भोपाल
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए सरकार नई व्यवस्था बनाने जा रही है। अभी एक कॉलेज को छोड़कर दूसरे सरकारी कॉलेज में नियुक्ति पाने वाले शिक्षक की वरिष्ठता समाप्त हो जाती थी। वरिष्ठता कम होने से उनका वेतन भी कम हो जाता था। अब ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है कि उनकी वरिष्ठता यथावत रहेगी। ऐसे में उनको मिलने वाले वेतन-भत्ते में लाभ हो सकता है, पर हानि नहीं। सरकारी से सरकारी, सरकारी और स्वशासी और स्वशासी-स्वशासी के बीच यह व्यवस्था रहेगी। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने शासन को प्रस्ताव भेजा है।
वरिष्ठता प्रभावित होने के कारण नए कालेजों में फैकल्टी में पद भरने में मुश्किल आ रही थी। इस वर्ष से प्रारंभ हुए सिवनी, मंदसौर और नीमच मेडिकल कॉलेज में पद भरने में यह दिक्कत आई थी, जिससे 150 की जगह 100-100 सीटों की ही मान्यता मिल पाई।
यह है मौजूदा हाल
प्रदेश में 13 स्वशासी मेडिकल कॉलेज हैं।
सरकार अब स्वशासी की जगह सरकारी कॉलेज खोल रही है।
सतना पहला सरकारी कॉलेज था।
इस वर्ष तीन और कालेज खुले हैं।
सरकार ने हर लोकसभा क्षेत्र में एक कॉलेज खोलने का लक्ष्य रखा है।
फैकल्टी की कमी पूरी करने के लिए यह व्यवस्था की जा रही है।