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अमृतसर स्वर्ण मंदिर परिसर में 25 साल की एक युवती ने आत्महत्या की

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अमृतसर
अमृतसर स्वर्ण मंदिर परिसर में 25 साल की एक युवती ने आत्महत्या कर दी। जानकारी के अनुसार, लड़की ने गुरुद्वारा बाबा अटल राय की सातवीं मंजिल से छलांग लगाई। अचानक हुई इस घटना से परिसर में सनसनी फैल गई। आनन-फानन में पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और युवती का शव बरामद किया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि युवती अकेले ही स्वर्ण मंदिर पहुंची थी और उसकी पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं। लड़की के सुसाइड की वजह का भी पता लगाया जा रहा है। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त विशालजीत सिंह ने बताया कि युवती का शव सिवि अस्पताल के मोर्चरी में रखा गया है। स्वर्ण मंदिर परिसर में स्थित सात मंजिला गुरुद्वारा बाबा अटल राय में जाने का सार्वजनिक समय सुबह 7.30 से 10.30 बजे तक था। युवती सुबह करीब 9.30 बजे बिल्डिंग पर चढ़ी और सातवीं मंजिल से छलांग लगा ली।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, युवती स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने आई थी। सुबह 9.30 बजे वह गुरुद्वारा अटल राय साहिब की 7वीं मंजिल पर चढ़ गई और वहां से छलांग लगा दी। वह सिर के बल गिरी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद भगदड़ मच गई। गुरुद्वारा साहिब के सेवादारों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। सूचना पाकर पुलिस फोर्स मौके पर पहुंचा और जांच शुरू कर दी है। आत्महत्या करने वाली लड़की की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है लेकिन उसकी उम्र 25 साल के करीब है। आत्महत्या करने के कारण का पता नहीं चल पाया है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस जांच कर रही है कि लड़की अकेली गोल्डन टेंपल में आई थी या उसके साथ कोई और भी था।

दो महीने में दो सुसाइड और एक आत्महत्या की कोशिश
स्वर्ण मंदिर परिसर में आत्महत्या या कोशिश का यह पहला मामला नहीं है। 20 अक्टूबर को एक व्यक्ति ने सरोवर में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी, जिसे सेवादारों ने बचा लिया था। 22 सितम्बर को गोल्डन टेंपल के बाहर एक युवक ने हाईकोर्ट के जज के सुरक्षाकर्मी की पिस्तौल छीन कर खुद को गोली मार ली थी। गुरु नानक देव अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी।

इसके बाद पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वर्ण मंदिर में हुई इस घटना का संज्ञान लिया था। स्वर्ण मंदिर में जस्टिस एनएस शेखावत की सुरक्षा चूक में को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया था। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने न्यायाधीश की आवाजाही की सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस के बजाय तटस्थ पुलिस बल के अधिकारियों को तैनात करने का आदेश दिया था।