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राजस्थान-जयपुर में गलत दिशा में खोद दी सुरंग

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जयपुर।

राजस्थान के कोटपूतली में 700 फीट गहरे बोरवेल में तीन साल की चेतना 9वें दिन भी फंसी हुई है। चेतना को रेस्क्यू करने के लिए खोदे गए 170 फीट गड्ढे में उतरकर एनडीआरएफ के जवान सुरंग खोद रहे थे। लेकिन, अब इसमें बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई। 10 फीट लंबी सुरंग की खोदाई पूरी हो चुकी है, लेकिन उसकी दिशा ही गलत निकली।

सुरंग बोरवेल तक नहीं पहुंची है। कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने कहा कि सुरंग के जरिए अब तक बोरवेल को ट्रेस नहीं किया जा सका है। हमारी कोशिश लगातार जारी है, रेस्क्यू अभियान में जुटी टीमों ने हिम्मत नहीं हारी है। बता दें कि आज मंगलवार को रेस्क्यू अभियान को 9वां दिन है, लेकिन चेतना को बाहर नहीं निकाला जा सका है। भूखी-प्यासी मासूम बच्ची की हालत कैसी है, इसका भी कुछ पता नहीं चल पा रहा है। कई दिन से वह मूवमेंट नहीं कर रही है। चेतना 120 फीट की गहराई पर एक हुक से लटकी हुई है। 30 दिसंबर को  प्रशासन और एनडीआरएफ ने दावा किया था कि बच्ची को सोमवार को बाहर निकाल लिया जाएगा। दावे के बाद से बच्ची की मां और परिजन उसके बाहर आने का बेसब्री से इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें निराश होना पड़ा। वहीं, अब गलत दिशा में हुई सुरंग की खोदाई के कारण यह सवाल अब भी बना हुआ है कि आखिर चेतना को कब बाहर निकाला जा सकेगा।

परिवार का आरोप, परिजनों से मिलीं कलेक्टर
उधर, बच्ची को निकालने में हो रही देरी के कारण परिवार और ग्रामीण प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर, समय पर सही कदम उठाए गए होते तो चेतना को पहले ही बाहर निकाल लिया गया होता। हालांकि, प्रशासन किसी तरह की लापरवाही से इनकार कर रहा है। परिजनों की नाराजगी सामने आने के बाद सोमवार देर शाम कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने परिजनों से दोबारा मुलाकात की और उन्हें रेस्क्यू अभियान में आ रही परेशानियों के बारे में बताया। कलेक्टर का कहना है कि हम हर स्तर पर बेहतर काम कर रहे हैं, लेकिन यह रेस्क्यू अभियान काफी मुश्किल है। इसलिए इसे पूरा करने में समय लग रहा है। बता दें कि कलेक्टर कल्पना अग्रवाल इसे राजस्थान का सबसे मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन बता चुकी हैं। 

अंदर सांस लेने में हो रही परेशानी
मासूम चेतना तक पहुंचने के लिए एनडीआरएफ के 6 जवानों की तीन टीमें बनाई गई हैं। एक बार में दो जवान को 170 फीट गहरे गड्ढे में उतरकर बोरवेल तक सीधी सुरंग खोद रहे हैं। दो जवानों की एक टीम करीब 20-25 मिनट अंदर रहकर खोदाई कर रही है, फिर उन्हें बाहर निकालकर दूसरी टीम को नीचे भेजा जा रहा है। इसी तरह सुरंग बनाने का सिलसिला जारी है। जवानों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है, लेकिन अधिक गहराई में होने के कारण उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है।

नौ दिन से चेतना को निकालने के प्रयास जारी    
तीन साल की चेतना 23 दिसंबर (सोमवार) की दोपहर दो बजे खेलते समय 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी। चेतना करीब 150 फीट की गहराई में फंस गई थी, देसी जुगाड़ से उसे तीस फीट ऊपर खींच लिया गया। अब वह 120 फीट पर एक हुक से लटकी हुई है। 23 दिसंबर से चेतना को खाना पानी कुछ भी नहीं मिला है। 24 दिसंबर की शाम से वह कोई मूवमेंट भी नहीं कर रही है। उसकी हालत को लेकर अधिकारी भी कुछ नहीं बोल रहे हैं।