मनेंद्रगढ़/एमसीबी
जिले मुख्यालय में स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी है, जिससे एक सरकारी कर्मचारी की मौत हो गई है। यह घटना पूरे जिले में चिंता का विषय बन गई है। प्रदेश भर में स्वाइन फ्लू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद स्वाइन फ्लू से बचाव और सतर्कता को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस पहल होती नहीं दिख रही है। वही स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस का बोलबाला है। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर नज़र डालें तो सरकारी अस्पताल सिर्फ सफेद हाथी बनकर रह गए हैं। अधिकांश डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में लिप्त हैं, जिसके कारण सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को उचित ध्यान नहीं मिल पा रहा है। डॉक्टरों की लापरवाही के कारण सरकारी अस्पतालों की स्थिति बदतर होती जा रही है।
सेंट्रल अस्पताल आमाखेरवां की स्थिति चिंताजनक हैं। वही एसईसीएल सेंट्रल अस्पताल का हाल तो और भी चिंताजनक है। यहां डॉक्टर अपने चेंबर में ही इलाज के लिए आने वाले मरीजों से पहले सुविधा शुल्क वसूल रहें हैं। आमाखेरवां स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल के डॉक्टरों के आवासों में शाम और सुबह मरीजों की भीड़ लगी रहती है, जो इस बात का प्रमाण है कि अस्पताल में उचित इलाज नहीं मिल रहा। मजबूरी में मरीजों के परिजन डॉक्टरों के घर जाकर इलाज कराने को विवश हो रहें हैं।
राजनीतिक रोटियां सेंक रहें हैं। सफेदपोश नेताओं की बात करें तो ये लोग सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिम्मेदार लोगों की उदासीनता का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है, जिससे उन्हें इलाज के लिए भारी खर्च उठाना पड़ रहा है।
बहरहाल स्वाइन फ्लू के इस बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जिले में सतर्कता और उचित स्वास्थ्य सेवाओं की बेहद जरूरत है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को तुरंत प्रभावी कदम उठाने चाहिए, ताकि इस महामारी से होने वाली संभावित मौतों को रोका जा सके।