न्यूयॉर्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क के लोटे न्यूयॉर्क पैलेस होटल में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ द्विपक्षीय बैठक की. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब इजरायल और हमास के बीच गाजा में पिछले एक साल से युद्ध जारी है. प्रधानमंत्री ने गाजा में मानवीय स्थिति पर "गहरी चिंता" व्यक्त की और फिलिस्तीनी लोगों को भारत के निरंतर समर्थन की पुष्टि की.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात की. प्रधानमंत्री ने गाजा में मानवीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और फिलिस्तीन के लोगों को भारत के निरंतर समर्थन की पुष्टि की."
विदेश मंत्रालय का बयान
विदेश मंत्रालय के बयान में आगे कहा गया, 'प्रधानमंत्री ने इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे विवाद पर भारत की स्थायी और सिद्धांतों पर आधारित नीति को दोहराया. उन्होंने इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए संघर्ष विराम, बंधकों की रिहाई और संवाद व कूटनीति के माध्यम से समाधान निकालने का आह्वान किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि केवल दो राष्ट्र समाधान (Two State Solution) ही क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता प्रदान कर सकता है. पीएम मोदी ने याद दिलाया कि भारत फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन की सदस्यता के लिए भारत के निरंतर समर्थन देने को दोहराया.'
इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-फिलिस्तीन द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर रचनात्मक चर्चा की, जिसमें संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन को भारत का समर्थन और शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षमता निर्माण प्रयासों के क्षेत्र में फिलिस्तीन को जारी सहायता और समर्थन शामिल है. दोनों नेताओं ने भारत-फिलिस्तीन द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया.
बाइडेन से की मुलाकात
आपको बता दें कि ही प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुलाकात की. जिस गर्मजोशी और आत्मीयता के साथ दोनों नेताओं मुलाकात हुई, वो भारत अमेरिका के बेहतर संबंधों से ज़्यादा, प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ व्यक्तिगत कैमिस्ट्री को अधिक दिखाता है. वहीं पीएम मोदी आज यूएन के मंच पर फ्यूचर समिट को संबोधित करेंगे. दुनिया के सामने आने वाली भविष्य की चुनौतियों और अवसरों के अलावा भारत को यूएनएससी की सदस्यता भी एक मुद्दा वहां रह सकता है.