भोपाल
मध्यप्रदेश की सभी जनजातियों के जीवन, रहन-सहन, देशज ज्ञान, कला परम्परा और सौन्दर्यबोध की विशिष्टता को स्थापित करने का कार्य जनजातीय संग्रहालय, भोपाल में किया गया है। यहां जनजातियों की बहुरंगी एवं बहुआयामी देशज संस्कृति को बेहतरीन स्वरूप में संयोजित किया गया है।
जनजातीय संग्रहालय के निदेशक ने बताया कि हर साल संग्रहालय में अवलोकन का समय परिवर्तन किया जाता है। इसके तहत इस वर्ष एक नवंबर, 2024 से (मंगलवार से रविवार तक) जनजातीय संग्रहालय दोपहर 12 बजे से शाम 7 बजे तक एवं 1 फरवरी 25 से अक्टूबर 25 तक दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक दर्शकों एवं पर्यटकों के लिये खोला जाय़ेगा।
उन्होंने बताया कि संग्रहालय की विभिन्न दीर्घाओं में प्रदेश के जनजातीय समुदायों के आवास की वास्तुगत, शिल्पगत और व्यवहारगत रूपों को प्रदर्शित किया गया है। संग्रहालय में 6 अलग-अलग कलाओं, शिल्प माध्यमों की दीर्घाएं हैं, जिनमें जनजातीय जीवन की झलक, उनके परिवेश, खेल, संस्कृति, देवलोक आदि देखने को मिलते हैं। यहां हर दीर्घा में आगंतुकों, जिज्ञासुओं व शोधार्थियों के लिए कियोस्क भी स्थापित किए गए हैं, जिससे उस दीर्घा विशेष के बारे में हिंदी अथवा अंग्रेजी में विस्तार से जाना-समझा जा सकता है।