नई दिल्ली
राज्यसभा में एनडीए को बहुमत मिल गया है. कारण, 9 राज्यों की 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले ही सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं. ये सभी उम्मीदवार असम, बिहार और महाराष्ट्र की दो-दो सीटों पर और हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना व ओडिशा की एक-एक सीट पर जीते हैं. इनमें बीजेपी के 9, कांग्रेस का एक, एनसीपी (अजित पवार) का एक और राष्ट्रीय लोक मोर्चा का एक सदस्य निर्वाचित हुआ है. इसके साथ ही राज्यसभा में एनडीए का आंकड़ा मनोनीत और निर्दलीय सदस्यों के समर्थन के साथ बहुमत को छू गया है.
दरअसल, असम में कामाख्या प्रसाद ताशा और सर्वानंद सोनोवाल, बिहार में मीसा भारती और विवेक ठाकुर, हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा, मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया, महाराष्ट्र से छत्रपति उदयन राजे भोसले, पीयूष वेदप्रकाश गोयल, राजस्थान से केसी वेणुगोपाल और त्रिपुरा से बिप्लब देव के लोकसभा सदस्य चुने जाने और तेलंगाना के केशव राव व ओडिशा की ममता मोहंता के इस्तीफे से 12 सीटें खाली हुई थीं. चुने गए निवर्तमान सदस्यों का कार्यकाल 2028 तक होगा.
राज्यसभा में बीजेपी की संख्या बढ़कर 96 पहुंची
12 सीटों पर निर्विरोध चुनाव के बाद अब राज्यसभा में बीजेपी की संख्या बढ़कर 96 हो गई है. वहीं एनडीए की संख्या की बात करें तो ये भी बढ़कर 112 हो गई है. 245 सदस्यों की राज्यसभा में अभी आठ सीटें और खाली हैं. इनमें चार जम्मू-कश्मीर की और चार मनोनीत सदस्यों की सीटें शामिल हैं. इस तरह राज्यसभा में वर्तमान में बहुमत का आंकड़ा 119 सदस्यों का है. एनडीए को छह मनोनीत और एक निर्दलीय का भी समर्थन प्राप्त है और इस तरह एनडीए बहुमत के आंकड़े को छू चुकी है.
जानकारों की मानें तो अब बीजेपी को राज्यसभा में कोई भी महत्वपूर्ण बिल पारित कराने के लिए बीजेडी, वायएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना होगा. उधर, कांग्रेस की राज्यसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी भी सुरक्षित रहेगी. राज्यसभा में कांग्रेस की संख्या एक बढ़कर अब 27 हो गई है, जो कि नेता विपक्ष की कुर्सी के लिए जरूरी 25 सीटों से दो अधिक है.
सभी सीटों पर 3 सितंबर को होना था चुनाव
बता दें कि चुनाव आयोग ने इसी महीने राज्यसभा उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी की थी. इसमें नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त थी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 27 अगस्त थी. मतदान 3 सितंबर को संबंधित राज्यों की विधानसभाओं में सुबह नौ बजे से चार बजे तक होना था और उसी शाम पांच बजे से मतगणना होगी और रात तक नतीजे आने वाले थे. लेकिन नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख यानी 27 अगस्त को सभी 12 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए.
पहले क्या थी इन 12 सीटों की स्थिति
राज्यसभा की जिन 12 सीटों पर सदस्य चुने गए हैं, उनमें सबसे ज्यादा 7 राज्यसभा सांसद BJP के ही थे. उसके बाद कांग्रेस के 2, बीआरएस, बीजेडी और आरजेडी से एक-एक सांसद थे. बीजेपी का असम-महाराष्ट्र में दो-दो, मध्य प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा में एक-एक सीट पर कब्जा था. हरियाणा-राजस्थान में कांग्रेस का एक-एक और बिहार में आरजेडी का एक सीट पर कब्जा था. इसी तरह, तेलंगाना में बीआरएस का एक और ओडिशा में बीजेडी का एक सीट पर राज्यसभा सांसद था. तेलंगाना में के. केशवराज बीआरएस छोड़कर जुलाई में कांग्रेस में शामिल हो गए. जबकि ओडिशा की ममता मोहंता भी कुछ समय पहले बीजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं.
बीजेपी के सदस्यों की संख्या हुई 96
बीजेपी के सदस्यों की संख्या 96 हो गई है. वहीं, कांग्रेस के सदस्यों की संख्या बढ़कर अब 27 हो गई है. उसके सहयोगियों के पास 58 और सदस्य हैं, जिससे विपक्षी गठबंधन की संख्या 85 हो जाती है. 11 सदस्यों वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और आठ सदस्यों वाली बीजेडी किसी अलायंस का हिस्सा नहीं है. चुने गए निवर्तमान सदस्यों का कार्यकाल 2028 तक होगा.
