Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

हैवी ब्लास्ट से परेशान महिलाओं ने हल्दीबाड़ी माईस का किया घेराव, खान प्रबंधन ने सप्ताहभर का मांगा समय

28
Tour And Travels

दो घंटे कर्मचारियों कीआवाजाही रही बंद, समस्याओं के निराकरण का दिया आश्वासन
अनूपपुर

हसदेव क्षेत्र अंतर्गत वेस्ट जेकेडी हल्दीबाड़ी भूमिगत खदान में हो रही हैवी ब्लास्टिंग तथा उससे घरों व पानी की टंकियों में पड़ी दरार से उत्पन्न समस्याओं को लेकर आधा सैकड़ा महिलाओं ने खदान मुख्य गेट का घेराव किया। अपनी मांगों को लेकर खान प्रबंधन से चर्चा की। सुबह 8 बजे से लेकर10 बजे तक माइंस के पास महिलाएं अपनी मांगों को लेकर डंटी रहीं। महिलाओं की मांग पर खान प्रबंधन ने सप्ताह समय की मोहल्लत मांगते हुए वरिष्ठ अधिकारियों तक सूचना देकर समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया। साथ ही कहा अगर आपका 1 सप्ताह के भीतर कोई कार्य नहीं होता है तो आप माइंस में आकर कार्य बंद करने की कार्रवाई कर सकते हैं।

बताया जाता है कि जिले के अंतिम छोर पर बसा ग्राम पंचायत डोला रामनगर के निवासरत कुछ परिवारों को राजनगर खुली खदान परियोजना द्वारा पुनर्वास किया गया था। जिन्हें रामनगर आरटीओ चेक पोस्ट के पीछे कुडक़ू दफाई श्याम बाई मोहल्ला में बसाया गया था। जहां कुछ दूरी पर बगल में हल्दीबाड़ी माइंस भूमिगत खदान चलाई जा रही है। यह भूमिगत खदान छत्तीसगढ़ में आता है और माइंस के अंदर मध्य प्रदेश से काले हीरे का उत्खनन किया जा रहा है। भूमिगत खदान में जबरदस्त ब्लास्टिंग करने से लोगों के घरों में दरारें पड़ गई हैं एवं उनकी पानी की टंकियां कई जगहों से फट चुकी है। हैवी ब्लास्टिंग से हमेशा डर बना रहता है।

वहीं पानी की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि जमीन के नीचे उत्खनन करने से पानी के स्रोत सब सूख गए हैं। हैंडपंप सूखे पड़े हैं। पानी की टंकियों में दरार पड़ जाने के कारण टंकी में पानी नहीं रहता। राजनगर ओसीएम द्वारा टैंकरों के माध्यम से पुनर्वास के लोगों को पानी सप्लाई की जाती है, वह पानी 1 दिन से ज्यादा टंकी में नहीं रुक पाता है। ब्लास्टिंग के कारण पूर्व में भी महिलाओं ने हल्दीबाड़ी माइंस में कई बार जाकर खान प्रबंधन मैंनेजर से शिकायत की। बावजूद प्रबंधन द्वारा कोई समस्या का समाधान नहीं किया गया। जानकारी के अनुसार गुरूवार १८ जुलाई को ब्लास्टिंग नहीं करने महिलाओं व खान प्रबंधन के बीच विवाद भी हुआ।

प्रबंधन का कहना था कि उच्च अधिकारी हमारी कोई बात नहीं सुनते। हम मजबूर हैं। बाद में मैनेजर द्वारा यह कहा गया हम आपकी शिकायत उच्च अधिकारी को देंगे। अगर आपका 1 सप्ताह के भीतर कोई कार्य नहीं होता है तो आप लोग माइंस में आकर कार्य बंद करने की कार्य कर सकते हैं। वहीं ग्रामीण महिलाओं ने माइंस का पानी बाहर फेंका जा रहा है उसे नदी नालों में बहाए जाने के बजाय पाइप लाइन के माध्यम से रामनगर श्याम बाई मोहल्ले में बनी तालाब में पानी डलवा देंने की अपील की।