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इको क्लब द्वारा “सतत जीवन शैली: जल संरक्षण एवं प्रबंधन” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

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सिवनी मालवा

 शासकीय कन्या महाविद्यालय के इको क्लब द्वारा "सतत जीवन शैली: जल संरक्षण एवं प्रबंधन" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन श्री प्रेमशंकर वर्मा जी विधायक सिवनी मालवा के विशिष्ट आतिथ्य में किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में जल संरक्षण को जीवन का अनिवार्य हिस्सा बताते हुए कहा कि "प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग और प्रबंधन ही हमारे उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है। जल बचाना केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक आवश्यक आदत होनी चाहिए। हमें जल की महत्ता को समझकर इसे बचाने के लिए हर स्तर पर प्रयास करना चाहिए। साथ ही उन्होंने महाविद्यालय में अध्ययनरत सभी छात्राओं की उपस्थिति एवं सहभागिता की आवश्यकता पर बल दिया। प्राचार्य डॉ. उमेश कुमार धुर्वे ने समस्त अतिथियों का स्वागत किया एवं अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि जल जीवन का आधार है और इसके बिना किसी भी जीव का अस्तित्व संभव नहीं है। जल संरक्षण की दिशा में सतत प्रयास करना हमारा नैतिक और सामाजिक दायित्व है।

कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. रवि उपाध्याय, शासकीय पीएमश्री महाविद्यालय, नर्मदापुरम;  ने जल संरक्षण के वैज्ञानिक और व्यवहारिक दृष्टिकोण पर विचार प्रस्तुत करते हुए जल संकट से निपटने के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि "जल संकट से निपटने के लिए हमें जल पुनः उपयोग (रीसाइकलिंग), वर्षा जल संचयन, और पानी के बर्बादी को रोकने पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके साथ ही समाज के हर व्यक्ति को अपने हिस्से का योगदान सुनिश्चित करना चाहिए।"

अतिथि वक्ता डॉ. मोहर सिंह हिंडोलिया शासकीय महाविद्यालय डोलरिया ने कहा कि "जल प्रकृति की अमूल्य देन है, इसे संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। हर बूंद का महत्व समझें और इसे व्यर्थ न जाने दें। वर्षा जल संचयन और पुनः उपयोग हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
अतिथि वक्ता डॉ. मनीष दीक्षित ने कहा कि "जल केवल एक संसाधन नहीं, बल्कि हमारे पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था का आधार है। हमें सतत जीवन शैली अपनाकर जल का संरक्षण करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे प्रयास करके बड़ा योगदान दे सकता है। जैसे नल बंद रखना, पानी के रिसाव को रोकना, और कृषि में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का उपयोग करना।"
इको क्लब प्रभारी डॉ. सतीश बालापुरे ने कहा कि "हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करना और उन्हें इसके लिए प्रेरित करना है। यदि युवा पीढ़ी इस दिशा में गंभीर प्रयास करेगी, तो आने वाली पीढ़ियां जल संकट से बच सकेंगी। जल संरक्षण केवल वर्तमान की आवश्यकता नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा के लिए भी अनिवार्य है।"

अतिथि वक्ताओं ने जल प्रबंधन के व्यावहारिक उपायों और सतत जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरणादायक विचार साझा किए। उन्होंने वर्षा जल संचयन, कृषि में जल प्रबंधन, औद्योगिक जल उपयोग में सुधार, और घरेलू स्तर पर जल के कुशल उपयोग के महत्व पर चर्चा की।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. गजेंद्र वाईकर एवं रजनीकांत वर्मा द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बाऊ पटेल ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर  डॉ. पदम शर्मा, डॉ. राकेश नीरापुरे, श्रीमती काजल रतन, श्रीमती संगीता कहार, डॉ. धर्मेंद्र गुर्जर, डॉ. टी.टी. एक्का, रजनीश जाटव, कु. आकांक्षा पांडे, डॉ. नीरज विश्वकर्मा, डॉ. दुर्गा मीणा, सुदर्शना राज, डॉ. रीमा नागवंशी महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक और बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।