
रायपुर
डा.सूर्यकांत श्रीवास्तव( दुर्ग ) कहते हैं कि अनाज पर हमारी निर्भरता पर भविष्य में संकट आने वाला है अनाज के विकल्प के रूप में वे कीटों पर काम कर रहे हैं । इस संबंध में वियतनाम में एक कान्फ्रेंस रखा गया है जिसमें विश्व के नौ वैज्ञानिक अपनी बात रखेंगे उनमें से एक सूर्यकांत श्रीवास्तव भारत की ओर से आमंत्रित हैं।
डॉ. श्रीवास्तव, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, भारत के कीट विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर हैं, उन्होंने 15 पुस्तकें, 100 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। उनकी रुचि का क्षेत्र अनुप्रयुक्त प्राणी विज्ञान के विभिन्न अप्रयुक्त क्षेत्रों पर है, जिसमें कीट बायोइंडिकेटर, एंटोमोस्कैवेंजी, जूथेरेपी और एंटोमोथेरेपी और एंटोमोफैजी शामिल हैं। उन्हें 1999 में एजेडआरए फेलोशिप पुरस्कार, 2003 में एंटोमोलॉजी में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. आनंद प्रकाश, विस्तार शिक्षा के विकासशील मॉडल के लिए आईसीएआर पुरस्कार 2013 और 2019 के दौरान डॉ. बी वसंतराज डेविड फाउंडेशन से लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
डॉ. श्रीवास्तव, एप्लाइड जूलॉजी के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान को एप्लाइड जूलॉजिस्ट्स रिसर्च एसोसिएशन (एजेडआरए) भुवनेश्वर, ओडिशा, भारत द्वारा वर्ष 2018 में "सर्वश्रेष्ठ पोस्टर प्रस्तुति के लिए डॉ. एसके श्रीवास्तव पुरस्कार" पुरस्कार की स्थापना करके स्वीकार किया गया।