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ISRO एक कदम उठाने जा रहा, अंतरिक्ष में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को जोड़कर करेगा कमाल

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नई दिल्ली

ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने खुलासा किया है कि दिसंबर में इसरो SPADEX (Space Docking Experiment) मिशन कर सकता है. क्योंकि चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4) के लिए अंतरिक्ष में डॉकिंग बहुत जरूरी तकनीक है. डॉकिंग मतलब जो अलग-अलग हिस्सों को एकदूसरे की तरफ लाकर उसे जोड़ना.

इस समय SPADEX के सैटेलाइट्स का इंटीग्रेशन हो रहा है. एक महीने में ये बनकर तैयार हो जाएंगे. इसके बाद इनकी टेस्टिंग वगैरह होगी. सिमुलेशन होंगे. उम्मीद है कि इसरो इसे 15 दिसंबर 2024 या उससे पहले लॉन्च करे. यह मिशन अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रोसेस पूरा करने की पहली सीढ़ी होगी.

SPADEX मिशन क्यों है जरूरी?

अंतरिक्ष में दो अलग-अलग चीजों को जोड़ने की ये तकनीक ही भारत को अपना स्पेस स्टेशन बनाने में मदद करेगी. साथ ही चंद्रयान-4 प्रोजेक्ट में भी हेल्प करेगी. स्पेडेक्स यानी एक ही सैटेलाइट के दो हिस्से होंगे. इन्हें एक ही रॉकेट में रखकर लॉन्च किया जाएगा. अंतरिक्ष में ये दोनों अलग-अलग जगहों पर छोड़े जाएंगे.

धरती की निचली कक्षा में प्रयोग

इसके बाद इन दोनों हिस्सों को धरती से निचली कक्षा में जोड़ा जाएगा. ताकि ये फिर से एक यूनिट बन जाएं. इस पूरे प्रोसेस कई तरह के काम होंगे- जैसे दोनों अलग-अलग हिस्से एकदूसरे को खुद से अंतरिक्ष में खोजेंगे. उनके पास आएंगे. ताकि एक ही ऑर्बिट में आ सकें. इसके बाद दोनों एकदूसरे से जुड़ जाएंगे.

इसरो के आगे के मिशन क्या होंगे?

इसके बाद इसरो गगनयान के दो टेस्ट करेगा. पहला टेस्ट व्हीकल डिमॉन्स्ट्रेशन-2 (TVD2) और पहला मानवरहित मिशन (G1). इस दौरान इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट और पैड अबॉर्ट टेस्ट भी किए जाएंगे. G1 मिशन में ह्यूमेनॉयड व्योममित्र (Vyomitra) महिला रोबोट भी जाएगी. ताकि उसके ऊपर पड़ने वाले असर की स्टडी की जा सके.

G1 में एक सीट पर व्योममित्र और दूसरे पर एनवायरमेंटल कंट्रोल एंड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ECLSS) होगा. इन दोनों के डेटा का एनालिसिस किया जाएगा. ताकि यह पता चल सके कि अंतरिक्ष में इंसानों पर क्या असर होगा. और इलेक्ट्रॉनिक्स, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर आदि पर क्या फर्क पड़ेगा.