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ऑस्ट्रेलिया की टीम में एकता की कमी, जोश हेजलवुड के बयान से मचा बवाल

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नई दिल्ली
टीम इंडिया के पूर्व हेड और मौजूदा कमेंटेटर रवि शास्त्री और इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने ये मुद्दा उठाया है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम में एकता की कमी है। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले मैच को हारने के बाद जोश हेजलवुड ने जिस तरह का बयान दिया है। उससे ऑस्ट्रेलिया की टीम की यूनिटी पर सवाल उठ रहे हैं। जोश हेजलवुड ने पर्थ टेस्ट मैच में मिली हार का जिम्मेदार बल्लेबाजों को बताया है। भारत ने ये मैच 295 रनों के अंतर से जीता। सीरीज में 1-0 की बढ़त भारत ने बना ली। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया की टीम पहली पारी में 104 रन बनाकर ढेर हो गई थी।

जोश हेजलवुड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "आपको शायद यह सवाल बल्लेबाजों में से किसी से पूछना होगा, मैं आराम कर रहा हूं और थोड़ा आराम पाने की कोशिश कर रहा हूं और मैं मुख्य रूप से अगले टेस्ट पर ध्यान दे रहा हूं।" इस पर हाल ही में रिटायरमेंट लेने वाले डेविड वॉर्नर ने चैनल 7 पर कहा, "मुझे लगता है कि एक सीनियर प्लेयर के रूप में, जब आप टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं तो आपका यह कर्तव्य होता है कि आप बल्लेबाजों के लिए कुछ ऐसा रखें जो वे चाहते हों, सभी बल्लेबाज मैदान पर जाकर बल्लेबाजी करने के बारे में सोचते हैं। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने बहुत अधिक रन नहीं बनाए हैं, लेकिन एक सीनियर गेंदबाज से उनको समर्थन मिलना चाहिए। ऐसे कमेंट उचित नहीं हैं।"

माइकल वॉन ने टीम के ड्रेसिंग रूम में संभावित विभाजन पर भी संदेह जताया और कहा कि उन्होंने किसी ऑस्ट्रेलियाई से ऐसा कुछ नहीं सुना है। वॉन ने फॉक्स क्रिकेट पर कहा, "सार्वजनिक रूप से, मैंने कभी किसी ऑस्ट्रेलियाई को आकर टीम को बल्लेबाजों और गेंदबाजों में विभाजित करते नहीं सुना। 11 बल्लेबाज हैं, जो कभी नहीं बदलेंगे, हर खिलाड़ी को बल्लेबाजी करनी होगी। दुनिया का कोई भी खिलाड़ी, लेकिन विशेष रूप से एक ऑस्ट्रेलियाई… मैं हमेशा हर टीम में छोटी-छोटी बातों पर गौर करता हूं…एकजुटता और आउटफील्ड में उत्साह की कमी, आप ऑस्ट्रेलिया के बारे में अक्सर ऐसा नहीं कहते हैं।"

रवि शास्त्री ने इस मुद्दे पर कहा, "भारतीय ड्रेसिंग रूम में जब ऐसा कुछ सुनने को मिलता है तो वे क्या सोचते हैं, उन्हें पता है कि पिच पर कुछ क्रैक्स हैं, लेकिन कुछ मानसिक दरारें भी हैं। 30 या 40 साल से ऑस्ट्रेलिया आने के बाद, यह पहली बार है जब कोई भारतीय टीम ऐसा महसूस कर रही है। आप जानते हैं, हम अपने घर में विपक्षी टीमों से बेहतर हैं। चुपचाप वे सोच रहे होंगे 'हमें यहाँ हारना होगा।"