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सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ ‘सनातन धर्म’ पर दिए गए बयान को लेकर बड़ी राहत, ऐक्शन की मांग खारिज

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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के डिप्टी सीएम और एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ 'सनातन धर्म' पर दिए गए बयान को लेकर आपराधिक कार्रवाई की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। मामला जूनियर स्टालिन द्वारा सितंबर 2023 में सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान से जुड़ा हुआ है। स्टालिन ने कथित तौर पर कहा था कि सनातन धर्म को मलेरिया और डेंगू की तरह खत्म कर दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत ये रिट याचिकाएं कैसे मान्य हो सकती हैं। पीठ ने याचिकाओं को यह कहते हुए वापस कर दिया कि याचिकाकर्ता कानून के तहत वैकल्पिक उपायों की मांग कर सकते हैं।

इस मामले में डीएमके नेता की कानूनी टीम ने कहा कि तमिलनाडु और दक्षिणी राज्यों में 'सनातन धर्म' को हमेशा छुआछूत और जाति-आधारित भेदभाव के नजरिए से देखा गया है और उनके बयान को उसी संदर्भ में समझा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस बयान का किसी हिंदू भावना को आहत करने का इरादा नहीं था।
मामला क्या है

सितंबर 2023 में चेन्नई में एक सम्मेलन के दौरान, जूनियर स्टालिन ने कहा था कि 'सनातन धर्म' सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसे मलेरिया और डेंगू की तरह 'समाप्त' कर दिया जाना चाहिए। उदयनिधि ने बयान दिया था, इस सम्मेलन का शीर्षक बहुत अच्छा है। आपने 'सनातन विरोधी सम्मेलन' के बजाय 'सनातन उन्मूलन सम्मेलन' का आयोजन किया है। इसके लिए मेरी बधाई। हमें कुछ चीज़ों को ख़त्म करना होगा। हम उसका विरोध नहीं कर सकते। हमें मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना वायरस इत्यादि का विरोध नहीं करना चाहिए।"