मनीला.
दक्षिण चीन सागर में चीन की खतरनाक हरकत के बाद फिलिपींस ने अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है। फिलिपींस के रक्षा सचिव ने कहा कि उनका देश अब सशस्त्र हमलों को रोकने के लिए सेना को मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है।
कुछ दिन पहले दक्षिण चीन सागर में चीन के जहाजों ने फिलिपींस के जहाज को टक्कर मार दी थी।
फिलिपींस के जहाज बीआरपी दातु संडे को हसहसा शोल से एस्कोडा शोल के बीच आठ चीनी तटरक्षक जहाजों की ओर से युद्धाभ्यास का सामना करना पड़ा था। फिलिपींस के जहाज फिलिपीन मछुआरों के लिए डीजल, फूड और चिकित्सा सहायता लेकर आ रहे थे। फिलिपींस हसहसा और एस्कोडा शोल को अपने आर्थिक क्षेत्र के भीतर होने का दावा करता है। फिलिपींस टास्क फोर्स ने कहा कि चीनी तटरक्षक जहाजों ने उसके जहाज पर पानी की बौछार की। इससे जहाज का इंजन फेल हो गया। इसे लेकर फिलिपींस की प्रतिनिधि सभा में स्पीकर फर्डिनेंड रोमुअलडेज ने चीन की बढ़ती कार्रवाईयों को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने इसे चीन की लापरवाही बताते हुए इसकी निंदा की। वहीं फिलिपींस के रक्षा सचिव गिल्बर्टो टेओडोरो जूनियर ने कहा कि हम सशस्त्र हमले रोकने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके लिए हम खुद को मजबूत बना रहे हैं। उन्होंने ऐसे मामलों में अपनी यूएसए के साथ हुई संधि का भी जिक्र किया। वहीं यूएसए के राजदूत मैरीके एल कार्लसन ने कहा कि चीन ने असुरक्षित, गैर कानूनी और आक्रामक आचरण करके फिलिपींस के मानव मिशन को बाधित किया। इससे लोगों की जान को खतरा हुआ। उधर, जापानी राजदूत एंडो काजुया ने भी टोक्यो क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाली और जान खतरे में डालने वाली कार्रवाई का विरोध किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया कि सबीना शोल के आसपास यह स्वीकार्य नहीं है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
चीन और फिलिपींस के बीच हुआ है समझौता
पिछले दिनों ही चीन और फिलिपींस के बीच एक समझौता हुआ है। जिससे दक्षिण चीन सागर में एक द्वीप के सबसे विवादित इलाके 'सेकंड थॉमस शोल' में टकराव खत्म होने की उम्मीद है। 'सेकंड थॉमस शोल' फिलिपींस के कब्जे में है, लेकिन चीन भी इस पर दावा करता है। फिलिपींस और चीन में हुए समझौते का उद्देश्य किसी भी पक्ष के क्षेत्रीय दावों को स्वीकार किए बिना ऐसी व्यवस्था बनाना है, जो दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य हो। चीन वर्तमान में दक्षिण चीन सागर के अधिकांश क्षेत्र पर अपना अधिकार होने का दावा करता है, लेकिन चीन के इस दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है। हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय ने 2016 में एक निर्णय दिया था, जिसमें स्पष्ट किया था कि इस क्षेत्र पर चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है। यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) पर आधारित था। हालांकि, चीन ने इसे अस्वीकार कर दिया।