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पटना
सीबीआई ने आईएएस अफसर कुमार राजीव रंजन पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में छापा मारा है। यह कार्रवाई बुधवार को जम्मू, बनारस, पटना और गुरुग्राम समेत कई जगहों पर हुई। रंजन पर जम्मू-कश्मीर के फर्जी गन लाइसेंस घोटाले में शामिल होने का आरोप है। सीबीआई पहले भी उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर चुकी है।
2010 बैच के हैं आईएएस अधिकारी
कुमार राजीव रंजन 2010 बैच के AGMUT कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वे मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने भावे यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। LBSNAA से ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली पोस्टिंग राजस्व विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी के रूप में हुई थी। सीबीआई को शक है कि रंजन ने अपनी आय से ज्यादा संपत्ति बनाई है। इसलिए उनके कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। सीबीआई अधिकारी सबूत इकट्ठा कर रहे हैं।
गन लाइसेंस घोटाले में नाम
जम्मू-कश्मीर के फर्जी गन लाइसेंस घोटाले में रंजन का नाम प्रमुखता से आया था। इस घोटाले में कई आईएएस और JKAS अफसरों पर पैसे लेकर गैरकानूनी तरीके से गन लाइसेंस बांटने का आरोप है। रंजन भी उन नौ आईएएस अधिकारियों में शामिल हैं जिन पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप है। केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है। सीबीआई की जांच में पता चला है कि रंजन ने दूसरे अधिकारियों के साथ मिलकर पैसों के बदले अपात्र लोगों को गन लाइसेंस दिए।
2012 से 2016 के बीच घोटाला
यह फर्जी गन लाइसेंस घोटाला 2012 से 2016 के बीच हुआ था। इस दौरान जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग जिलों में 2.74 लाख गन लाइसेंस जारी किए गए थे। सीबीआई की जांच में पता चला कि आईएएस और JKAS अधिकारियों ने नियमों को तोड़ा। उन्होंने बंदूक बेचने वालों और बिचौलियों से मिलीभगत की। इस घोटाले में बहुत सारा पैसा इधर से उधर हुआ।
सीबीआई कार्रवाई से हड़कंप
सीबीआई की इस कार्रवाई से इलाके में हड़कंप मच गया है। लोग हैरान हैं कि एक आईएएस अधिकारी कैसे इस तरह के घोटाले में शामिल हो सकता है। सीबीआई की जांच अभी जारी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं।