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कनाडा ने वीजा से जुड़े नियम में बदलाव किया, पंजाब से भी आवेदन में भारी गिरावट

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ओटावा
 भारत से कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में बड़ी गिरावट देखी जा रही है। एक आश्चर्यजनक ट्रेंड देखा जा रहा है। इस वर्ष की दूसरी तिमाही में 85-90 फीसदी वीजा अप्रूवल रेट के बावजूद भारतीय छात्रों की ओर से कनाडा के वीजा आवेदन की संख्या में बड़ी गिरावट देखी गई है। इसमें भी सबसे खास बात है कि यह गिरावट पंजाब में भी देखी जा रही है। कनाडा जाने वाले कुल भारतीय छात्रों में से 70 से 75 फीसदी अकेले पंजाब भेजता है। पिछले साल की तुलना में यह गिरावट 70-80 फीसदी है। जबकि कनाडा की ओर से किसी भी तरह की कोई सीमा नहीं लगाई गई है। इसके अलावा जीवनसाधी को भी स्नातक पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले छात्रों के साथ जाने की इजाजत थी।

 रिपोर्ट के मुताबिक एजुकेशन कंसल्टेंट्स का कहना है कि कनाडा इन दिनों वीजा अप्रूवल बहुत ज्यादा है। यहां तक कि उन आवेदकों को भी वीजा दिया गया है, जिन्हें पहले कई बार रिजेक्ट कर दिया गया था। 40 वर्ष से ज्यादा लोगों को भी वीजा दिया गया। पिनेकल इमिग्रेशन के तीरथ सिंह ने कहा कि पिछले 3-4 साल में भारत और खास तौर से पंजाब से बड़ी संख्या में छात्र कनाडा गए, जिससे वीजा बैकलॉग हो गया। हालांकि नए प्रतिबंधों और बढ़ी हुई वित्तीय आवश्यक्ताओं ने कई नए आवेदकों को हतोत्साहित किया है। छात्रों की संख्या गिरने का यही कारण है।

क्या हुए बदलाव?

कनाडा ने हाल ही अपने नियम बदले हैं। उन्होंने आगे कहा, 'पहले स्पाउस ओपन वर्क परमिट (SOWP) के तहत पति-पत्नी स्नातक कार्यक्रमों में रजिस्टर्ज छात्रों के साथ जा सकते थे, लेकिन यह काफी हद तक प्रतिबंधित थे। अब यह कुछ ही कोर्स के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा कनाडा सरकार ने गारंटीड इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम (GIC) को दोगुना करने का फैसला किया है, जो अब 20000 डॉलर से ज्यादा है। इसने कई लोगों के लिए अध्ययन को महंगा बना दिया है।'

आसानी से मिल रहा वीजा

उन्होंने कहा कि कुछ वीजा की सफलता दर 100 फीसदी से ज्यादा है। उन्होंने कहा, 'हमें हाल ही में एक 42 वर्षीय महिला के लिए बिना किसी इनकार के लिए वीजा मिला है।' उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास पैसा है और आवश्यक अंग्रीजी दक्षता है तो उसे आसानी से वीजा मिल सकता है। एक अन्य कंसल्टेंसी ने कहा कि न केवल छात्र वीजा में रुचि कम हुई है, बल्कि कनाडा में प्रवास से जुड़ी पूछताछ में भी कमी आई है। इसका कारण माना जा रहा है कि कनाडा में लगातार नौकरियां कम हो रही है।