Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

महाराष्ट्र कांग्रेस ने हर्षवर्धन सपकाल को बनाया नया प्रदेश अध्यक्ष, संगठन में किया बड़ा बदलाव

28
Tour And Travels

मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने संगठन स्तर पर बड़ा बदलाव किया है। पार्टी ने नाना पटोले की जगह हर्षवर्धन सपकाल को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके अलावा विजय वडेट्टीवार को तत्काल प्रभाव से महाराष्ट्र में कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त किया गया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने संगठन स्तर पर बड़ा बदलाव किया है। पार्टी ने नाना पटोले की जगह हर्षवर्धन सपकाल को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके अलावा विजय वडेट्टीवार को तत्काल प्रभाव से महाराष्ट्र में कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त किया गया है। हर्षवर्धन पश्चिमी विदर्भ क्षेत्र से आते हैं। उन्हें राहुल गांधी का करीबी माना जाता है।

कौन हैं हर्षवर्धन सपकाल?
हर्षवर्धन सपकाल का जमीनी स्तर से राजनीति से जुड़े हैं। उन्होंने राजनीतिक सफर में जिला परिषद सदस्य से लेकर विधायक तक की भूमिका संभाली है। वह 1999 से 2002 तक जिला परिषद के अध्यक्ष रहे। उस समय वे महाराष्ट्र के सबसे युवा अध्यक्ष के रूप में जाने जाते थे। वह 2014 से 2019 के बीच कांग्रेस से विधायक भी रहे। पार्टी ने आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की है। इसलिए नए अध्यक्ष के सामने इन चुनावों को जीतने की बड़ी चुनौती होगी। हर्षवर्धन सपकाल वर्तमान में कांग्रेस के राजीव गांधी पंचायत राज संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने महात्मा गांधी और विनोबा भावे की विचारधाराओं पर आधारित ग्राम स्वराज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सपकाल को सर्वोदय विचारों पर आधारित राष्ट्र निर्माण युवा शिविरों के आयोजन, ग्राम स्वच्छता अभियानों में सक्रिय भागीदारी और आदर्श ग्राम आंदोलन का अनुभव है।

पटोले ने चुनाव के बाद की थी इस्तीफे की पेशकश
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद नाना पटोले ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। पार्टी नेतृत्व ने उनके इस्तीफे को मंजूर कर लिया था। पिछले साल के आखिर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 16 विधानसभा सीटों पर ही जीत मिली थी। इसके बाद से ही उनके नेतृत्व पर सवाल उठना शुरू हो गए थे।