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बेंगलुरु में एक इवेंट के दौरान, नरायन मूर्ति ने कहा- बच्चों की पढ़ाई पर माता-पिता को घर में एक अनुशासित वातावरण बनाना चाहिए

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नई दिल्ली
इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। इस बार उनका विवादास्पद बयान बच्चों की पढ़ाई और परिवार में अनुशासन को लेकर है। हाल ही में बेंगलुरु में एक इवेंट के दौरान, मूर्ति ने कहा कि माता-पिता को घर में एक अनुशासित वातावरण बनाना चाहिए, ताकि बच्चे सोशल मीडिया जैसी चीजों से ध्यान हटाकर पढ़ाई पर फोकस कर सकें। उन्होंने खासतौर पर इस बात पर जोर दिया कि अगर माता-पिता खुद फिल्में देख रहे हैं, तो बच्चों से पढ़ाई की उम्मीद करना बेमानी है।

मूर्ति ने कहा, "अगर माता-पिता खुद फिल्में देख रहे हैं और फिर अपने बच्चों से कह रहे हैं कि ‘नहीं, नहीं, तुम पढ़ाई करो,’ तो यह काम नहीं करेगा।" उन्होंने यह भी बताया कि अपनी पत्नी सुधा मूर्ति के साथ मिलकर उन्होंने हर दिन अपने बच्चों, अक्षता और रोहन के साथ तीन से साढ़े तीन घंटे पढ़ाई में बिताए। उनका कहना है कि यह अनुशासन बनाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

हालांकि, मूर्ति के इस सुझाव ने सोशल मीडिया पर नाराजगी भरी प्रतिक्रियाएं पैदा कीं। कई लोगों ने सवाल उठाया कि यदि माता-पिता 70 घंटे प्रति सप्ताह काम करेंगे, तो वे अपने बच्चों के साथ समय कैसे बिता पाएंगे? उल्लेखनीय है कि पिछले साल नरायन मूर्ति ने कहा था कि लोगों को सप्ताह में 72 घंटे काम करने चाहिए, यानी इस हिसाब से हर दिन 14 घंटे काम करने जरूरी होंगे। एक सोशल मीडिया यूजर ने कहा, "अगर माता-पिता 72 घंटे काम करेंगे, जैसा आप कहते हैं, तो बच्चों के साथ समय कब बिताएंगे?" कई लोगों ने इसे अवास्तविक बताया क्योंकि माता-पिता को अपने काम के साथ-साथ घर के कामों को भी संभालना होता है। इस पर कई यूजर्स ने मूर्ति की आलोचना की कि उनकी सलाह आम जीवन की वास्तविकता से परे है।

मूर्ति ने इवेंट में यह भी बताया कि उनके परिवार में टीवी देखने पर सख्त पाबंदी थी। शाम 6:30 से 8:30 बजे तक टीवी पूरी तरह बंद रहता था और इसके बाद भी डिनर के बाद रात 9 बजे से 11 बजे तक पढ़ाई जारी रहती थी। मूर्ति ने कहा, "मेरी पत्नी का तर्क था कि अगर मैं टीवी देख रहा हूं, तो मैं अपने बच्चों से पढ़ाई करने को नहीं कह सकता। इसलिए उसने अपना टीवी देखने का समय भी बलिदान कर दिया और खुद भी पढ़ाई में साथ दिया।"

हालांकि, सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चे शाम को स्कूल के बाद दोस्तों के साथ खेलना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें किताबें खरीदकर पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना ज्यादा व्यावहारिक हो सकता है। नारायण मूर्ति पहले भी अपनी 70 घंटे काम करने की सलाह को लेकर सुर्खियों में आ चुके हैं। उन्होंने तब कहा था कि जब वह अपनी कंपनी खड़ी कर रहे थे, तो वह हर हफ्ते 90 घंटे तक काम करते थे और यह उनके जीवन का बेकार हिस्सा नहीं था।

अधिक वर्किंग आवर वाले बनाय के बाद मूर्ति का यह बयान फिर से सोशल मीडिया पर हलचल पैदा कर रहा है, जहां कुछ लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं, तो कुछ उनकी लाइफस्टाइल और अनुशासन के प्रति उनके समर्पण की सराहना भी कर रहे हैं।