Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

हर पांच में से चार भारतीय सरकारी अधिकारियों से जुड़े लोगों के कृत्यों को अपराध घोषित करने के पक्ष में जिनसे प्रकृति और जलवायु को नुकसान हुआ

22
Tour And Travels

नई दिल्ली
हर पांच में से लगभग चार भारतीय सरकारी अधिकारियों या बड़े व्यवसायों से जुड़े लोगों के उन कृत्यों को अपराध घोषित करने के पक्ष में हैं जिनके कारण प्रकृति और जलवायु को गंभीर नुकसान पहुंचता है। एक नए सर्वेक्षण में यह बात कही गई है।

‘इप्सोस यूके’ द्वारा संचालित तथा ‘अर्थ4ऑल’ एवं ‘ग्लोबल कॉमन्स अलायंस’ (जीसीए) द्वारा अधिकृत ‘ग्लोबल कॉमन्स सर्वेक्षण 2024’ से यह भी पता चला है कि पांच में से लगभग तीन (61 प्रतिशत) भारतीयों का मानना है कि सरकार जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षति से निपटने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रही है। इनमें से 90 प्रतिशत लोग प्रकृति की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंतित हैं।

सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 73 प्रतिशत लोगों का मानना है कि पृथ्वी पर्यावरणीय बदलाव के कारण ऐसे बिंदु के करीब पहुंच रही है, जहां वर्षावन और हिमनद जैसी जलवायु संबंधी या प्राकृतिक प्रणालियां अचानक बदल सकती हैं या भविष्य में उन्हें स्थिर करना अधिक कठिन हो सकता है।

सर्वेक्षण के अनुसार, 57 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नई प्रौद्योगिकियां व्यक्तिगत जीवन शैली में महत्वपूर्ण बदलाव किए बिना पर्यावरणीय समस्याओं को हल कर सकती हैं, जबकि 54 प्रतिशत लोगों का मानना है कि पर्यावरणीय खतरों के बारे में कई दावे बढ़ा-चढ़ाकर किए गए हैं।

पांच में से करीब चार भारतीय मानते हैं कि मनुष्य का स्वास्थ्य और कल्याण प्रकृति के स्वास्थ्य और कल्याण से बहुत करीब से जुड़ा है।

सर्वेक्षण के अनुसार, 77 प्रतिशत लोगों ने कहा कि प्रकृति को पहले ही इतना नुकसान पहुंच चुका है कि वह दीर्घकाल में मानवीय जरूरतों को अब पूरा नहीं कर सकती।

सर्वेक्षण में जी20 के 18 देशों – अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्किये, ब्रिटेन एवं अमेरिका तथा चार गैर-जी 20 देशों – ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, केन्या एवं स्वीडन के 18 से 75 वर्ष की आयु के 1,000 प्रतिभागियों को शामिल किया गया।