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गुजरात में भी आएगा UCC, CM भूपेंद्र पटेल ने बनाई 5 सदस्यीय कमेटी, SC की पूर्व जज करेंगी अध्यक्षता

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अहमदाबाद
 उत्तराखंड के बाद अब एक और बीजेपी शासित राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, गुजरात सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर मंगलवार को घोषणा कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि गुजरात सरकार आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यूसीसी समिति के बारे में घोषणा कर सकती है। इस समिति में तीन से पांच लोग हो सकते हैं।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूसीसी को लेकर ऐलान करेंगे। गुजरात में वर्तमान में भाजपा की सरकार है, इसे भाजपा का गढ़ भी माना जाता है। पिछले 30 सालों से यहां की सत्ता पर भाजपा काबिज है।

उत्तराखंड में यूसीसी लागू

गुजरात में 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने यूसीसी को लेकर अपने इरादों को जाहिर किया था। बता दें कि उत्तराखंड में 27 जनवरी को यूसीसी लागू किया गया था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी (समान नागरिक संहिता) पोर्टल और नियम को लॉन्च किया। उन्होंने बताया था कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू करके हम संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी के लिए काफी बातों पर विचार-विमर्श किया। यूसीसी में अनुसूचित जनजातियों को छूट दी गई है। इसके अनुसार, यूसीसी उत्तराखंड और उससे बाहर रहने वाले राज्यों के निवासियों पर लागू होगा। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों को छूट दी गई है।

UCC के प्रावधान

– विवाह और तलाक के लिए कानून एक समान होगा। एक पुरुष और महिला के बीच विवाह तभी हो सकता है जब वे विवाह के लिए योग्य आयु प्राप्त कर चुके हों और विवाह के समय दोनों पक्षों में से किसी का भी कोई जीवित जीवनसाथी न हो।

– कपल को मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए और विवाह के लिए सहमति देने में सक्षम होना चाहिए।

– UCC के अनुसार, पुरुष की कानूनी विवाह आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होनी चाहिए, और दोनों पक्ष निषिद्ध संबंधों के दायरे में नहीं होने चाहिए।

– UCC 60 दिनों के भीतर विवाह पंजीकरण को भी अनिवार्य बनाता है। हालांकि, यूसीसी का कहना है कि केवल पंजीकरण न होने के कारण विवाह को अमान्य नहीं माना जाएगा।

– जिन व्यक्तियों ने पहले ही नियमों के अनुसार अपना विवाह पंजीकृत करा लिया है, उन्हें फिर से पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उन्हें पावती देनी होगी।

– विवाह पंजीकरण ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से कराया जा सकता है।

पंजीकरण के लिए आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर उप-पंजीयक को निर्णय लेना अनिवार्य है। यदि 15 दिनों के भीतर कोई निर्णय नहीं होता है, तो अधिनियम के अनुसार आवेदन स्वचालित रूप से रजिस्ट्रार को भेज दिया जाएगा।

– आवेदन खारिज होने पर पारदर्शी अपील प्रक्रिया उपलब्ध है। साथ ही, गलत जानकारी देने पर दंड का प्रावधान है।

– राज्य सरकार विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया की निगरानी और क्रियान्वयन के लिए रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्रार और उप-रजिस्ट्रार नियुक्त करेगी।

– यह वसीयत और कोडिसिल (वसीयतनामा उत्तराधिकार) के निर्माण और निरस्तीकरण के लिए एक सुव्यवस्थित ढांचा प्रदान करती है।