कौन-कौन राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुआ
जो सदस्य राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं, उनमें असम से बीजेपी से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्रा, हरियाणा से किरण चौधरी, मध्य प्रदेश से केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र से धैर्यशील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू और त्रिपुरा से राजीव भट्टाचार्य का नाम शामिल है. एनसीपी के अजित पवार गुट के नितिन पाटिल और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा बिहार से निर्विरोध चुने गए. तेलंगाना से कांग्रेस नेता और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए.
अब उच्च सदन में दूसरे दलों पर निर्भरता हो गई खत्म
राज्यसभा में बहुमत हासिल करने के लिए एनडीए एक दशक से लगातार प्रयास कर रहा है, ताकि महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए बीजू जनता दल (बीजेडी), वाईएसआर कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और एआईएडीएमके जैसी पार्टियों पर निर्भरता खत्म हो जाए. दरअसल, पिछले कुछ सालों से उच्च सदन में विपक्ष का बोलबाला देखने को मिल रहा था. विपक्ष की बड़ी संख्या अक्सर विवादास्पद सरकारी विधेयकों को पारित करवाने से रोके रखती थी. सरकार ने कई विधेयकों को नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी और वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस की मदद से पारित करवाया है. हालांकि, अब राजनीतिक हालात बदल गए हैं. ओडिशा में बीजेडी और आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी सत्ता से बाहर हो गई है. दोनों ही राज्यों में बीजेपी और एनडीए की सरकार है. ऐसे में दोनों ही दलों के सदन में समर्थन को लेकर संशय बना हुआ है.
इसके साथ ही कांग्रेस के लिए अच्छी खबर यह है कि वो राज्यसभा में विपक्ष के नेता का पद बरकरार रखेगी. राज्यसभा में विपक्ष के नेता के लिए 25 सदस्यों की जरूरत होती है. कांग्रेस के पास बहुमत से दो ज्यादा सदस्य हो गए हैं.
NDA को राज्यसभा में भी आसान हो गया बिल पारित करवाना
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी स्पष्ट बहुमत हासिल होने से पार्टी नेता गदगद हैं. राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत मिलने से एनडीए सरकार को वक्फ (संशोधन) विधेयक जैसे प्रमुख कानूनों पर मुहर लगवाने में सफलता मिल जाएगी. हाल ही में बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 और बॉयलर्स विधेयक, 2024 पेश किया गया था. इन दोनों विधेयकों पर अभी उच्च सदन से मुहर लगना बाकी है. इस बजट सत्र में राज्यसभा ने जम्मू और कश्मीर विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2024, विनियोग (संख्या 2) विधेयक, 2024 और वित्त (सं.2) विधेयक, 2024 विधेयक पर मुहर लगाई है. जबकि वक्फ संपत्तियां (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली), विधेयक, 2014 को राज्य सभा से वापस लिया गया है. उच्च सदन में बहुमत हासिल होने के बाद एनडीए सरकार को विधेयक पारित करवाने में अड़चन का सामना नहीं करना पड़ेगा.
राज्यसभा में बीजेपी के कौन-कौन सहयोगी दल?
बजट सत्र में सरकार ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक समेत 12 नए विधेयक पेश किए. इनमें चार बिल वित्त विधेयक, 2024, विनियोग विधेयक, 2024, जम्मू और कश्मीर विनियोग विधेयक, 2024 और भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 पारित हुए हैं. राज्यसभा में बीजेपी के सहयोगियों में अन्नाद्रमुक, जद(यू), जद (एस), आरपीआई(ए), शिवसेना, राकांपा, रालोद, एनपीपी, पीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस, यूपीपीएल शामिल हैं.
क्यों राज्यसभा की सीटें खाली हुई थीं?
असम में कामाख्या प्रसाद ताशा और सर्वानंद सोनोवाल, बिहार में मीसा भारती और विवेक ठाकुर, हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा, मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया, महाराष्ट्र से छत्रपति उदयन राजे भोसले, पीयूष वेद प्रकाश गोयल, राजस्थान से केसी वेणुगोपाल और त्रिपुरा से बिप्लब देव के इस्तीफे के बाद 10 सीटें खाली हुई थीं. इन सभी सदस्यों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है. वहीं, तेलंगाना के केशवराव और ओडिशा की ममता मोहंता ने इस्तीफे दिया, जिसके बाद इन खाली हुईं सीटों पर चुनाव हुए हैं.
