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रेलवे का बड़ा फैसला, 6 CCTV कैमरे लगेंगे ट्रेन के हर कोच में, मजबूत हुआ हुआ यात्रियों का सुरक्षा कवच

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अंबाला.
भारतीय रेलवे के सभी स्टेशनों पर भले ही क्लोज्ड सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) न लगे हों, लेकिन अब सुरक्षा कवच मजबूत करने के लिए ट्रेन के हर डिब्बे में कैमरा लगा होगा। 50 हजार से अधिक रेल कोच में कैमरे लगाए जाने हैं। एक डिब्बे में छह कैमरे लगेंगे, जिसके चलते ट्रेनों में हो रही घटनाओं पर अंकुश लगेगा। इसके लिए रेलवे ने टेंडर प्रक्रिया को लेकर कागजी कार्रवाई शुरू कर दी है।

अब इन ट्रेनों में भी लगेंगे कैमरे
हालांकि, वंदे भारत जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनों में पहले ही कैमरे लगाए जा चुके हैं, लेकिन अब शताब्दी, राजधानी, दूरंतो और सुपरफास्ट एक्सप्रेस सहित पैसेंजर ट्रेनों में भी कैमरे लगाए जाएंगे। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के प्रस्ताव पर रेल मंत्रालय ने यह फैसला लिया है। कैमरे लगवाने की मॉनिटरिंग सेंटर फॉर रेलवे इनफॉरमेशन सिस्टम (क्रिस) की होगी। हालांकि, रेलवे स्टेशनों पर कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन अधिकांश स्टेशन ऐसे सुरक्षा कवच से दूर हैं। ट्रेनों में वारदात को अंजाम देकर अपराधी बीच रास्ते ही उतर जाते हैं, जिसके चलते वारदातें अनसुलझी रह जाती हैं। इसके चलते यह फैसला लिया गया है।

एफआईआर के लिए एक से दूसरे राज्य में घूमती है फाइल
चलती ट्रेन में वारदात होने के बाद यात्री को इंसाफ मिलने में काफी देरी लग जाती है। यात्री को मुकदमा दर्ज करवाने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है। यात्री का सामान या फिर अन्य वारदात होने पर सभी राज्यों की राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) को जीरो नंबर एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी हैं। वारदात का आंकड़ा न बढ़े, इसलिए एक राज्य की जीआरपी दूसरे राज्य या फिर दूसरे स्टेशन के पाले ही मामला डालने का प्रयास करती है।

कैमरे की रिकॉर्डिंग 15 दिन तक रखने के आदेश
जो कैमरे लगवाए जा रहे हैं वह अच्छी क्वालिटी के हैं। दिन और रात में स्पष्ट रिकार्डिंग कर सकेंगे। यदि वारदात होती है तो उस दौरान सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग को चेक किया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपये का खर्च आएगा। यह कैमरे सिर्फ कोच में नहीं बल्कि रेल गार्ड और लोको पायलट के केबिन में भी लगेंगे, जिससे रेल पटरियों की निगरानी भी रहेगी। ईएमयू और डीएमयू ट्रेनों में भी कैमरों को लगाने की तैयारी है।

इस तरह हैं टेंडर की शर्तें
सीसीटीवी इंस्टाल करने के लिए रेलवे ने कंपनियों से बिड मांगी है। इसके तहत जिस कंपनी का टर्नओवर 1200 करोड़ रुपये बीते तीन वित्तीय वर्ष में होगा वही टेंडर प्रक्रिया में भाग ले सकेगी। इसी तरह कंपनी ने 60 करोड़ का प्रोजेक्ट या फिर 40-40 या 30-30 करोड़ के प्रोजेक्ट किए हों। धरोहर राशि भी 8 लाख 98 हजार जमा करवानी होगी।