन
इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, LCV और ट्रकों की खरीद पर इंसेंटिव मिलेगा। स्क्रैपिंग और रेट्रोफिटिंग इंसेंटिव भी मिलेगा, ताकि लोग पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से EV की तरफ शिफ्ट हों।

फ्लीट और कॉमर्शियल ट्रांसपोर्ट का इलेक्ट्रिफिकेशन
कैब, डिलीवरी सर्विस और अन्य कॉमर्शियल वाहनों को EV में बदला जाएगा। पॉलिसी में सख्त नियम और रेगुलेशन लाए जाएंगे, ताकि इसका पालन सुनिश्चित किया जा सके।

EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार
दिल्ली में नए पब्लिक और प्राइवेट EV चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे। नए बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स में EV चार्जिंग स्टेशन अनिवार्य होंगे। रिंग रोड और आउटर रिंग रोड जैसे प्रमुख मार्गों पर फास्ट-चार्जिंग कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे।

राज्य EV फंड का गठन:
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन टैक्स, पॉल्यूशन सेस और एग्रीगेटर लाइसेंस फीस से एक विशेष फंड बनाया जाएगा।

रोजगार और स्किल डेवलपमेंट:
EV सेल्स, सर्विसिंग, फाइनेंसिंग और बैटरी मैनेजमेंट में नई नौकरियां पैदा होंगी। दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी (DSEU) EV मैकेनिक और ड्राइवरों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाएगी।

दिल्ली EV पॉलिसी 2.0 क्यों है खास?
यह नीति न केवल वाहन मालिकों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ आकर्षित करेगी, बल्कि प्रदूषण कम करने और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाएगी। साथ ही EV सेक्टर में रोजगार बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने का यह एक बड़ा कदम है।