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HAL सुखोई-30 MKI विमानों के लिए 240 एएल- 31 एफपी एयरो इंजन बना रहा, बढ़ेगी मारक क्षमता, जानिए खासियत

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नई दिल्ली

हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ सुखोई-30 MKI विमानों के लिए 240 एएल- 31 एफपी एयरो इंजन बनाने जा रहा है। इसके लिए लिए रक्षा सचिव गिरिधर अरामने और वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी की उपस्थिति में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह खरीद 26 हजार करोड़ की होगी। इस अपग्रेडेशन के बाद भारत का यह सुखोई 78 फीसदी स्वदेशी हो जाएगा।

 सुखोई की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए ऐसा राडार, नये इंजन, आईआरएसटी सेंसर, आरडब्ल्यूआर, एडवांस जैमर, वैमानिकी, नए ईडब्ल्यू सूट, डीएफसीसी, भारतीय मिसाइलें और बम लगाए जाने हैं। इसके सुखोई पूरी तरह से बदल जाएगा। इससे वायु सेना के बेड़े को नई ताकत मिलेगी। इन हवाई इंजनों का निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा।

हर साल 30 सुखोई होंगे तैयार
हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) हर साल 30 इंजन की आपूर्ति करेगा। इसके साथ ही हार साल 30 सुखोई अपग्रेड किए जाएंगे। 2032 तक सुखोई 30 का पूरा बेड़ा ही अपग्रेड कर दिया जाएगा। डिलीवरी कार्यक्रम के अंत तक एचएएल स्वदेशीकरण सामग्री को 63 प्रतिशत तक बढ़ा देगा, जिससे इसका औसत 54 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा। इससे हवाई इंजन के मरम्मत कार्यों में स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

AL-31FP एयरो इंजन के विनिर्माण के दौरान HAL ने एमएसएमई और सार्वजनिक एवं निजी उद्योगों को शामिल करते हुए देश के रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र से सहायता लेने की योजना बनाई है. रक्षा मंत्रालय ने कहा, "इससे एयरो इंजन की मरम्मत और ओवरहाल कार्यों की स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी."

सरकार रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण में भारी निवेश कर रही है, जिसके तहत कई रक्षा केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में भारत की रक्षा विनिर्माण की सार्वजनिक कंपनियों (पीएसयू) ने नए ऑर्डर से लाभ उठाते हुए इक्विटी पर जबरदस्त उच्च रिटर्न हासिल किया है.

केंद्र सरकार ने वर्ष 2024-25 तक 35,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात सहित 175,000 करोड़ रुपये के स्वदेशी रक्षा विनिर्माण का लक्ष्य रखा है. कई ग्लोबल कंपनियों ने भारत के साथ महत्वपूर्ण रक्षा और एयरोस्पेस जानकारी साझा की है या ऐसा करने की इच्छा जताई है.

भारत का रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत अधिक है, जब रक्षा निर्यात 15,920 करोड़ रुपये था. हाल के आंकड़े बताते हैं कि 2013-14 की तुलना में पिछले 10 वर्षों में रक्षा निर्यात में 31 गुना वृद्धि हुई है.