राज्यसभा में किसे कितना नुकसान?
राज्यसभा के उपचुनाव से पहले बीजेपी का असम-महाराष्ट्र में दो-दो, मध्य प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा में एक-एक सीट पर कब्जा था. उपचुनाव में बीजेपी को चार सीटों का फायदा पहुंचा है. हरियाणा-राजस्थान में कांग्रेस का एक-एक और बिहार में आरजेडी का एक सीट पर कब्जा था. कांग्रेस और आरजेडी को एक-एक सीट का नुकसान हुआ है. कांग्रेस ने एक सीट तेलंगाना में जीत ली है. इसी तरह, तेलंगाना में बीआरएस का एक और ओडिशा में बीजेडी का एक सीट पर राज्यसभा सांसद था. तेलंगाना में के. केशवराज बीआरएस छोड़कर जुलाई में कांग्रेस में शामिल हो गए थे. जबकि ओडिशा की ममता मोहंता बीते माह ही बीजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुईं हैं.
राज्यसभा में अभी किस पार्टी के कितने सदस्य?
राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं. इनमें से 238 सदस्य चुने जाते हैं. बाकी 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नॉमिनेट करते हैं. किस राज्य से कितने राज्यसभा सदस्य होंगे, ये वहां की आबादी के आधार पर तय होता है. वर्तमान में राज्यसभा में बीजेपी के 96, जेडीयू के 4, एनसीपी के 3, जेडीएस का एक, आरएलडी का एक, आरपीआई का एक, शिवसेना का एक और राष्ट्रीय लोक मोर्चा का एक सदस्य है. विपक्ष में कांग्रेस के 27, टीएमसी के 13, आम आदमी पार्टी के 10, डीएमके 10, आरजेडी के 5, वाम मोर्चा के 6, समाजवादी पार्टी के 4, जेएमएम के 3, मुस्लिम लीग के 2, शरद पवार गुट के 2, उद्धव ठाकरे गुट के 2, केरल कांग्रेस(M) का एक, MDMK का एक सदस्य हैं. वहीं, बीजेडी के 8, AIDMK के 4, बीआरएस के 4, YSRCP के 11, असम गाना परिषद का एक, बसपा का एक, मिजो नेशनल फ्रंट का एक, एनपीपी का एक, पीएमके का एक, TMC (M) का एक, UPP (L) का एक सदस्य है. नॉमिनेट की संख्या 6 है. निर्दलीय और अन्य की संख्या 3 है.
राज्यसभा में सांसद चुने जाने की प्रक्रिया क्या?
राज्यसभा के चुनाव में सभी राज्यों की विधानसभाओं के विधायक हिस्सा लेते हैं. इसमें विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं डालते. राज्यसभा चुनाव की वोटिंग का एक फॉर्मूला होता है. चयन प्रक्रिया को समझने के लिए आपको +1 का फॉर्मूला समझना जरूरी होगा. इस प्रक्रिया को समझने के लिए हम उत्तर प्रदेश का उदाहरण लेते हैं. दरअसल, राज्य में जितनी राज्यसभा सीटें खाली हैं, उसमें 1 जोड़ा जाता है. फिर उसे कुल विधानसभा सीटों की संख्या से भाग दिया जाता है. इससे जो संख्या आती है, उसमें फिर 1 जोड़ दिया जाता है.
इसे ऐसे समझिए, अगर किसी राज्य में 10 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग होनी है. इसमें 1 जोड़ा जाएगा तो यह संख्या 11 हो जाएगी. अब विधानसभा सीटों की संख्या देखी जाएगी. उस राज्य में अगर 399 विधायक हैं तो इसमें 11 का भाग दिया जाएगा. ऐसे में संख्या 36.272 आएगी. इसे 36 माना जाएगा. अब इसमें 1 जोड़ा जाएगा तो संख्या 37 हो जाएगी. यानी राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के वोट की जरूरत होगी. राज्यसभा चुनाव के लिए सभी विधायक सभी उम्मीदवारों के लिए वोट नहीं करते हैं. एक विधायक एक ही बार वोट कर सकता है. उन्हें बताना पड़ता है कि पहली पसंद कौन है और दूसरी पंसद कौन है.
कैसे तय होती है राज्यसभा सांसदों की संख्या?
राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं. इनमें से 238 सदस्य चुने जाते हैं. बाकी 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नॉमिनेट करते हैं. किस राज्य से कितने राज्यसभा सदस्य होंगे, ये वहां की आबादी के आधार पर तय होता है.