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अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस पर कूनो के जंगल में छोड़े जाएंगे अग्नि और वायु चीते

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ग्वालियर।

कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े में बंद चीतों को खुले जंगल में छोड़ने का समय नजदीक आ गया है। अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस (चार दिसंबर) पर नर चीता अग्नि और वायु को बाहर छोड़ा जाएगा। इसकी तैयारी कर ली गई है। चीतों को छोड़ने के दौरान चीता स्टीयरिंग कमेटी के सदस्यों के साथ कूनो पालपुर के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे।

पहले चीतों को जोड़े में छोड़ने की योजना थी लेकिन फिलहाल नर चीतों को छोड़ा जाना तय किया गया है। इसके साथ ही अब पर्यटकों को चीते खुले जंगल में दिखाई देने की संभावना बढ़ जाएगी।

मार्च 2023 में पहली बार खुले जंगल में छोड़े गए थे चीते
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार एक चीता के लिए करीब 100 वर्ग किमी क्षेत्र की जरूरत होती है। कूनो के जंगल का क्षेत्र करीब 1200 वर्ग किमी का है। इसमें 748 वर्ग किमी मुख्य जोन में और 487 किमी बफर जोन में है। एक मार्च, 2023 को पहली बार चीता पवन व आशा को खुले जंगल में छोड़ा गया था। इसके कुछ ही दिन बाद चीता गौरव (एल्टन) और शौर्य (फ्रेडी) को छोड़ा गया था। इस दौरान कई बार चीते राजस्थान और मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों तक पहुंच गए। इन्हें ट्रैंकुलाइज करके वापस कूनो में लाया गया। चीतों विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों को बार-बार ट्रैंकुलाइज नहीं किया जाना चाहिए।

संक्रमण से हो गई थी एक चीते की मौत
कॉलर आईडी की रगड़ से गर्दन में हुए संक्रमण से एक चीते की मौत के बाद बाहर घूम रहे सभी चीतों को बाड़े में बंद कर दिया गया। इन्हीं कुछ आशंकाओं की वजह से चीतों को खुले जंगल में छोड़ने पर निर्णय लंबे समय से टल रहा था। चीतों को खुले जंगल में छोड़ने से पहले तय किया गया कि चीतों का मूवमेंट जिस राज्य या जिले में होगा तो उसके भोजन और निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित वनमंडल की होगी। 29 नवंबर को राजस्थान के रणथंभौर में हुई बैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा बनाई गई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर सहमति बनी और इन्हें खुले जंगल में छोड़ने की तिथि चार दिसंबर तय कर दी गई। बैठक में तीनों राज्यों में 1500 से 2000 वर्ग किमी का चीता कारिडोर बनाए जाने पर भी चर्चा हुई।

कूनो में 12 में से सात नर और पांच मादा शावक
कूनो के बड़े बाड़े में मौजूद कुल 12 शावकों के लिंग की पहचान हो गई है। इनमें सात चीता शावक नर हैं और पांच मादा। एक निश्चित उम्र के बाद ही चीता में लिंग निर्धारण हो पाता है। भारत की धरती पर चार मादा चीतों ने 19 शावकों को जन्म दिया। इसमें से अब तक सात की मौत हो गई।