Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

हरित हाइड्रोजन दुनिया के ऊर्जा परिदृश्य में एक आशाजनक विकल्प के रूप में उभर रहा : प्रधानमंत्री

33
Tour And Travels

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि हरित हाइड्रोजन दुनिया के ऊर्जा परिदृश्य में एक आशाजनक विकल्प के रूप में उभर रहा है। यह उन उद्योगों को डीकार्बोनाइज करने में मदद कर सकता है जिन्हें विद्युतीकृत करना मुश्किल है। इससे रिफाइनरी, उर्वरक, इस्पात, भारी शुल्क परिवहन और कई अन्य क्षेत्रों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि हरित हाइड्रोजन का उपयोग अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा के भंडारण समाधान के रूप में किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज एक वीडियो संदेश के माध्यम से ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। ग्रीन हाइड्रोजन पर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन में प्रधामंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन केवल भविष्य का मामला नहीं है, बल्कि इसके प्रभाव अब महसूस किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा परिवर्तन और स्थिरता वैश्विक नीति बहस के केंद्र में है क्योंकि कार्य करने का समय यहीं और अभी है।

प्रधान मंत्री मोदी ने हरित हाइड्रोजन उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सामूहिक विशेषज्ञता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में डोमेन विशेषज्ञों के लिए नेतृत्व करना और एक साथ काम करना महत्वपूर्ण है।” प्रधान मंत्री ने वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों को सार्वजनिक नीति में बदलाव का सुझाव देने के लिए भी प्रोत्साहित किया, जिससे इस क्षेत्र को और समर्थन मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने मोदी ने वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय से हरित हाइड्रोजन उत्पादन में इलेक्ट्रोलाइज़र और अन्य घटकों की दक्षता बढ़ाने, उत्पादन के लिए समुद्री जल और नगरपालिका अपशिष्ट जल के उपयोग का पता लगाने जैसी चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने ने विश्वास व्यक्त किया कि, “ऐसे विषयों पर संयुक्त रूप से चर्चा करने से दुनिया भर में हरित ऊर्जा परिवर्तन में काफी मदद मिलेगी।” प्रधान मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि ग्रीन हाइड्रोजन पर दूसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जैसे मंच इन मुद्दों पर सार्थक आदान-प्रदान को उत्प्रेरित करेंगे।

स्वच्छ और हरित पृथ्वी के निर्माण के लिए देश की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए प्रधान मंत्री ने बताया कि भारत हरित ऊर्जा पर पेरिस प्रतिबद्धताओं को पूरा करने वाले पहले जी20 देशों में से एक है। ये प्रतिबद्धताएं लक्ष्य 2030 से 9 साल पहले ही पूरी कर ली गईं। भारत की स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और सौर ऊर्जा क्षमता में 3,000 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है लेकिन हम इन उपलब्धियों पर निर्भर नहीं हैं।

जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा परिवर्तन की वैश्विक चिंताओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी चिंताओं का जवाब भी वैश्विक स्तर पर होना चाहिए। उन्होंने डीकार्बोनाइजेशन पर हरित हाइड्रोजन के प्रभाव को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि सहयोग के माध्यम से उत्पादन बढ़ाना, लागत कम करना और बुनियादी ढांचे का निर्माण तेजी से किया जा सकता है।

पिछले वर्ष भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन को याद करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि नई दिल्ली जी-20 नेताओं की घोषणा में हाइड्रोजन पर पांच उच्च-स्तरीय स्वैच्छिक सिद्धांतों को अपनाया गया है जो एकीकृत रोडमैप तैयार करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, “हम सभी को याद रखना चाहिए-हम जो निर्णय अभी लेंगे वह हमारी आने वाली पीढ़ियों के जीवन को निर्धारित करेगा।”

ऊर्जा परिवर्तन और स्थिरता अब वैश्विक चर्चा के केंद्र में : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ग्रीन हाइड्रोजन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा परिवर्तन और स्थिरता अब वैश्विक चर्चा के केंद्र में है। भारत स्वच्छ और हरित ग्रह बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ''हम हरित ऊर्जा पर अपनी पेरिस प्रतिबद्धता को पूरा करने वाले जी 20 देशों में से पहले थे। यह प्रतिबद्धता 2030 के लक्ष्य से नौ साल पहले ही पूरी कर ली गई। पिछले 10 वर्ष में भारत की स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले एक दशक में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 3,000 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है। लेकिन हम ऐसी उपलब्धियों पर आराम नहीं कर रहे । हम मौजूदा समाधानों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम नए और नवोन्वेषी क्षेत्रों पर भी विचार कर रहे हैं। यहीं पर हरित हाइड्रोजन तस्वीर में आती है।''

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''हरित हाइड्रोजन विश्व के ऊर्जा परिदृश्य में एक आशाजनक वृद्धि के रूप में उभर रहा है। यह उन उद्योगों को डी-कार्बोनाइजिंग करने में मदद कर सकता है जिन्हें विद्युतीकृत करना मुश्किल है। मुझे विश्वास है कि यह सम्मेलन बेहतरी के लिए कई विचारों के आदान-प्रदान में मदद करेगा। अतीत में मानवता को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हर बार, हमने सामूहिक और नवीन समाधानों के माध्यम से प्रतिकूलताओं पर विजय प्राप्त की। सामूहिक और नवोन्वेषी कार्यों की इसी भावना के साथ हम एक स्थायी भविष्य की ओर आगे बढ़ेंगे।''