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इंदौर में बनेगा 4,000 करोड़ रूपए का डेटा सेंटर, युवाओं के लिए आएंगे रोजगार अवसर

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इंदौर

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर श्री टेक डेटा लिमिटेड कंपनी के सीईओ विजय आनंद ने एमपी में 9100 करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव दिया है। आनंद ने प्रदेश में डेटा सेंटर, ग्रीन हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा और ट्रांसमिशन सेक्टर में निवेश की बात कही है।उधर, राज्य सरकार प्रदेश में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) पॉलिसी 2025 को तेजी से स्थापित करने के लिए एक विशेष नीति क्रियान्वयन इकाई (Policy Implementation Unit – PIU) बनाने जा रही है। यह इकाई प्रोत्साहनों के आवंटन, परियोजनाओं की स्वीकृति और अनुपालन निगरानी का कार्य करेगी।

इससे पहले दिल्ली में आयोजित कर्टेन रेज़र कार्यक्रम में अवाडा ग्रुप ने 50 हजार करोड़ और सिंघानिया ग्रुप ने 3 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव सरकार को सौंपे हैं।शुक्रवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से चर्चा के दौरान श्री टेक डेटा लिमिटेड ने प्रदेश में बड़े निवेश प्रस्ताव दिए। कंपनी ने इंदौर में 4 हजार करोड़ रुपए की लागत से डेटा सेंटर, बीना (सागर) में 3 हजार करोड़ रुपए की लागत से ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट, उज्जैन में 600 करोड़ रुपए के निवेश से सोलर पावर यूनिट और उज्जैन में ही बिजली ट्रांसमिशन एवं वितरण संरचना के लिए 1500 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव दिए हैं। बैठक के दौरान जिला उद्योग केंद्र, भोपाल के जीएम कैलाश मानेकर भी उपस्थित रहे।
श्री टेक डेटा लिमिटेड के सीईओ आनंद ने कहाQuoteImageयह निवेश प्रदेश में डिजिटल और हरित ऊर्जा क्रांति को गति देगा, जिससे अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास होगा और हजारों नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। उन्होंने परियोजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार से नीति समर्थन, भूमि आवंटन और अन्य आवश्यक सहयोग का अनुरोध किया है।QuoteImageGCC नीति से मिलेगा तेजी से प्रोजेक्ट शुरू करने का अवसरदूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा मध्य प्रदेश ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) पॉलिसी 2025 लागू की जा रही है। यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने और राज्य को एक डिजिटल एवं तकनीकी हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) वे केन्द्र हैं। जिन्हें अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपने मुख्यालय से अलग अन्य देशों में स्थापित करती हैं।इनका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर अपने ऑपरेशंस को सुचारू रूप से चलाना और अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाना होता है। इन केंद्रों में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स, वित्तीय सेवाएं, अनुसंधान एवं विकास (R&D), सप्लाई चेन मैनेजमेंट और ग्राहक सहायता जैसी सेवाएं दी जाती हैं। वर्तमान में भारत में 1600 से अधिक जीसीसी कार्यरत हैं।प्रदेश में पॉलिसी इम्प्लीमेंटेशन यूनिट बनाई जा रहीराज्य में जीसीसी को तेजी से स्थापित करने के लिए एक विशेष नीति क्रियान्वयन इकाई (Policy Implementation Unit – PIU) बनाई जा रही है।

जो प्रोत्साहनों के आवंटन, परियोजनाओं की स्वीकृति और अनुपालन निगरानी का कार्य करेगी। यह तय किया जाएगा कि निवेशकों को समय पर सभी सुविधाएं मिलें और वे राज्य में अपने प्रोजेक्ट्स को शीघ्र शुरू कर सकें।पिछले तीन वर्षों में राज्य के आईटी, आईटीईएस निर्यात में तीन गुना वृद्धि हुई है और वार्षिक वृद्धि दर 43 प्रतिशत है। इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे शहर तेजी से आईटी और ईएसडीएम (ESDM) हब के रूप में विकसित हो रहे हैं। राज्य में तीन सौ से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जहां से हर साल 50 हजार से अधिक टेक्नोलॉजी ग्रेजुएट निकलते हैं।