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एमपी के रिटायर्ड आईएएस अफसर श्रीरामचरितमानस के बाद अब स्वर्ण जड़ित श्रीमद् भागवत भेंट करेंगे

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भोपाल
मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर में स्वर्ण जड़ित (ताम्र पत्र पर सोने से मढ़े अक्षर) श्रीमद् भागवत रखी जाएगी। इसका वजन लगभग 1.6 क्विंटल होगा। इसके 18 हजार श्लोक ताम्र पत्रों पर सोने से मढ़े अक्षरों के रहेंगे। इसे श्रीकृष्ण मंदिर को अगले वर्ष 25 जनवरी को विधिवत पूजा-अर्चना के बाद भेंट किया जाएगा। मध्य प्रदेश कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस डॉ.सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण यह श्रीमद् भागवत तैयार करवा रहे हैं। वह अयोध्या के श्रीराम मंदिर को स्वर्ण जड़ित श्रीरामचरितमानस और चरण भेंट कर चुके हैं।

ज्वेलर्स से तैयार करवा रहे हैं
मध्य प्रदेश और भारत सरकार में विभिन्न पदों पर सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए 1970 बैच के आईएएस डॉ. सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण स्वर्ण जड़ित श्रीमद् भागवत भी प्रसिद्ध वुम्मिदी बंगारू ज्वेलर्स से तैयार करवा रहे हैं। इसी कंपनी ने नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल (राजदंड) और स्वर्ण जड़ित श्रीरामचरितमानस तैयार किया है। डॉ. सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण ने बताया कि यह काम अगले वर्ष 24 जनवरी से पहले पूरा हो जाएगा। मथुरा में 24 जनवरी को 551 महिलाएं कलश यात्रा निकालेंगी।

25 जनवरी की सुबह मंदिर में भेंट करेंगे
इस श्रीमद् भागवत को पूरे क्षेत्र में घुमाकर 25 जनवरी की सुबह श्रीकृष्ण मंदिर को भेंट किया जाएगा। श्रीमद् भागवत करीब 1.6 क्विंटल भारी होगी। इसके निर्माण में तीन से चार करोड़ रुपये की लागत आ रही है। प्रत्येक ताम्र पत्र 14 गुणा 12 इंच का है। इस श्रीमद् भागवत में कुल 440 ताम्र पत्र लगेंगे।

स्वर्ण जड़ित श्रीरामचरितमानस का वजन लगभग डेढ़ क्विंटल
डॉ. सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण ने बताया कि स्वर्ण जड़ित श्रीरामचरितमानस का वजन लगभग डेढ़ क्विंटल है। इसमें तांबे के प्रत्येक पत्र को सोने के पानी में डुबोया गया था। इसी तरह श्रीमद् भागवत भी तैयार हो रही है। उन्होंने बताया कि शुरुआत से ही सनातन धर्म से जुड़ा रहा। यह मान्यता रही है कि ईश्वर की कृपा से ही सब कुछ मिल रहा है तो क्यों न उसे ही सब अर्पित कर दिया जाए।

मध्य प्रदेश में प्रमुख सचिव खनिज के साथ जनसंपर्क भी थे

डॉ. सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायण मध्य प्रदेश में खनिज, पर्यटन, राजस्व और जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव रह चुके हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का विश्वस्त अधिकारी माना जाता था। वे वर्ष 1999 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए और भारत सरकार के सचिव (गृह) रहे। वर्ष 2007 में सेवानिवृत्त होने के बाद विभिन्न कंपनियों के चेयरमैन और निदेशक पद का दायित्व संभाला। वर्तमान में भी विभिन्न कंपनियों से जुड़े हुए हैं।