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मिथुन चक्रवर्ती को मिला दादा साहब फाल्के पुरस्कार, तीन बार जीत चुके हैं नेशनल अवॉर्ड

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नई दिल्ली

भारत का प्रतिष्ठित और सबसे सम्मानित 70वां नेशनल अवॉर्ड्स आज दिल्ली के विज्ञान भवन में हुआ. इस सेरेमनी में फिल्म जगत की बेहतरीन फिल्मों, उनकी कास्ट और क्रू को उनके मेहनत के लिए सम्मान दिया गया. अवॉर्ड की अनाउंसमेंट अगस्त में ही कर दी गई थी. अवॉर्ड फंक्शन के लिए नीना गुप्ता, ऋषभ शेट्टी, सूरज बड़जात्या और नित्या मेनन समेत कई सितारे इसके लिए दिल्ली पहुंचे, जिन्हें अवॉर्ड दिया गया. देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु खुद अपने हाथों से ये सम्मान सभी सितारों को सौंपा. 

नेशनल अवॉर्ड किसी भी फिल्म पर्सनैलिटी के लिए सबसे बड़ी अचीवमेंट माना जाता है. इस बार ये अवॉर्ड उन फिल्मों के लिए दिए गए हैं जिन्हें फिल्म सेंसर बोर्ड ने 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 के बीच सेंसर सर्टिफिकेट दिया था. 

मिथुन का सराहनीय योगदान

इस बार समारोह में बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को भी दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया. हाल ही में इसका ऐलान किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सिनेमा में एक्टर के योगदान की तारीफ की थी. उनकी जर्नी काफी इंस्पिरेशनल रही है.

अवॉर्ड मिलने के बाद मिथुन ने अपनी जर्नी के बारे में भी बताया. वो बोले, ''नेशनल अवॉर्ड मिला तो खुद को अल-पचीनो समझने लगा था, फिर मुझे एक लात पड़ी, तो अकल आई. मेरे रंग की वजह से मुझे कुछ सुनने को मिला. कहा जाता था कि ये बॉलीवुड में ये काला रंग नहीं चलेगा. मैं सोचता था कि करूं क्या, मैं भगवान से कहता था कि हे भगवान इस रंग का क्या करूं, ये तो चेंज नहीं कर सकता. तो मैंने सोचा मैं पैरों से डांस करूंगा, मैं ऐसा डांस किया पैरों से, इतना थिरका कि लोगों का ध्यान मेरे पैरों पर गया ही नहीं. उस दिन के बाद से मैं बन गया सेक्सी, डस्की, बंगाली बाबू. 

मैं भगवान से बहुत शिकायत करता था. लेकिन आज ये अवॉर्ड मिलने के बाद मैंने ये शिकायत करना छोड़ दिया. मैंने सिर्फ शुक्रियाअदा किया. मैं नए लोगों से कहूंगा कि हिम्मत नहीं हारना, सपना देखना कभी बंद नहीं करना. खुद सो जाना लेकिन सपनों को कभी सोने नहीं देना. मैं कुछ बन सकता हूं तो तुम भी बन सकते हो.''

बता दें, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ऐलान कर लिखा था- कोलकाता की सड़कों से सिनेमा की दुनिया में ऊंचाई छूने तक. मिथुन दा की जर्नी ने हर जनरेशन को इंस्पायर किया है. मैं ये ऐलान करते हुए सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि दादा साहेब फाल्के सेलेक्शन जूरी ने मिथुन चक्रवर्ती को इंडियन सिनेमा में उनके अहम योगदान के लिए सम्मानित करने का फैसला किया है.  

मिथुन 74 साल से सिनेमा में एक्टिव हैं, उन्हें साल 1977 में अपनी पहली ही फिल्म मृग्या के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था. मिथुन अब तक लगभग 350 से भी ज्यादा फिल्में कर चुके हैं. इनमें हिंदी से लेकर बंगाली, भोजपुरी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और पंजाबी फिल्में भी शामिल हैं. 

नीना को तीसरी बार मिला सम्मान

नीना गुप्ता को फिल्म 'ऊंचाई' के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला है. आजतक से बातचीत में वो कहती हैं- मैं बहुत शॉक्ड हूं. ये मेरे लिए बड़ा सरप्राइजिंग है. नेशनल अवॉर्ड बड़ी बात है. अभी मुझे किसी ने बताया. 2022 में आई फिल्म 'ऊंचाई' को सूरज बड़जात्या ने डायरेक्ट किया था. एक्ट्रेस को इससे पहले 1993 में आई फिल्म 'बाजार सीताराम' के लिए बेस्ट फर्स्ट नॉन फीचर फिल्म डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला था. फिर 1994 में फिल्म 'वो छोकरी' के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला. मूवी में उन्होंने एक युवा विधवा का रोल प्ले किया था.  

वहीं 'कांतारा' के लिए ऋषभ शेट्टी को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला. साथ ही नित्या मेनन और मानषी पारेख ने बेस्ट एक्ट्रेस का सम्मान अपने नाम किया.

