Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

राजस्थान-मंडप में 43वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में लाख से बनी चूड़ियां और सामग्री बनीं आकर्षण

22
Tour And Travels

जयपुर।

नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला के राजस्थान पवेलियन में लाख की चूडियों एवं लाख से बनी अन्य वस्तुएं दर्शकों विशेषकर महिलाओं को अपनी और खूब आकर्षित कर रही है। राजस्थान मंडप के स्टॅाल न. 3 व 6 में जयपुर से आए लाख के कारीगर श्री इस्लाम अहमद ने बताया कि भारतीय संस्कृति में लाख को बहुत ही शुभ माना जाता है, विशेषतौर पर भारतीय नारियों में इसे सुहाग का प्रतीक माना जाता है। लाख से बनी चूडीयां पहनकर स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु की कामना करती हैं।

वे बताते हैं कि लाख हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। शादी या विवाह का अवसर हो या मकान की नींव भरने का समय, बच्चे के जन्म का मौका हो या सगाई इत्यादि के अवसर पर लाख की चूडीयां, दुल्हन को सुहाग के प्रतीक के रूप में पहनना अनिवार्य समझा जाता है। शादी तथा तीज त्यौहारों, होली, दिवाली व अनेक खुशी के अवसरों पर लाख की चुड़ियों का तथा लाख की अन्य वस्तुओं का आदान- प्रदान किया जाता है। लाख को सोने के जेवरों में भी भरा जाता है। श्री अहमद ने बताया कि मेरे वालिद के पिता ने ही भारत सरकार द्वारा स्थापित निर्यात केन्द्रों एवं रिटेल शाप्स पर सर्वप्रथम लाख का सामान बनाकर दिया था। उन केन्द्रों के माध्यम से पूरे भारत वर्ष के सरकारी रिटेल कांउटरों तथा विदेशों में लाख से निर्मित वस्तुएं भेजी गई। उन्होंने बताया कि विश्व के कई राष्ट्राध्यक्षों को उनके जयपुर आगमन पर इनके परिवार की ओर से लाख निर्मित वस्तुएं भेंट की गई। उन्होंने बताया कि उनके वालिद लाख से पैन और फैन्सी आइटम बनाने का कार्य करते रहे। हाथ में पहनने वाले लाख के मोटे कड़े पर ''डासिंग पीकाक'' तथा ''मछली'' का काम एक नायाब कारीगरी है जो कि उन्होंने स्वयं तैयार की है। उन्होंने बताया कि आज लाख कला सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। फिर चाहे लाख की चूडीयां हों या सजावटी या दैनिक उपयोग की वस्तु सभी में यह प्रयोग किया जाता है। इनमें अगरबत्ती स्टेण्ड,हाथी घोड़ा, ऊंट, एस्टरे, चाबी के छल्ले, फोटो फ्रेम, शीशा, ज्वैलरी बाक्स फ्रुट प्ले, टेबल डायरी, ग्लास इत्यादि चीजें ही क्यों न हो, लाख कला जगत को ये सब वस्तुएं उन्हीं के परिवार की देन हैं।