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12 देशों ने अवैध गतिविधियों में शामिल पाकिस्तानियों पर एक्शन, 131 को डिपोर्ट किया

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लाहौर

गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल पाए जाने के बाद दुनियाभर के 12 देशों ने 100 से ज्यादा पाकिस्तानियों को अलविदा कह दिया है। इन देशों ने कम से कम 131 पाकिस्तानियों को डीपोर्ट कर दिया है। उनपर ड्रग्स तस्करी, अवैध घुसपैठ, और नौकरियों में कानून के उल्लंघन जैसे आरोप थे। गौर करने वाली बात यह है कि इस डिपोर्टेशन में सऊदी अरब और यूएई सबसे आगे थे।

सऊदी अरब के इमिग्रेशन सूत्रों के मुताबिक यहां से करीब 74 पकिस्तानियों को उनके देश भेज दिया गया है। उनपर ड्रग ट्रैफिकिंग और नौकरी के नियमों के उल्लंघन के आरोप हैं। सऊदी अरब से मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने नौकरी के लिए एग्रीमेंट का उल्लंघन किया था और बिना नोटिस के ही नौकरी छोड़ दी थी। वहीं यूएई ने भी कई पाकिस्तानियों को डिपोर्ट कर दिया है। उनपर अवैध घुसपैठ, चोरी और ड्रग्स ट्रैफिकिंग के आरोप थे।

एक ऐसा भी मामला है जब एक पाकिस्तानी को पहुंचने के बाद एंट्री ही नहीं दी गई और उसे तुरंत डिपोर्ट कर दिया गया। आरोप था कि वह खुदकुशी करने की धमकी दे रहा था। इन दो देशों के अलावा, ओमान, कंबोडिया, बहरीन, अजरबैजान, इराक और मेक्सिको से पाकिस्तानियों को डिपोर्ट किया गया है। इसके अलावा मॉरिटानिया और सेनेगल से भी दो पाकिस्तानियों को डिपोर्ट किया गया। उनपर मानव तस्करी के आरोप थे।

पाकिस्तान पहु्ंचने के बाद 16 लोगों को फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के हवाले कर दिया गया। वे ट्रैफिकिंग से जुड़े मामलों में आरोपी थे। वहीं 6 को लरकाना, कलात, गुजरांवाला, साहीवाल और रावलपिंडी की पुलिस को सौंप दिया गया। उनके खिलाफ भी जांच शुरू की जाएगी। कराची के एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों के मुताबिक 86 लोगों को देश छोड़ने से रोका गया है। इनमें 30 उमराह यात्री थे। उनके पास अडवांस होटल बुकिंग नहीं थी इसलिए एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया। इसकेअलावा उनके पास यात्रा के खर्च का ब्यौरा भी नहीं ता।

सात ऐसे लोग भी थे जिनके पास साइप्रस, यूके अजरबैजान और किर्गिस्तान का स्टडी वीजा था। उन्हें भी एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया। सऊदी अरब, ओमान, अजरबैजान, मालावी, कॉन्गो, बहरीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, थाइलैंड, तुर्की और जिम्बॉम्वे के टूरिस्ट वीजा वाले लोगों को भी रोक लिया गया। वहीं कुछ लोग जो कतर, तुर्की और सऊदी अरब में काम करने के लिए ब्लैकलिस्ट थे उन्हें भी बोर्डिंग की अनुमति नहीं दी गई।