चौथी बार सम्मानित हुए मनोज

मनोज बाजपेयी को 'गुलमोहर' के लिए स्पेशल मेंशन अवॉर्ड दिया गया. ये चौथी बार है जब मनोज को नेशनल अवॉर्ड मिला. इस पर उन्होंने कहा, 'देखिए मुझे जब 3 बार मिले तो भी रिएक्शन ऐसा ही था. चौथी बार भी मुझे ऐसा ही महसूस हो रहा है. मैं हमेशा कहता हूं कि जब मैं अपने जीवन में रंगमंच कर रहा था तो कहता था कि एक बार ये मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाएगा. आज ऊपर वाले की कृपा से चौथी बार मुझे 'गुलमोहर' के लिए मिला है. मैं अपने आप इस समय बहुत ही भाग्यशाली कलाकार मानता हूं, जिसे चौथी बार नेशनल अवॉर्ड मिला है. मुझे लिए खुशी की बात यह है कि चौथी बार मिल रहे नेशनल अवॉर्ड में मेरी पत्नी वहां मौजूद है. पिछले 3 बार में वो नहीं थी लेकिन चौथी बार में वो आई हैं तो आप समझ सकते हैं कि ये हमारे लिए कितना महत्पूर्ण है.'

किसे मिला कौन-सा अवॉर्ड

वहीं बात करें बाकी कैटेगरीज की तो, अवॉर्ड पाने वालों में बॉलीवुड और साउथ से लेकर हर भाषा की फिल्में और एक्टर्स शामिल हैं. यहां देखें लिस्ट…

बेस्ट फीचर फिल्म: आट्टम (मलयालम)
बेस्ट डेब्यू फिल्म बाय डायरेक्टर: प्रमोद कुमार (फौजा, हरियाणवी फिल्म)
बेस्ट पॉपुलर फिल्म- कांतारा
बेस्ट फीचर फिल्म (राष्ट्रीय, सामाजिक और पर्यावरण मूल्यों को प्रमोट करने वाली): कच्छ एक्सप्रेस
बेस्ट फिल्म (AVGC- एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स गेमिंग और कॉमिक):  ब्रह्मास्त्र
बेस्ट डायरेक्शन: सूरज बड़जात्या (ऊंचाई)
बेस्ट एक्टर (लीड रोल): ऋषभ शेट्टी (कांतारा)
बेस्ट एक्ट्रेस (लीड रोल): नित्या मेनन (तिरुचित्राम्बलम); 
बेस्ट एक्टर (सपोर्टिंग रोल): पवन राज मल्होत्रा (फौजा, हरियाणवी फिल्म)
बेस्ट एक्ट्रेस (सपोर्टिंग रोल): नीना गुप्ता (ऊंचाई)
बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट: श्रीपत (मल्लिकापुरम, मलयालम फिल्म)
 बेस्ट सिंगर (मेल): अरिजीत सिंह (ब्रह्मास्त्र)
बेस्ट सिंगर (फीमेल): बॉम्बे जयश्री, साउदी वेलक्का सीसी. 225/2009 (मलयालम फिल्म)
बेस्ट सिनेमेटोग्राफी: रवि वर्मन (पोन्नियन सेल्वन पार्ट 1)
बेस्ट स्क्रीनप्ले (ऑरिजिनल): आनंद एकार्शी, आट्टम (मलयालम)
बेस्ट स्क्रीनप्ले (डायलॉग): अर्पिता मुखर्जी और राहुल वी चितेला (गुलमोहर)
बेस्ट साउंड डिजाईन: आनंद कृष्णमूर्ति (पोन्नियन सेल्वन पार्ट 1)
बेस्ट एडिटिंग: महेश भुवानंद, आट्टम (मलयालम)
बेस्ट प्रोडक्शन डिजाईन: अपराजितो (बंगाली फिल्म)
बेस्ट कॉस्टयूम डिजाईन: निक्की जोशी, कच्छ एक्सप्रेस (गुजराती फिल्म)
बेस्ट मेकअप: सोमनाथ कुंडू, अपराजितो (बंगाली फिल्म)
बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन (गीत): प्रीतम (ब्रह्मास्त्र)
बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन (बैकग्राउंड स्कोर): ए. आर. रहमान (पोन्नियन सेल्वन पार्ट 1)
बेस्ट लिरिक्स: नौशाद सदर खान (फौजा, हरियाणवी फिल्म)
बेस्ट कोरियोग्राफी: जानी मास्टर और सतीश कृष्णन (तिरुचित्राम्बलम)
बेस्ट एक्शन डायरेक्शन: अनबरिव (के. जी. एफ. चैप्टर 2)
स्पेशल मेंशन: मनोज बाजपेयी को 'गुलमोहर' के लिए, म्यूजिक डायरेक्टर संजय सलिल फिल्म 'kadhikan'
बेस्ट फीचर फिल्म (हिंदी): गुलमोहर
बेस्ट फीचर फिल्म (तेलुगू): कार्तिकेय 2
बेस्ट फीचर फिल्म (तमिल): पोन्नियन सेल्वन पार्ट 1 
बेस्ट फीचर फिल्म (टीवा): सिकाइसल (Sikaisal)
बेस्ट फीचर फिल्म (मलयालम): साउदी वेलक्का सीसी. 225/2009
बेस्ट फीचर फिल्म (कन्नड़): के. जी. एफ. चैप्टर 2
बेस्ट फीचर फिल्म (मराठी): वाल्वी
बेस्ट फीचर फिल्म (पंजाबी): बागी दी धी 
बेस्ट फीचर फिल्म (उड़िया): दमन
बेस्ट फीचर फिल्म (बंगाली): काबेरी अंतर्धान 
बेस्ट फीचर फिल्म (असमिया): एमुथि पुथी